सेना की सरपरस्ती मंजूर नहीं:म्यांमार के राजनीतिक दलों ने फौजी सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव ठुकराया; पूरे देश में हो रहे प्रदर्शनम्यांमार में तख्तापलट के बाद सड़कों पर सेना का विरोध हो रहा है। लोकतांत्रिक सरकार बहाल करने और इसके नेताओं को रिहा करने की मांग हो रही है। सेना ने राजनीतिक दलों को फौजी हुकूमत वाली सरकार में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था। अब इन पार्टियों ने इसे सिरे से खारिज कर दिया है।
म्यांमार में 1 फरवरी को सेना ने आंग सान सू की के नेतृत्व वाली सरकार का तख्तापलट कर दिया था। फौज का आरोप है कि चुनाव में धांधली की वजह से सू की और उनकी पार्टी चुनाव जीती।
शांति वार्ता के लिए शर्त
‘म्यांमार टाइम्स’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेना ने जनजातीय विद्रोही गुटों को भी बातचीत का प्रस्ताव दिया है, लेकिन एक शर्त भी रखी है। इसमें कहा गया है कि बातचीत शुरू की जा सकती है, लेकिन बातचीत सेना द्वारा बनाई गई कमेटी ही करेगी। अब तक इस कमेटी में नेता और सरकार द्वारा नियुक्त किए गए लोग ही होते थे।
लोगों को धमकी
म्यांमार में चार दिन से जबरदस्त विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। देश के हर हिस्से में हर दिन हजारों लोग सड़कों पर उतरकर लोकतंत्र बहाली की मांग कर रहे हैं। अब इन लोगों को सेना ने कानूनी कार्रवाई की धमकी दी है। सेना ने एक बयान में कहा-देश की सुरक्षा को प्रभावित करने वाली किसी भी हरकत को सहन नहीं किया जाएगा। एक स्थान पर पांच से ज्यादा लोग न जुटें। 30 राज्यों में रात 8 बजे से सुबह 4 बजे तक कर्फ्यू रहेगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने सोमवार रात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बातचीत की थी। इस दौरान म्यांमार के मुद्दे पर भी बातचीत हुई।