पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट का आदेश:100 साल पुराना मंदिर फिर से बनाया जाए, पिछले साल भीड़ ने तोड़ दिया थापाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत की सरकार को आदेश दिया है कि पिछले साल भीड़ द्वारा तोड़े गए मंदिर को फिर से बनाया जाए। कोर्ट ने ये भी कहा है कि लोकल एडमिनिस्ट्रेशन ये भी बताए कि इस मंदिर को कितने समय में फिर से बना दिया जाएगा।
द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, सोमवार को चीफ जस्टिस गुलजार अहमद की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने मामले की सुनवाई की। इस दौरान चीफ जस्टिस ने अफसरों से कहा- कोर्ट को यह भी बताया जाए कि मंदिर तोड़ने वालों की गिरफ्तारी की गई थी या नहीं? ये भी बताएं कि दोषियों से कितनी वसूली की गई।
मुल्तान में प्रह्लादपुरी मंदिर को भी तैयार करने के निर्देश
कोर्ट ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि मुल्तान में प्रह्लादपुरी मंदिर 28 मार्च को भी होली उत्सव के लिए तैयार किया जाए। उन्होंने मुल्तान के इस मंदिर की सुरक्षा तय करने को भी कहा।
पिछले साल दिसंबर में मंदिर को नष्ट कर दिया था
दिसंबर 2020 में कट्टरपंथी जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम पार्टी (फजल उर रहमान समूह गुट) के सदस्यों ने खैबर पख्तूनख्वा के करक जिले के टेरी गांव में मंदिर पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया था। इसकी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय के नेताओं ने कड़ी निंदा की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए मामले में सुनवाई की। इसको फिर बनाने और आरोपियों से फिर निर्माण के लिए वसूली के आदेश दिए।
खैबर सरकार देगी पैसा
सुनवाई के दौरान एक अन्य पक्षकार हिंदू परिषद के प्रमुख और नेशनल असेंबली के सदस्य रमेश कुमार ने कहा- खैबर पख्तूनख्वा के मुख्यमंत्री महमूद खान ने पहले कहा था कि करक क्षेत्र संवेदनशील है और मंदिर का पुनर्निर्माण हिंदू समुदाय द्वारा किया जाना चाहिए। वहीं, सरकार के एडिशनल एडवोकेट जनरल ने कहा कि खैबर सरकार बाद में मंदिर के निर्माण में लगा पैसा दे देगी। कानूनी रूप से मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए टेंडर जारी किए जाने चाहिए।
दोषी सबक सीखें, इसलिए वसूली जरूरी
सुनवाई के दौरान एवेक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के वकील इकराम चौधरी ने पीठ को बताया कि गिरफ्तार लोगों से अब तक कोई वसूली नहीं हुई है। चौधरी ने पीठ को बताया कि खैबर पख्तूनख्वा सरकार ने मंदिर के पुनर्निर्माण के लिए 3.41 करोड़ रुपए की मंजूरी दी है। इस पर बेंच में शामिल जस्टिस अहसान ने कहा – अदालत ने मंदिर को जलाने वालों से पैसे वसूलने का आदेश इसलिए दिया था ताकि वे सबक सीख सकें। जस्टिस गुलजार ने कहा कि एवैक्यू ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड के अध्यक्ष को तलब किया जाना चाहिए और एक विस्तृत रिपोर्ट पेश की जानी चाहिए।