ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग:6 रिपब्लिकन सीनेटर्स भी बाइडेन की पार्टी के साथ, इसके बावजूद ट्रम्प पर आरोप साबित होना बेहद मुश्किलअमेरिकी सीनेट में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के खिलाफ दूसरे महाभियोग की प्रक्रिया शुरू हो गई है। सीनेट में 100 सदस्य होते हैं। 56 ने महाभियोग चलाने के पक्ष में और 44 ने विरोध में मतदान किया। समर्थन करने वालों में 6 रिपब्लिकन सीनेटर्स (ट्रम्प की पार्टी) शामिल हैं। हालांकि, अमेरिका से मिल रही तमाम मीडिया साफ तौर पर बता रही हैं कि ट्रम्प इस महाभियोग से उसी तरह बच निकलेंगे जिस तरह वे पिछले साल बरी हो गए थे।
चार घंटे की बहस
महाभियोग की प्रक्रिया शुरू की जाए या नहीं? इस पर पहले तो चार घंटे बहस हुई। फिर वोटिंग हुई। सीनेट में दोनों पार्टियों के फिलहाल, 50-50 मेंबर्स हैं। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के 6 सदस्य जो बाइडेन की पार्टी से जा मिले। इस वजह से महाभियोग प्रक्रिया शुरू करने का रास्ता साफ हो गया।
आगे क्या होगा?
सुनवाई के दौरान दोनों पक्ष अपनी दलीलें रखेंगे। सीनेटर्स की ज्यूरी इन्हें सुनेगी और फैसला करेगी। दो से तीन हफ्ते का वक्त लग सकता है। फिर वोटिंग होगी। डेमोक्रेट्स अगर ट्रम्प पर महाभियोग प्रस्ताव पास कराना चाहते हैं तो उन्हें 100 में से 67 वोट चाहिए होंगे। महाभियोग चलाने का प्रस्ताव पास कराने में भले ही 6 रिपब्लिकन्स ने डेमोक्रेट्स का साथ दिया हो, लेकिन इस बात की संभावना न के बराबर है कि वे ट्रम्प को दोषी ठहराने के लिए होने वाली वोटिंग में भी डेमोक्रेट्स का साथ देंगे।
फिर इस कवायद की जरूरत ही क्यों
दोनों पार्टियों के लिए इसके मायने अलग-अलग हैं। डेमोक्रेट पार्टी ट्रम्प की हरकतों से परेशान रही है। लिहाजा, वे इसकी खीज निकालना चाहते हैं। axios.com के मुताबिक, सीनेट में बाइडेन की गैरमौजूदगी इस बात का साफ संकेत है कि डेमोक्रेट्स को अपनी जीत की संभावना पर बिल्कुल भरोसा नहीं है। दूसरी तरफ, रिपब्लिकन्स भी ट्रम्प के कुछ फैसलों से नाराज तो हैं, लेकिन अपनी पार्टी को नीचा कतई नहीं दिखाएंगे। क्योंकि, अगर वे ऐसा करते हैं तो अमेरिकी राजनीति में उनका आगे का सफर बहुत मुश्किल हो जाएगा। कुल मिलाकर यह लोकतंत्र को मजबूत करने और मनमानी वाले फैसलों का विरोध करने की रस्मअदायगी नजर आ रही है।
सबूत भी नहीं
सीनेटर्स ने ट्रम्प के खिलाफ लिखित आरोप लगाए हैं। इनमें भीड़ को उकसाने का आरोप भी है, लेकिन वोटिंग के पहले उन्हें इसके सबूत भी देने होंगे। अब तक पब्लिक डोमेन में ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे ये साबित होता हो कि ट्रम्प के कहने पर दंगाईयों ने अमेरिकी संसद में हिंसा की। एक रिपब्लिक सांसद ने कहा- यह जनता के गुस्से को शांत करने का ट्रायल है। इससे दोनों पार्टियों के कुछ लोगों को सुकून मिल सकता है।
पिछले साल भी लाया गया था महाभियोग प्रस्ताव
ट्रम्प के खिलाफ पिछले साल भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। संसद का निचला सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स (HOR) में डेमोक्रेट्स के बहुमत के चलते यह पास हो गया था, लेकिन सीनेट में रिपब्लिकंस की मेजॉरिटी के चलते प्रस्ताव गिर गया। ट्रम्प पर आरोप था कि उन्होंने बाइडेन के खिलाफ जांच शुरू करने के लिए यूक्रेन पर दबाव डाला था। निजी और सियासी फायदे के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में अपने पक्ष में यूक्रेन से मदद मांगी थी।
अमेरिका में राष्ट्रपति के खिलाफ महाभियोग के मामले
1868 में अमेरिकी राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन के खिलाफ अपराध और दुराचार के आरोपों पर हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में महाभियोग प्रस्ताव पास हुआ। उनके खिलाफ संसद में आरोपों के 11 आर्टिकल्स पेश किए गए। हालांकि, सीनेट में वोटिंग के दौरान जॉनसन के पक्ष में वोटिंग हुई और वे राष्ट्रपति पद से हटने से बच गए।
1998 में बिल क्लिंटन के खिलाफ भी महाभियोग लाया गया था। उन पर व्हाइट हाउस में इंटर्न रही मोनिका लेवेंस्की ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे। उन्हें पद से हटाने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में मंजूरी मिल गई थी, लेकिन सीनेट में बहुमत नहीं मिल पाया।
वॉटरगेट स्कैंडल में पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन (1969-74) के खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही होने वाली थी, लेकिन उन्होंने पहले ही इस्तीफा दे दिया। उन पर अपने एक विरोधी की जासूसी कराने का आरोप लगा था।