मजबूत रिश्तों का दावा:अमेरिका ने कहा- भारत सबसे अहम सहयोगी, उसके ग्लोबल पावर के तौर पर उभरने का स्वागतअमेरिका ने भारत को अहम सहयोगी बताया है। जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन के सत्ता संभालने के बाद अमेरिकी विदेश विभाग अपनी नई विदेश नीति को आकार देने में लगा है। विदेश विभाग ने मंगलवार को कहा- एक ग्लोबल पावर के तौर पर भारत के उभार का अमेरिका स्वागत करता है।
डोनाल्ड ट्रम्प के दौर में भी भारत और अमेरिका के रिश्ते बहुत मजबूत थे। हालांकि, वीजा और रूस से हथियार खरीद को लेकर दोनों देशों के कुछ मतभेद भी रहे।
हिंद और प्रशांत महासागर में भारत की जरूरत
अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने मंगलवार रात अपनी डेली ब्रीफिंग में भारत का जिक्र किया। कहा- हिंद और प्रशांत महासागर क्षेत्र में भारत हमारा अहम सहयोगी है। एक वैश्विक महाशक्ति के तौर पर भारत के उभार का हम स्वागत करते हैं। भारत इस क्षेत्र को महफूज रखने में बड़ा रोल निभा रहा है।
एक सवाल के जवाब में प्राइस ने कहा- भारत और अमेरिका कूटनीतिक और सुरक्षा के तमाम मुद्दों पर मिलकर काम करते रहे हैं और अब हमें इन रिश्तों को पहले से भी ज्यादा मजबूत बनाएंगे। आतंकवाद, पीसकीपिंग मिशन, एजुकेशेन, टेक्नोलॉजी, एग्रीकल्चर और स्पेस। ऐसे कई क्षेत्र हैं जहां दोनों देश मिलकर काम करते रहे हैं और यह लिस्ट इतने पर ही खत्म नहीं होती। दोनों देशों के बीच सहयोग का दायरा काफी बड़ा है।
ब्लिंकेन ने जयशंकर से बातचीत की
UN सिक्योरिटी काउंसिल में भारत की अस्थायी सदस्यता का अमेरिका ने स्वागत किया। प्राइस ने बताया कि 2019 में दोनों देशों के बीच कुल 146 बिलियन डॉलर का कारोबार हुआ।
प्राइस ने आगे कहा- हमारे विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर से लंबी बातचीत की है। हम ये मानते हैं कि दोनों देशों की स्ट्रैटेजिक पार्टनरशिप नए आयाम छुएगी। हम हाईलेवल डिप्लोमैसी को ज्यादा मजबूत करेंगे ताकि दोनों देशों के साझा हितों को पूरा किया जा सके।
भारत-चीन सीमा विवाद
भारत और चीन के बीच पिछले साल से लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर तनाव है। लद्दाख के कई क्षेत्रों में दोनों सेनाएं महीनों से आमने-सामने हैं। इस बारे में पूछे गए एक सवाल पर प्राइस ने कहा- अमेरिका इस मामले पर बहुत पैनी नजर रख रहा है। हम जानते हैं कि हालात तनावपूर्ण हैं। भारत और चीन बातचीत कर रहे हैं। हम भी चाहते हैं कि इस मामले में आपसी सहमति से कोई शांतिपूर्ण हल निकाला जाए। हम जानते हैं कि चीन पड़ोसी देशों के मामले में किस तरह की दखलंदाजी करता है।