कृषि कानून का विरोध:घर पर कहा था- कानून रद्द होंगे तो आऊंगा, वरना राह मत देखना

कृषि कानून का विरोध:घर पर कहा था- कानून रद्द होंगे तो आऊंगा, वरना राह मत देखना, बेटों पर जिम्मेदारी60 वर्षीय बलदेव की 21 जनवरी को टिकरी में मौत
गांव भाणा के 60 वर्षीय किसान बलदेव ढुल की 21 जनवरी को हार्ट अटैक से टिकरी बॉर्डर पर मौत हो गई थी। दो एकड़ जमीन का मालिक बलदेव खेती करके परिवार का गुजर-बसर कर रहा था। घर का मुखिया होने के कारण परिवार की पूरी जिम्मेदारी उन्हीं के कंधों पर थी।

तीन कृषि कानून लागू हुए तो जमीन व किसानी खोने का डर मन में बैठ गया। दिल्ली बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन शुरू हुआ तो गांव के किसानों के साथ वह भी दिल्ली बॉर्डर पर बैठ गए। पहली बार 25 दिन बाद घर लौटे। दो दिन बाद 19 जनवरी को चले गए, जहां दो दिन बाद उनकी जान चली गई। बलदेव के दो बेटे व एक बेटी हैं। तीनों बच्चे शादीशुदा हैं।

छोटे बेटे राकेश ने बताया कि पापा के बिना अब हमारा घर सूना हो गया है। पापा बहुत स्वस्थ थे, कभी बुखार भी नहीं हुआ, लेकिन तीन कृषि कानूनों ने उन्हें अंदर से तोड़ दिया था। वे बहुत परेशान रहते थे। कहते थे कि ये कृषि कानून हम किसानों को खत्म कर देंगे। घर से जाते समय भी कहकर निकले थे कि मैं वापस आऊंगा तो तीन कृषि कानून रद्द होने के बाद, वरना मेरी राह मत देखना। अपना ख्याल रखना और मेरी गैरमौजूदगी में परिवार अच्छे से चलाना। परिवार की जिम्मेदारी अब तुम दोनों भाईयों पर हैं।

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