नहीं रहे प्रख्यात समाजसेवी:पद्मभूषण दर्शन लाल जैन का निधन; PM मोदी ने छुए थे पैर, इनके प्रयासों से जीवित हुई थी सरस्वती नदीमुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़, सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया सहित अन्य कई मंत्री व नेता उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे
सरस्वती नदी को जीवित करने में अपना योगदान देने वाले प्रख्यात समाजसेवी पद्मभूषण दर्शन लाल जैन नहीं रहे। यमुनानगर निवासी 94 वर्षीय दर्शन लाल ने सोमवार दोपहर करीब 12 बजे अंतिम सांस ली। मुख्यमंत्री मनोहर लाल, प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़, सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री रतन लाल कटारिया सहित अन्य कई मंत्री व नेता उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे।
बता दें कि सरस्वती नदी को पुनर्जीवित करने में दर्शन लाल जैन का बड़ा योगदान रहा है। उनकी निशान देही पर हरियाणा सरकार ने समय के साथ-साथ लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी की धारा को यमुनानगर के मुगलवली गांव एवं आदिबद्री से खोज निकला। उनके प्रयासों का ही परिणाम रहा कि 21 अप्रैल 2014 को रूलाखेड़ी गांव में सरस्वती नदी की पहला धारा बही।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्व प्रांत संघ चालक दर्शनलाल जैन को 2019 में 72वें गणतंत्र दिवस के मौके पर सरस्वती नदी की खोज करने पर ही तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मभूषण सम्मान से नवाजा गया था। साल 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद नरेंद्र मोदी जब यमुनानगर आए थे, तब उन्होंने सार्वजनिक मंच पर दर्शन लाल जैन के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था।
दर्शन लाल कको लड़कियों और आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। समाज सेवा के कामों में आगे रहने वाले जैन का सक्रिय राजनीति में शामिल होने की ओर कभी झुकाव नहीं रहा। 1954 में जनसंघ द्वारा MLC की सुनिश्चित सीट के प्रस्ताव को उन्होंने अस्वीकार कर दिया था। बाद में उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने राज्यपाल के पद की पेशकश भी की, लेकिन वे नहीं माने।दर्शन लाल जैन ने सरस्वती विद्या मंदिर, जगाधरी (1954), डीएवी कॉलेज फॉर गर्ल्स यमुनानगर, भारत विकास परिषद हरियाणा, विवेकानंद रॉक मैमोरियल सोसाइटी, वनवासी कल्याण आश्रम हरियाणा, हिंदू शिक्षा समिति हरियाणा, गीता निकेतन आवासीय विद्यालय, कुरुक्षेत्र, और नंद लाल गीता विद्या मंदिर, अंबाला (1997) सहित हरियाणा के विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना की।
दर्शन लाल जैन का जन्म 12 दिसंबर 1927 को जगाधरी में एक धार्मिक और उद्योगपति जैन परिवार में हुआ था। उन्हें बाबूजी के नाम से जाना जाता था। 15 साल की उम्र में उन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया। जैन कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाओं से जुड़े हुए थे।
दर्शन लाल जैन अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनके परिवार में दो बेटे दीपक जैन और नीरज जैन, दो बेटियां गीता जैन व नीरा जैन, चार पोतियां नेहा, नुपुर, सुरभि, द्रव्या, दो पोते मार्धव व रियंत जैन हैं।