तपोवन टनल में 130 मीटर तक पहुंची रेस्क्यू टीम; जिस रैणी गांव को पानी और मलबे ने रौंदा, वहां अपनों को तलाश रहे लोगचमोली के तपोवन में कल कुदरत ने जो कहर बरपाया, उसकी गवाही आज यहां का चप्पा-चप्पा दे रहा है। NTPC प्रोजेक्ट की साइट पर ITBP और NDRF के जवान पिछले 25 घंटे से ढाई किलोमीटर लंबी टनल में फंसी करीब 50 जिंदगियों को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। शाम तक रेस्क्यू टीम टनल में 130 मीटर अंदर तक पहुंच गई है।
घटनास्थल पर अभी चुनौती क्या है?
ITBP के अधिकारियों ने बताया कि टनल साफ करने में कई दिक्कते हैं। मलबे में पानी मिला हुआ है, इसलिए इसे निकालने में परेशानी आ रही है। एक बार में एक ही मशीन भीतर जा सकती है, ये भी एक समस्या है।
तो फिर रास्ता क्या है?
शाम तक मशीनों के जरिए मलबा निकालने की कोशिश की जाएगी। अभी 130 मीटर टनल साफ हुई है। इस पॉइंट से इस टनल के भीतर 150 मीटर दूरी पर एक गेट है। मलबा हटने के बाद यहां एक एक्सपर्ट टीम को पैदल ही भेजा जाएगा।
कुछ उम्मीद है क्या?
ITBP, NDRF, SDRF के अलावा अब इस टनल में आर्मी की टीम भी रेस्क्यू ऑपरेशन में शामिल हो गई है। आर्मी ही अब ये ऑपरेशन मॉनिटर कर रही है। अधिकारियों ने बताया कि टनल के अंदर कुछ गाड़ियां हैं। करीब ढाई किलोमीटर लंबी इस टनल में ट्रक, जीप और बुलडोजर भी जाते हैं। अधिकारियों को उम्मीद है कि मलबे से बचने के लिए कुछ लोगों ने इन गाड़ियों की आड़ ली होगी, या वो इन गाड़ियों में बैठ गए होंगे। ऐसे में उनके जीवित होने की उम्मीदे है।
जहां पावर प्रोजेक्ट है, वहां के हालात कैसे हैं?
रैणी गांव, जहां ऋषिगंगा पावर प्रोजेक्ट है, वहां के करीब 40 से 45 लोग लापता हैं। जो लोग बह गए, उनकी बॉडी अभी तक नहीं मिली है। यहां के हालात देखकर लगता है कि किसी के जिंदा बचने की गुंजाइश कम ही है। कुछ लोग अपने रिश्तेदारों को ढूंढने पहुंचे हैं। जब वो अफसरों से पूछते हैं तो अफसर मलबे की ओर इशारा कर देते हैं कि इसे देखो। BRO का एक पुल भी बह गया है। चुनौती इसे जल्द से जल्द ठीक करने की है, क्योंकि पुल बहने के कारण पूरी नीति घाटी का संपर्क बाकी देश से कट गया है। इसके अलावा 30 गांव भी सड़क मार्ग से पूरी तरह कट चुके हैं।
हादसे के बाद हलचल और कयास?
ग्लेशियर फटने के बाद रैणी गांव में भीषण धमाका हुआ। इसके बाद एक खास तरह की गंध फैल गई है। ऋषिगंगा में पानी की धार बहुत कम हो गई है। स्थानीय लोगों को आशंका है कि पहाड़ों के पीछे किसी झील के बन जाने से बहाव कम हो गया है। हालांकि, अधिकारी अभी इसकी पुष्टि नहीं कर रहे हैं।