दुविधा में मेकर्स:सिनेमाघरों के 100 फीसदी क्षमता के बावजूद क्यों थमा है ‘सूर्यवंशी’, ’83’ की रिलीज डेट का ऐलान, ट्रेड एक्सपर्ट ने बताई वजहअक्षय कुमार की ‘सूर्यवंशी’ और रणवीर सिंह की ’83’ दो बड़े बजट की फिल्में हैं। अगर लॉकडाउन नहीं हुआ होता तो ये दोनों फिल्में पिछले साल मार्च और अप्रैल में रिलीज होतीं। अब जबकि केंद्र सरकार ने सिनेमाघरों को शत-प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की अनुमति दे दी है तो माना जा रहा था कि फिल्ममेकर्स भी अब अपनी फिल्मों की रिलीज डेट की घोषणा करने में समय नहीं गंवाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। ट्रेड एनालिस्ट कोमल नाहटा की मानें तो केवल ये दो ही बड़ी फिल्में है, जिसे इंडस्ट्री लॉकडाउन के बाद रिलीज करने की सोच सकती है। हालांकि, फिल्ममेकर्स ने अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं लिया है।
कई राज्यों में अब भी 50% की क्षमता जारी
कोमल बताते हैं, “रिलायंस एंटरटेनमेंट अभी भी इन दो बड़े बजट फिल्मों की रिलीज डेट फाइनल नहीं कर पा रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि ज्यादातर राज्य सरकारों ने अभी भी केंद्र सरकार द्वारा दी गई क्षमता की पुष्टि नहीं की है। जिस पर कि वहां के सिनेमाघर काम कर सकते हैं। जब तक राज्य सरकार सरकारें अपने यहां केंद्र की गाइड लाइन जारी नहीं करती हैं, तब तक 50% की वर्तमान क्षमता जारी रहेगी। जाहिर है कि बड़ी फिल्मों के निर्माता अपनी फिल्मों को रिलीज करना चाहते हैं, लेकिन तभी जब देशभर के सिनेमाघरों को पूरी क्षमता से काम करने की अनुमति मिल जाए।”
अमेरिका, ब्रिटेन में अभी भी सिनेमाघर बंद
नाहटा आगे बताते है, “एक और वजह है कि अमेरिका और ब्रिटेन में अभी भी सिनेमाघर बंद हैं। रिलायंस कंपनी जानती है कि उनका ज्यादातर प्रॉफिट इन दो बड़े देशों से होता है। जाहिर है कोई भी निर्माता अपने प्रॉफिट शेयर में इतना बड़ा नुक्सान नहीं झेलना चाहेगा। यह भी एक ठोस कारण है कि दोनों फिल्मों की रिलीज डेट की घोषणा अब भी नहीं की जा रही है।”
साउथ इंडस्ट्री से तुलना करना सही नहीं
एक तरफ जहां बॉलीवुड वाले अभी भी अपने बड़े प्रोजेक्ट रिलीज करने से कतरा रहे हैं। वहीं, साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री में ऐसा कोई डर नहीं है। हाल ही में विजय की फिल्म ‘मास्टर’ बॉक्सऑफिस पर हिट रही। बॉलीवुड और साउथ इंडियन फिल्म इंडस्ट्री की तुलना पर कोमल कहते हैं, “सच कहूं तो बॉलीवुड निर्माताओं के साथ दक्षिण भारतीय फिल्म निर्माताओं की तुलना करना केवल इसलिए सही नहीं है, क्योंकि दुनियाभर में हिंदी फिल्मों की रीच साउथ की फिल्मों से बहुत ज्यादा होती है।”
“यदि बॉलीवुड सिर्फ भारत में ही अपनी फिल्म रिलीज करता ही तो उन्हें अपने कई फीसदी प्रॉफिट की कुर्बानी देनी होगी। जोकि साउथ इंडियन फिल्मों के मामले में नहीं होता। देश में सिनेमाघरों को पूरी क्षमता से खोलने की अनुमति मिलने से हम सिर्फ आधी जंग जीत पाएंगे। ओवरसीज मार्केट में सिनेमाघरों की बाकी आधी लड़ाई अभी भी भयंकर है, जिसे लड़ने की जरूरत है।”