ग्लेशियर फटने से उफान पर आई ऋषिगंगा नदी गांव और बांधों को बहा ले गई, हर तरफ तबाही का मंजर थाउत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार सुबह 10 से 11 बजे के बीच ग्लेशियर टूटा। इससे ऋषिगंगा घाटी में सैलाब आ गया। पानी घाटियों से होते हुए कई गांवों को अपने चपेट में लेता चला गया। वहां जान-माल का भारी नुकसान हुआ है, जिसका आकलन बाकी है। शायद सोमवार तक पता चले।
करीब साढ़े सात साल पहले 16 जून 2013 में केदारनाथ में ऐसी ही तबाही हुई थी। उसके बाद राज्य में यह दूसरी सबसे बड़ी त्रासदी है।UP में भी अलर्ट
उत्तर प्रदेश के बिजनौर, कन्नौज, फतेहगढ़, प्रयागराज, कानपुर, मिर्जापुर, गढ़मुक्तेश्वर, गाजीपुर और वाराणसी जैसे कई जिलों में डीएम को हालात पर नजर बनाए रखने के निर्देश दिए गए हैं। बिजनौर, बुलंदशहर में पुलिस ने गंगा किनारे खेतों में काम कर रहे किसानों को घर भेज दिया गया।अफवाह फैलाने पर होगी कार्रवाई
चमोली पुलिस ने लोगों से अपील की है कि आपदा से हुई जानमाल के नुकसान के बारे में अफवाह, भ्रामक वीडियो या संदेश सोशल मीडिया पर वायरल न करें। पुलिस सोशल मीडिया की निगरानी कर रही है। ऐसा करने वाले पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उत्तराखंड में 30 साल की 4 बड़ी प्राकृतिक आपदाएं
1991 में उत्तरकाशी में भूकंप : अक्टूबर 1991 में उत्तरकाशी में 6.8 की तीव्रता का भूकंप आया था। इसमें 768 लोगों की मौत हो गई थी। हजारों घर तबाह हो गए थे। तब उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा था।
1998 माल्पा में लैंडस्लाइड : माल्पा पिथौरागढ़ जिले का छोटा सा गांव है। 1998 में यहां हुई लैंडस्लाइड में 255 लोगों की मौत हो गई थी। इनमें से 55 कैलाश मानसरोवर जा रहे तीर्थयात्री थे।
1999 चमोली में भूकंप : इस भूकंप की तीव्रता भी 6.8 थी। घटना में 100 लोगों की मौत हो गई थी। करीब के जिले रूद्रप्रयाग में भी काफी नुकसान हुआ था।
2013 में केदारनाथ में बाढ़ : जून 2013 में बादल फटने और ग्लेशियर टूटने की वजह से भीषण बाढ़ आई और भूस्खलन हुआ। करीब 5700 लोगों की मौत हुई। इस दौरान करीब तीन लाख लोग फंस गए थे।