एक और आंदोलनकारी की मौत:बहादुरगढ़ में दिल्ली की दहलीज पर जींद के किसान ने लगाया फंदा, लिखा-तारीख पर तारीख दे रही मोदी सरकारमृतक की पहचान हरियाणा के जींद जिले में पड़ते गांव सिंघोवाल के 52 वर्षीय कर्मबीर के रूप में हुई
3 कृषि कानूनों को वापस करवाने की मांग पर दिल्ली के चारों तरफ धरना-प्रदर्शन जारी है। इसी बीच आए दिन किसी न किसी धरने से आंदोलनकारी किसान की मौत की खबर आती रहती है। रविवार को बहादुरगढ़-दिल्ली बॉर्डर पर स्थित टीकरी में धरने पर बैठे एक और किसान ने हार मान ली। उसने सुसाइड नोट में केंद्र सरकार के खराब रवैये के परेशान होने की बात लिखी है। इस मिलाकर अब तक किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा मौत हो चुकी है।मृतक की पहचान हरियाणा के जींद जिले में पड़ते गांव सिंघोवाल के 52 वर्षीय कर्मबीर के रूप में हुई है। बीती रात ही वह अपने गांव से टीकरी बॉर्डर पहुंचा था। कर्मबीर की तीन बेटियों में से एक की शादी हो चुकी है। रविवार को बहादुरगढ़ के बाईपास स्थित नए बस स्टैंड के पास एक पेड़ पर प्लास्टिक की रस्सी का फंदा लगाकर जान दे दी। सुबह किसानों को उसका शव पेड़ से फंदे पर लटका मिला तो इसकी सूचना पुलिस को दी गई। पुलिस ने किसानों की मौजूदगी में शव को फंदे से उतारा और पोस्टमॉर्टम के लिए सिविल अस्पताल में भिजवा दिया है। परिजनों को भी सूचना दी गई है।साथी किसानों ने बताया कि कर्मबीर किसानों की मांगें सरकार की ओर से पूरी न किए जाने से परेशान था। कर्मबीर ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। प्यारे किसान भाइयो! ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख देती जा रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे, तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।
अब तक हो चुकी 200 से ज्यादा मौतें
बता दें कि अब तक किसान आंदोलन में 200 से ज्यादा मौत हो चुकी है। इनमें से सोनीपत के कुंडली और बहादुरगढ़ के टीकरी बॉर्डर के धरनों का हिस्सा रहे हरियाणा-पंजाब के ज्यादातर किसान ठंड या दिल के दौरे की वजह से मौत के आगोश में चले गए, लेकिन 10 लोग आत्महत्या भी कर चुके हैं।