आंदोलन में 5 और किसानों की मौत:किसान आंदाेलन का 75वां दिन, 210 माैत का दावा -कुछ की हादसाें में तो कुछ की ठंड या बीमारी से गई जानखापें जजपा पर दबाव बना प्रदेश सरकार गिराएं तो केंद्र कदमों में होगा: दर्शनपाल
खापों ने कहा- अब कुर्बानी देने से भी पीछे नहीं हटेंगे
कृषि कानूनाें के खिलाफ धरने में शामिल पांच किसानों की मौत हो गई। इससे आंदोलनकारियों में सरकार के खिलाफ गुस्सा और तेज हाे गया। भिवानी के कितलाना टोल पर खापों की सयुंक्त महापंचायत में रविवार को किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि खापें जजपा विधायकों पर दवाब डालकर हरियाणा सरकार को चलता कराएं। ऐसा होते ही केंद्र सरकार कदमों में होगी। तभी काले कानून रद्द होंगे।
संयुक्त रूप से हुई महापंचायत में भिवानी-दादरी जिलों की 12 से अधिक खापों ने किसानों के पक्ष में हुंकार भरी। किसान नेता राकेश टिकैत और बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि आज दिन आ गया है कि भाजपा से जल्द समर्थन वापस करवाएं। पंचायत की अध्यक्षता कर रहे दादरी विधायक एवं सांगवान खाप के अध्यक्ष सोमबीर सांगवान ने कहा कि किसानों के हक के लिए कुर्बानियां देने से पीछे नहीं हटेंगे। रविवार की सुबह टिकरी बॉर्डर पर जहां जींद के किसान ने पेड़ से लटककर जान दे दी, वहीं दो किसानों की हाॅर्ट अटैक से मौत हो गई। हिसार के अग्रोहा और झज्जर के ढासा बॉर्डर पर दिल का दौरा पड़ने से भी एक-एक किसान की जान गई।
महापंचायत में 5 प्रस्ताव पास
कुंडू के बयान से बनी असहज स्थिति
पंचायत में महम विधायक बलराज कुंडू ने अभय चौटाला के इस्तीफे को भाजपा सरकार के लिए मददगार बताया। इस पर मंच संचालक कामरेड ओमप्रकाश ने कहा कि यह राजनीतिक मंच नहीं है। ऐसा कहना गलत है। कुंडू ने कहा कि हम उस मुकाम पर हैं, जहां से जीत कर लौटने के सिवाय दूसरा रास्ता नहीं है। इस पर टिकैत ने कहा कि जीत के बाद ही गांव लौटूंगा।
सुबह से शाम तक आती रहीं अन्नदाताओं की जान जाने की खबरें… और तेज होता रहा विरोध प्रदर्शन
टिकरी बाॅर्डर पर किसान ने फंदा लगा दी जान व 3 की हार्ट अटैक से मौत
बहादुरगढ़/जींद, टिकरी बॉर्डर पर जींद के सिंघवाल गांव के 52 वर्षीय किसान कर्मबीर ने फंदा लगाकर जान दे दी। सुबह उनका शव पेड़ से लटका मिला। कर्मबीर ने केंद्र के खराब रवैये से परेशान होने की बात सुसाइड नोट में लिखी है। दाे एकड़ जमीन पर खेती करने वाले कर्मबीर 70 दिन पहले टिकरी बॉर्डर गए थे। 45 दिन पहले एक बार घर आए थे। रविवार की शाम जब टिकरी से उनका शव आया तो पत्नी व बेटियांे का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। कर्मबीर के सहारे परिवार चलता था। जिम्मेदारी मां पर आ गई है। उनकी बड़ी बेटी शादीशुदा है, जबकि दो बेटियां दीक्षा 12 साल और छोटी बेटी 5 वर्ष की है। उनकी 86 वर्षीय मां दोहती देवी दूसरे भाई के साथ रहती हैं। भाई बेदपाल का कहना है कि 2006 में कर्मबीर के 13 साल के बेटे की मौत हो गई थी। तब भी उसका हौसला नहीं टूटा था। पता नहीं इन कानूनों में ऐसा क्या है। धरने पर साथ गए भतीजे संदीप ने बताया कि शनिवार को कर्मबीर बेचैन थे। कह रहे थे कि सरकार मानने वाली नहीं है। चाहे जो मर्जी कर लो। शाम को उन्होंने खाना भी नहीं खाया था।
सुसाइड नोट में लिखा- सरकार दे रही तारीख
कर्मबीर सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है-भारतीय किसान यूनियन जिंदाबाद। प्यारे किसान भाइयों! ये मोदी सरकार तारीख पर तारीख दे रही है। इसका कोई अंदाजा नहीं कि ये काले कानून कब रद्द होंगे। जब तक ये काले कानून रद्द नहीं होंगे, तब तक हम यहां से नहीं जाएंगे।
झज्जर के कर्मवीर को सीने में था दर्द
बादली (झज्जर), झज्जर के ढासा बॉर्डर पर आंदोलन के समर्थन में धरने पर पहुंचे जिले के गांव गुड्डा के 50 वर्षीय किसान कर्मवीर पुत्र हवासिंह की सीने में दर्द के बाद मौत हो गई। बताया जा रहा है कि सीने में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें जाफरपुर के राव तुलाराम अस्पताल में ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई।
मोगा के सुखमिंदर सिंह हार्ट के थे मरीज
टिकरी बाॅर्डर पर पंजाब के माेगा जिले के 60 वर्षीय किसान
बीकेयू के ब्लाॅक प्रधान सुखमिंदर सिंह की हार्ट अटैक से माैत हाे गई। वे 26 नवंबर को आंदोलन में आए थे। उनकी नसों में कुछ दिन पहले ही स्टेंट डले थे। सुबह उन्हें घबराहट हो रही थी। करीब 7 बजे चाय पीकर ट्राॅली में जाने लगे, तभी मुंह के बल गिर गए। खबर मिलते ही उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, पर तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
संगरूर के लक्खा को सुबह पड़ा दिल का दौरा
पंजाब के संगरूर निवासी 66 वर्षीय लक्खा 26 नवंबर से ही टिकरी बॉर्डर पर ग्रीन बेल्ट में ट्रैक्टर ट्राॅली में ठहरे हुए थे। उनके साथियों ने बताया कि वे सुबह 5 बजे उठे थे। थोड़ी ही देर में हाथ में दर्द होने के बाद वे गिर गए। उन्हें अस्पताल पहुंचाया गया, पर उनकी मौत हो चुकी थी।
अब तक 13 किसान कर चुके आत्महत्या
किसान संगठनाें के अनुसार आंदाेलन में शामिल अब तक 13 किसान आत्महत्या कर चुके हैं। इन्हें मिलाकर अब तक 210 किसानाें की जान जा चुकी है। इनमें से कुछ किसानों की हादसाें में तो कुछ की ठंड या बीमारी से जान गई है। नए कृषि कानूनों के खिलाफ 74 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर पंजाब, हरियाणा और यूपी के किसान प्रदर्शन कर रहे हैं।