अयाज मेमन की कलम से:सवाल है कि अगर कुलदीप पहली या दूसरी पसंद भी नहीं तो टीम में क्यों है?पहले टेस्ट के शुरुआती दो दिन भारत के लिए मुश्किल भरे रहे हैं। बल्लेबाजी के लिए आसान पिच पर भारतीय गेंदबाजों ने अच्छा किया। लेकिन यह भी फैक्ट है कि 555 रन देकर सिर्फ 8 विकेट चटकाए। क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल हैं। लेकिन इंग्लैंड ऐसी स्थिति में पहुंच गया है, जहां से उसने खुद को हार से बचा लिया है। मैच शुरू होने से पहले कई एक्सपर्ट का मानना था कि भारतीय टीम क्लीन स्वीप करेगी। तो कई 2-0 से भारत की जीत मान रहे थे।
अभी सीरीज की शुरुआत ही है। चेपक की पिच हमेशा से पहले दो दिन बल्लेबाजी के लिए आसान होती है। लेकिन इस बार यह रनवे की तरह है। इसके बावजूद जो रूट के दोहरे शतक को कम नहीं आंका जा सकता है। सिब्ले, स्टोक्स, बर्न्स और बटलर के योगदान से इंग्लैंड ने 500 का आंकड़ा पार कर लिया। यह भारत के लिए चिंताजनक है।
लेकिन सवाल है कि क्या भारत इंग्लैंड को इतने बड़े स्कोर से रोकने के लिए कुछ कर सकता था? गेंदबाजों ने अच्छी कोशिश की। लेकिन प्लेइंग-11 पर सवाल खड़े हो रहे हैं। ऑस्ट्रेलिया में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले मोहम्मद सिराज को इशांत के अनुभव की वजह से बाहर बैठना पड़ा। यह युवा सिराज के लिए गलत है, लेकिन पूरी तरह से अनुचित नहीं।
कुलदीप को नजरअंदाज करना ज्यादा सवाल उठाता है। जडेजा की जगह अक्षर पटेल को खेलना था। लेकिन मैच से ठीक पहले चोटिल हो गए। कुलदीप के बदले नदीम को खेलने का मौका मिल गया। नदीम को घरेलू क्रिकेट का काफी अनुभव है। लेकिन सवाल यह है कि अगर कुलदीप पहली या दूसरी पसंद भी नहीं है, तो वे टीम में ही क्यों हैं?
इनसब के बीच भारत की फील्डिंग बड़ी परेशानी है। ऐसी पिच पर हाफ-चांस को भी लपकना पड़ता है। खिलाड़ियों ने कई मौके गंवाए। मैंने सोचा था कि बटलर के आउट होने पर रूट पारी घोषित कर देंगे। इससे दिन के अंत में वे भारतीय बल्लेबाजों पर दबाव बना सकेंगे। मेरी नजर में इंग्लैंड ने रक्षात्मक फैसला किया है। लेकिन परिस्थिति पूरी तरह उनकी तरफ हैं। टीम इंडिया दबाव में है।