अमित शाह की उद्धव को नसीहत:महाराष्ट्र दौरे पर शाह बोले- हम आपके रास्ते पर नहीं चलेंगे, अगर चले होते तो आपकी पार्टी का वजूद ही नहीं होताकेंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को सिंधुदुर्ग में 150 सीट के मेडिकल कॉलेज का उद्घाटन किया। इसका निर्माण राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे ने कराया है। बाद में उन्होंने महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे को पॉलिटिकल मैसेज भी दिया। कहा- हम आपके रास्ते पर नहीं चलेंगे। महाराष्ट्र में देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा की सरकार थी। आज जो आप कर रहे हैं, यही अगर हमने तब किया होता तो आपकी पार्टी का अस्तित्व भी नहीं होता। हमें यह रास्ता हमें पसंद नहीं है। हम जनकल्याण, अंत्योदय, राष्ट्र भक्ति और राष्ट्र कल्याण के मार्ग पर चलते हैं।
भाजपा नेताओं का टारगेट किया जा रहा है
शाह ने भाजपा नेताओं की चीनी मिलों को टारगेट किए जाने पर नाराजगी जाहिर की। कहा- महाराष्ट्र सरकार क्या समझती है, भाजपा कार्यकर्ता इससे डर जाएंगे। ऐसा बिल्कुल नहीं होगा, हमारे कार्यकर्ता डंके की चोट पर आमने-सामने की लड़ाई लडेंगे।
तीन पहियों की सरकार
शाह ने उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को तीन पहिए वाला ऑटो रिक्शा बताया। कहा- इस ऑटो रिक्शा वाली सरकार के तीनों पहिए अलग-अलग दिशा में चलते हैं। विधानसभा चुनाव में जनता ने जो पवित्र जनादेश दिया था। उसका सत्ता के लालच में अनादर किया गया। जो लोग हम पर वादा तोड़ने का आरोप लगाते हैं। उनसे कहना चाहता हूं कि हम वादे पर खरे उतरने वाले लोग हैं। बिहार में भाजपा की सीटें नीतीश कुमार की पार्टी से ज्यादा आने के बावजूद हमने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया।
बंद कमरे की पॉलिटिक्स नहीं करते
शाह ने कहा- वे (उद्धव) कहते हैं कि हमने बंद कमरे में वादा किया था। और यह वादा मैंने किया था। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि मैं कभी भी बंद कमरे में वादा नहीं करता, जो करता हूं डंके की चोट पर सार्वजनिक रूप से करता हूं। मैंने कभी कमरे की पॉलिटिक्स नहीं की। मैं जनता के बीच रहने वाला व्यक्ति हूं। किसी से नहीं डरता, और जो होता है सब के बीच धड़ल्ले से करूंगा।
शाह ने कहा- मैं फिर कहता हूं कि मैंने उनसे (उद्धव ठाकरे) कोई वादा नहीं किया था। मैं उद्धव से पूछता हूं कि जब चुनाव प्रचार में हमने देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में सरकार बनाने की बात कही, तो आपने क्यों कुछ नहीं कहा? दरअसल, भाजपा ने शिवसेना अध्यक्ष से कोई वादा नहीं किया था। शिवसेना ने सत्ता के मोह में बाला साहेब ठाकरे के सभी सिद्धांतों को तापी नदी में डाल दिया और उद्धव मुख्यमंत्री बन गए।