विश्व कैंसर दिवस:गुजरात की डॉ. ने दान किए अपने बाल, कहा- असली सुंदरता बालों से नहीं, अच्छी सोच और विचारों से होती हैडॉ. स्मिता मोरारजी देसाई इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी एंड योगिक साइंस की स्टूडेंट्स हैं, उनके पिता नटवरलाल भी नैचरोपैथी के प्रसिद्ध वैद्य हैं
आज वर्ल्ड कैंसर डे पर गुजरात की एक डॉक्टर ने अपने तीन फीट लंबे बाल दान कर दिए। भावनगर की रहने वाली डॉ. स्मिताबेन वनरा ने लीला सर्कल के पास स्थित एक सैलून में बाल कटवाए। इसके बाद उन्होंने अपने बाल टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल (अहमदाबाद) को दान कर दिए। डॉ. स्मिता ने बताया कि, कैंसर में बाल गंवाने वाले मरीजों की वीग के लिए मेरे बाल काम आएंगे इसलिए मैं इसे दान कर रही हूं। कैंसर पीड़ितों के लिए उनके इस छोटे से प्रयास की लोग सराहना कर रहे हैं।
असली सुंदरता अच्छी सोच और विचारों से होती है : डॉ. स्मिता
डॉ. स्मिताबेन वनरा ने बताया कि बाल महिलाओं का आभूषण होता है। हर महिला को सबसे ज्यादा अपने बालों से प्रेम होता है। आज कैंसर दिवस पर मैंने अपनी सबसे प्रिय चीज दान की है। असली सुंदरता बालों से नहीं, बल्कि अच्छी सोच और विचारों से होती है।कैंसर मरीजों के दर्द की तुलना में मेरे बाल कुछ नहीं
डॉ. स्मिता इस समय मोरारजी देसाई इंस्टीट्यूट ऑफ नेचरोपैथी एंड योगिक साइंस की स्टूडेंट हैं। स्मिता कहती हैं कि मैंने कैंसर मरीजों की तकलीफ को देखा और महसूस किया है। मैं जानती हूं कि इलाज के दौरान वे किस मानसिक और शारीरिक तकलीफ से गुजरते हैं। मेरे बाल दान करना तो उसके आगे कुछ भी नहीं है।पिता नटवरलाल भी नैचरोपैथी के जाने-माने वैद्य
डॉ. स्मिता के पिता नटवरलाल भी नैचरोपैथी के जाने-माने वैद्य हैं। वे देश-विदेश में प्रसिद्ध हैं। वे नैचरोपैथी से कई मरीजों के असाध्य रोगों का इलाज कर चुके हैं। डॉ. स्मिता के माता-पिता समाज-सेवी भी हैं। पिता नटवरलाल बताते हैं कि बेटी पर परिवार के संस्कारों का ही असर है कि वह दूसरों की तकलीफ महसूस करती है।