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किसान आंदोलन कृषि कानूनों का विरोध:कंडेला से 19 साल बाद किसानों के हक की आवाज उठी,

किसान आंदोलन कृषि कानूनों का विरोध:कंडेला से 19 साल बाद किसानों के हक की आवाज उठी, किसान नेता बोले- जमीन हमारी मरोड़, चली गई तो क्या बचेगाकैथल, हिसार, करनाल समेत पंजाब से पहुंचे किसान, खाप प्रतिनिधियों ने लिया हिस्सा
युद्धवीर बोले- मोदी सरकार हड़पना चाह रही हमारी जमीन
कंंडेला गांव से 19 साल बाद फिर बुधवार को किसानों के हक की अवाज बुलंद की गई। गांव के राजीव गांधी स्टेडियम में हुई किसान महापंचायत में साड्डा हक, इत्थे रख के नारे लगे। वक्ताओं ने कहा कि किसान हक के लिए लड़ रहा है। इस धरती से सालों पहले किसानों ने हक की आवाज उठाई थी। आज फिर यहीं किसान जुटे हैं। मंच से हरियाणा-पंजाब किसान एकता, जय जवान-जय किसान और इंकलाब-जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए।

मंच से भाकियू के महासचिव युद्धवीर सिंह ने भाजपा सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि देश में तरह-तरह की यात्राएं निकाली जा रही हैं। राम मंदिर के नाम पर पैसा एकत्रित किया जा रहा है। किसान का राम उसके काम में बसता है। वह काम शुरू करने से पहले राम का नाम लेता है। हमारा राम किसी मंदिर या मूर्ति में नहीं है। इन लोगों ने राम के पास पर दुकानें खोल ली हैं।

किसान का राम उसके खेत, कर्म और मेहनत में बसा है। आज ये लोग किसानों की जमीन हड़पना चाहते हैं। जमीन हमारी मरोड़ है। जमीन चली गई तो हमारे पास क्या बचेगा? जो देश का पीएम है, वह अपने परिवार का नहीं हुआ। वह देश की क्या सेवा करेगा। आंदोलन के दौरान इन लोगों ने मां-बहनों को पीटने का काम काम। हमने चेतावनी दी कि ये शाहीन बाग नहीं है, ये देश के किसान हैं।

किसानों के लिए कुर्बानियां देंगे : गुरनाम

भारतीय किसान यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि देश सैकड़ों कुर्बानियां देकर आजाद हुआ है। आज फिर काले कानूनों से आजादी के लिए लड़ाई चल रही है। किसान इसके लिए कुर्बानी देने को तैयार हैं। यह आंदोलन किसान आंदोलन के रूप में शुरू हुआ था, लेकिन आज पूरे देश का जन आंदोलन बन गया है।

जितने कानून सरकार बना रही है, वह केवल पूंजीपतियों के लिए बना रही है। पहले देश सोने की चिड़िया कहलाता था, लेकिन मिट्टी की चिड़िया भी नहीं रह गया। यह सरकार केवल पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है। अडानी, अंबानी 90 करोड़ रुपए कमाते हैं और इतना ही देश के किसानों पर कर्ज है। हर साल 3 से 4 लाख किसान कर्ज के कारण आत्महत्या कर लेते हैं।

कील बंदी कर खुली जेलें बनाईं : राजेवाल

​​​​​​​पंजाब के किसान नेता सरदार बलबीर सिंह राजोवाल ने कहा कि सबसे बड़ा योगदान देश के किसानों का है। यह पहला आंदोलन है, जिसे दुनिया देख रही है। अफसोस है कि मोदी सरकार किसानों से जैसा बर्ताव कर रही है, किसी देश की सरकार ने किसानों के साथ ऐसा नहीं किया।

सरकार से 11 मीटिंग हुई। दिल्ली में कील बंदी गई है और बैरीकेड्स लगाए जा रहे हैं। किसी दुश्मन के लिए आज तक ऐसा नहीं किया गया। एक तरह से ओपन जेल बना दी गई है। महम के विधायक सोमबीर सांगवान ने कहा कि केंद्र सरकार लोकतंत्र को खत्म करने में लगी हुई है और लोग उसको बचाने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। सरकार को कानून वापस लेने होंगे। इसके लिए हर घर से एक व्यक्ति को आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए।

बोलने के लिए टिकैत खड़े हुए तो गिर गया मंच, कोई घायल नहीं

कंडेला गांव में किसान महापंचायत के दौरान जैसे ही किसान नेता राकेश टिकैत बोलने के लिए मंच पर खड़े हुए, तभी एक मिनट के अंतराल में मंच धड़ाम से गिर गया। मंच पर ज्यादा लोगों की भीड़ पहुंच गई थी। आयोजकों द्वारा मंच पर पहुंचे लोगों से बार-बार नीचे उतरने की अपील की जा रही थी, लेकिन किसान नेता टिकैत से मिलने और फोटो खींचवाने के चक्कर में अत्यधिक भीड़ मंच पर पहुंच गई।

जैसे ही मंच से कंडेला खाप के प्रधान टेकराम कंडेला ने राकेश टिकैत को संबोधन के लिए पुकारा तो वह खड़े हो गए, लेकिन मंच संचालक द्वारा 28 जनवरी की रात को जाम लगाने वाले लोगों के नाम गिनाए जाने लगे। वह नाम बोल ही रहे थे कि मंच गिर गया और जोर से धमाके की आवाज आई।

गनीमत रही कि किसी को चोट नहीं आई। उस समय मंच पर गुरनाम चढूनी, बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. राजेंद्र सूरा समेत कई नेता बैठे थे। मंच गिरते ही खड़े लोगों ने किसान नेताओं को उठाया। आयोजक टेकराम कंडेला ने राकेश टिकैत को संभाला और खड़ा किया।

मंच के नीचे बच्चा दबने की सूचना से भगदड़

गिरे मंच के पास ही किसी ने बच्चा दबने की अफवाह उड़ा दी। इस पर मंच के लिए लगाए मेज उठाकर दूसरी तरफ फेंकी गई। इससे हल्की सी भगदड़ मच गई और लोग एक-दूसरे पर गिरने लगे, लेकिन नीचे कोई नहीं मिला। फिर टिकैत ने मंच से सब ठीक होने की घोषणण की।

हरियाणवी रंग: गाना गाते पहुंचीं महिलाएं

किसान महापंचायत में महिलाओं की संख्या भी अच्छी-खासी थी। गांव की महिलाएं चबूतरे से होते हुए गाने गाकर महापंचायत में पहुंची। कई बुजुर्ग अपने साथ हुक्का लेकर आए हुए थे और महापंचायत में जाते हुए हुक्का गुडग़ुडाते नजर आए।

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