किसान आंदोलन:अमेरिका ने भारत के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया, कहा- यह बाजार की सेहत भी सुधारेंगेअमेरिका ने भारत में मोदी सरकार के नए कृषि कानूनों का समर्थन किया है। जो बाइडेन एडमिनिस्ट्रेशन ने कहा- भारत सरकार के इन कदमों की तारीफ की जानी चाहिए। इससे भारतीय बाजार की हालत बेहतर होगी और प्राइवेट सेक्टर में ज्यादा इन्वेस्टमेंट आएगा।
अमेरिका की तरफ से यह बयान ऐसे वक्त आया है जबकि क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग और सिंगर रिहाना ने किसान आंदोलन का समर्थन किया है। अमेरिका के पड़ोसी देश कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भी किसान आंदोलन का समर्थन कर चुके हैं। भारत में आज किसान आंदोलन का 71वां दिन है।
शांतिपूर्ण आंदोलन के पक्ष में अमेरिका
अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने पहली बार भारत में जारी किसान आंदोलन पर टिप्पणी की। बुधवार को डेली ब्रीफिंग के दौरान प्रवक्ता ने कहा- अमेरिका किसी भी शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करता है, यह लोकतंत्र की पहचान है। अगर कोई मतभेद है तो उसे मामले से जुड़े पक्षों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने भी यही कहा है।
किसान आंदोलन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में
किसान आंदोलन बुधवार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गया। दुनिया की कुछ बड़ी हस्तियां भारतीय किसानों के सपोर्ट में आ गईं। भारतीय हस्तियों ने भी पलटवार किया और बहकावे में न आने की अपील की। विदेश मंत्रालय ने भी अपील की कि अपनी बात रखने से पहले मुद्दे को समझ लें। उधर, सरकार ने ट्विटर को नोटिस जारी कर किसानों की हत्या की साजिश का दावा करते ट्वीट्स तुरंत हटाने को कहा।
क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग, सिंगर रिहाना, पॉर्न स्टार मिया खलीफा और अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस की भतीजी मीना हैरिस ने किसान आंदोलन का समर्थन किया। विदेशी सेलिब्रिटीज को जवाब भारत से मिला। सचिन तेंडुलकर ने इसे भारत का अंदरूनी मामला बताया। कंगना ने किसानों को आंतकी बता दिया। कुछ और बॉलीवुड स्टार्स ने मामले को शांति से सुलझाने की बात कही।
विदेश मंत्रालय ने कहा- पहला मामला तो समझ लें
सोशल मीडिया पर मामला बढ़ता देख विदेश मंत्रालय को बयान जारी करना पड़ा। इसमें कहा गया, ‘हम गुजारिश करेंगे कि ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से पहले तथ्यों का पता लगाया जाए और मुद्दों को अच्छी तरह समझ लिया जाए। सोशल मीडिया पर सनसनीखेज हैशटैग और टिप्पणियां लुभावनी बन जाती हैं, खासकर तब, जब मशहूर हस्तियों और अन्य लोग इससे जुड़ जाते हैं, जबकि उनका बयान न तो सटीक होता है और न ही जिम्मेदाराना।’