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आंदोलन में जाट नेताओं का पूरा जाेर:दिव्या मदेरणाा के बाद राजाराम मील भी राकेश टिकैत से मिले,

किसान आंदोलन में जाट नेताओं का पूरा जाेर:दिव्या मदेरणाा के बाद राजाराम मील भी राकेश टिकैत से मिले, लोकगीतों से वापस आंदोलन को ताकत मिल रहीसांसद हुनमान बेनीवाल व रामपाल जाट पहले से आंदोलन में शामिल
शाहजहांपुर-हरियाणाा बॉर्डर पर फिर से लोक गीतों के जरिए किसान आंदोलन वापस जोर पकड़ने लगा है। यही नहीं राजस्थान प्रदेश के जाट नेताओं ने आंदोलन को मजबूत करने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। जो दिल्ली के नेताओं से मिलने से लेकर प्रदेश में किसानों के बीच भी रहते हैं। तभी तो शाहजहांपुर बाॅर्डर पर वापस किसानों की संख्या बढ़ी है। लंगर भी पहले से ज्यादा हो गए हैं।राजाराम मील मिले राकेश टिकैत से
जोधपुर क्षेत्र से विधायक दिव्या मदेरणा की तरह शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर के किसान नेता राजाराम मील भी एक दिन पहले ही दिल्ली में किसान नेता राकेश टिकैत से मिलकर वापस लौटे हैं। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल पहले से ही किसान आंदोलनाकारियों के बीच में हैं। वहीं, शाहजहांपुर बॉर्डर पर सबसे पहले किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट के नेतृतव में पड़ाव डालना शुरू किया गया था। जो अब तक बॉर्डर के अलावा दिल्ली के किसान नेताओं के साथ आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं।फिर से कई राज्यों के लोकगीत से ताकत
एक बार फिर से शाहजहांपुर हरियाणा बॉर्डर पर लोकगीतों से किसानों का मनोरंजन होने लगा है। ये लोकगीत ही किसान आंदोलन को मजबूती दे रहे हैं। 26 जनवरी से पहले भी यहां किसानों के बीच अलग-अलग प्रदेश के प्रचलित लोकगीतों ने किसानों को खूब मनोरंजन किया है। उसी मंनोरंजन की कड़ी को किसानों ने वापस आगे बढ़ाया है।

किसान नेताओं का संबोधन भी
बॉर्डर पर नियमित रूप से किसान नेताओं का संबोधन होता है। जो बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे किसानों को कानून की जानकारी देने के अलावा सरकार के नेताओं के बयान व आगे की जानकारी देते हैं। ताकि किसान सरकार के बारे में जानते रहें।

बढ़ सकती है सुरक्षा
टीकरी व सिंघु बॉर्डर की तरह शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर भी सरकार की ओर से सुरक्षा बढ़ाई जा सकती है। असल में 6 फरवरी को किसानों की ओर से नेशनल हाइवे व स्टेट हाइवे जाम करने की घोषणा हो चुकी है। जिसे देखते हुए सरकार की परेशानी बढ़ी है। इससे पहले किसानो की सरकार के साथ वार्ता भी होनी है। लेकिन, अब तक की वार्ताओं से कोई निष्कर्ष नहीं निकला। अब इस बातचीत में क्या होगा। इस पर सबकी निगाहें हैं।

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