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42 गांवों की महापंचायत:हाईवे खाली कराने पहुंचे नजदीकी गांवों के लोग, बोले-तकलीफ दे रहा धरना,

42 गांवों की महापंचायत:हाईवे खाली कराने पहुंचे नजदीकी गांवों के लोग, बोले- तकलीफ दे रहा धरना, किसानों का इनकारडीसी से मिलने के लिए ग्रामीणों ने 11 लोगों की कमेटी बनाई
आंदोलनकारी बोले- हमें खालिस्तानी बताने वालों से कोई बात नहीं करेंगे
अजय भाटिया दिल्ली-जयपुर हाईवे के खेड़ा-शाहजहांपुर बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारियों को हटाने के लिए स्थानीय लोग और पेट्रोल पंप संचालक मशक्कत कर रहे हैं, मगर किसान डटे हैं। 24 घंटे का अल्टीमेटम देने वाले ग्रामीण और पेट्रोल पंप संचालकों ने रविवार को महापंचायत की। आंदोलनकारियों के पास बातचीत का प्रस्ताव भेजा, मगर उन्होंने वार्ता को खारिज कर दिया।

आंदोलनकारियों ने कहा कि हमें खालिस्तानी बताने वालों से बातचीत नहीं करना चाहते। ग्रामीण 2 घंटे तक धरने पर बैठे रहे, मगर समाधान नहीं निकला। आखिर सोमवार को रेवाड़ी डीसी से मुलाकात के बाद आगे की रणनीति तैयार करने के निर्णय के साथ ग्रामीण वापस लौट गए। 4 बार पंचायतें कर ग्रामीण प्रदर्शनकारियों से बात करने जा चुके हैं, मगर हल नहीं निकला। सेामवार को तीसरी बार रेवाड़ी डीसी समेत पुलिस प्रशासन से बातचीत के लिए 11 लोगों की कमेटी बनाई गई है।

हाईवे न खुला तो तेल डिपो की तालाबंदी करेंगे ग्रामीण

हरियाणा-राजस्थान के बॉर्डर पर भी किसान प्रदर्शन कर रहे हैं। बॉर्डर से लगते 84 गांवों ने महापंचायत में फैसला किया कि हाईवे बंद होने से कारोबार प्रभावित हो रहा है। सोमवार को हाईवे न खोला गया तो रेवाड़ी तेल डिपो की तालाबंदी कर हरियाणा-राजस्थान के 10 जिलों की ईंधन सप्लाई बंद करेंगे।

तर्क, 120 पेट्रोल पंप बंद, ढाबे, दुकानें और उद्योग भी प्रभावित

किसान संगठन 13 दिसंबर से दिल्ली-जयपुर हाईवे पर बैठे हैं। पेट्रोलियम डीलर एसोसिएशन के प्रधान अनिल पप्पू समेत अन्य ने कहा कि खेतों में फसल बर्बाद हो रही है। दुकानें बंद हैं, ढाबे भी ठप हो गए हैं। आसपास की औद्योगिक इकाइयों पर असर पड़ा है। खेड़ा से धारूहेड़ा तक करीब 120 पेट्रोल पंपों पर काम बिल्कुल बंद पड़ा है। हर पंप पर 20-30 कर्मचारी काम करते हैं, जिनके सामने रोजी रोटी का संकट है।

बदले तेवर, पहले दिल्ली, अब हाईवे पर अड़े किसान

साहबी पुल के निकट एनएच-48 से धरने को अल्टीमेटम देकर उठवा दिया था। एनएच-71 का गंगायचा टोल पुलिस ने खाली कराया, मगर खेड़ा मोर्चा चुनौती बना है। पहले किसान दिल्ली जाने की बात कहते थे, अब तेवर बदलते हुए कहते कानून रद्द होने तक किसी भी सूरत में हाईवे नहीं छोड़ेंगे।

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