लॉकडाउन में रेस्टोरेंट बंद हुआ तो नैनो कार में फूड बिजनेस शुरू किया, हर महीने एक लाख रुपए कमा रहेमुंबई के पंकज 20 साल तक बतौर शेफ बड़ी होटलों में कर चुके हैं नौकरी, अब दूसरों को भी दे रहे काम
मुंबई के पंकज नेरुरकर लॉकडाउन के पहले तक खुद का रेस्टोरेंट चला रहे थे। कोरोना के चलते पहले रेस्टोरेंट बंद हुआ। फिर जब दोबारा खुला भी तो ग्राहक ज्यादा नहीं आ रहे थे। खर्चा उठाना महंगा पड़ रहा था। इसलिए पंकज ने रेस्टोरेंट बंद कर दिया। अब सवाल ये था कि, जिंदगी के गुजर-बसर के लिए क्या करें। पत्नी के साथ डिस्कस करते हुए आइडिया आया कि, क्यों न घर में खड़ी नैनो से ही फूड बिजनेस शुरू किया जाए। घर में फूड बनाएं और बाहर ले जाकर बेचें।
बतौर शेफ बीस साल काम का अनुभव है
पंकज कहते हैं, ‘मैं पेशे से शेफ हूं। बीस साल तक बड़ी-बड़ी होटलों में जॉब की है, इसलिए अच्छा खाना बनाना जानता हूं।’ पत्नी के साथ डिस्कस करने के बाद पंकज ने अक्टूबर से बिजनेस शुरू कर दिया। कहते हैं, ‘मैं गिरगांव चौपाटी पर गाड़ी खड़ी करता हूं। हर रोज पंद्रह आइटम रखता हूं। हर दिन मैन्यू अलग रहता है।’शुरुआती एक हफ्ते में कोई ग्राहक नहीं आया
शुरुआती एक हफ्ते तक तो पंकज का बिजनेस चला ही नहीं। कहते हैं, ‘निराश होकर मैन्यू लगाना भी बंद कर दिया था। हर रोज खड़े रहता था लेकिन एक-दो ग्राहक भी नहीं आ रहे थे। इसके बावजूद काम बंद नहीं किया। धीरे-धीरे एक-एक, दो-दो ग्राहक आना शुरू हुए। उन्हें टेस्ट पसंद आया तो वो अपने साथ दूसरे ग्राहकों को भी लाने लगे।’
पंकज कहते हैं, ‘रेस्टोरेंट में जो आइटम में 300 रुपए में देता था, वो यहां 100 रुपए में दे रहा हूं। क्योंकि, ग्राहक बढ़ेंगे तो मेरा प्रॉफिट भी बढ़ जाएगा। लेकिन, यदि रेट बहुत ज्यादा रहा तो ग्राहक नहीं जोड़ पाऊंगा।’ इसी कॉन्सेप्ट पर पंकज आगे बढ़ रहे हैं। जो ग्राहक आ रहे हैं, उन्होंने उनका एक वॉट्सऐप ग्रुप भी क्रिएट कर लिया है। अब ग्रुप में मैन्यू अपडेट करते हैं।
हर रोज 4 हजार रुपए की कमाई
पिछले कुछ महीनों से बिजनेस ने रफ्तार पकड़ ली है। कहते हैं, ‘हर रोज करीब 4 हजार रुपए का बिजनेस हो जाता है।’ महीने का जोड़ें तो एक लाख से ऊपर की कमाई है। तीन वर्कर भी रखे हैं। पत्नी साथ में काम करवाती हैं। पंकज अब अपने नैनो फूड के मॉडल को ही आगे बढ़ाना चाहते हैं। पंकज के मुताबिक, ‘मेरा लक्ष्य कम दाम में ग्राहकों को स्वादिष्ट भोजन देने का है।
पंकज कहते हैं कि, जो लोग फाइव स्टार होटल में नहीं खा सकते, उन्हें वही टेस्ट नैनो फूड में देना है। अभी दोपहर बारह से तीन और शाम को पांच से रात के ग्यारह बजे तक सर्विस दे रहा हूं। कहते हैं, ‘हर रोज 17 से 18 घंटे की मेहनत होती है, तब इतनी अच्छी सर्विस मैं ग्राहकों को दे पा रहा हूं।’