आंदोलन के लिए जिले की पंचायतें जुटाएंगी, 6.25 करोड़, किसानों के खान-पान से लेकर वाहनों के नफे-नुकसान का भी ले रहीं जिम्मादिल्ली बॉर्डर पर बढ़ रही जिले के किसानों की तादाद,
सबसे ज्यादा जाटू खाप 84 व सर्व श्योराण खाप के किसान हर दूसरे घर से 48-48 घंटे बाद पहुंचेंगे
नए कृषि कानूनों के खिलाफ बड़ी तादाद में किसानों का जमावड़ा शुरू हो गया है। सबसे ज्यादा बवानी खेड़ा, तोशाम व लोहारू क्षेत्र के किसानों ने आवाज बुलंद की हैं। किसान संगठनों व खापों ने किसान आंदोलन को आर्थिक मद्द पहुंचाने के लिए पंचायत स्तर पर अंतिम फैसला छोड़ दिया है। इसके चलते जिले की पंचायतों ने आंदोलन को मजबूत करने के लिए रविवार को अंतिम निर्णय लेते हुए गांव स्तर पर बनी किसानों की कमेटियों के माध्यम से चंदा जुटाना शुरू कर दिया है।
पंचायतों द्वारा गठित किसान कमेटियों ने कई जगह तो कंडीशन के तहत किसान आंदोलन का खर्च उठाने के लिए ग्रामीणों पर प्रति एकड़ या कुढी-तागड़ी (परिवार के हिसाब से) 100 से 500 रुपये तक चंदा और राशन भी जुटाना शुरू कर दिया है। तो कई गांवों की पंचायतों ने प्रति एकड़ 50 से 200 रुपये, सरकारी कर्मचारी की दस से तीस दिन की तनख्वाह, गैर सरकारी कर्मचारी से 1100 से 5100 रुपये की मद्द, पेंशनर से आधे माह की पेंशन दान, सरपंच से 21 हजार रुपये, पूर्व सरपंच से 11 हजार, पंचायत मैंबर से 2100 रुपये, पूर्व पंचायत मैंबर से 1100, दुकानदारों से 1100 से 5100 रुपये तक सहायता लेने का अंतिम प्रस्ताव पास किया है। इतना ही नहीं गठित कमेटियां अलग से 21 सौ रुपये से लेकर 31 हजार रुपये तक का चंदा किसान आंदोलन के लिए देगी। ऐसे में प्रति गांव से आंकड़ा अनुसार जिले की पंचायतें आंदोलन पर करीब 6.25 करोड़ रुपये का चंदा एकत्रित करेंगी। इतना ही नहीं कई पंचायतों ने तो दिल्ली बॉर्डर पर गए किसानों के खान-पान से लेकर ट्रैक्टर व अन्य संसाधनों के नफा-नुकसान की जिम्मेदारी भी ली है।
100 ट्रॉलियों में राशन के साथ 1200 ट्रैक्टरों पर किसानों का दिल्ली कूच
सभी जानकारियां दो बही खातों में हो रहीं दर्ज
पंचायतों द्वारा गठित किसान कमेटियां ने आंदोलन को बनाए रखने के लिए हर गांव में दो बहीखाते लगा लिए हैं। पहली बही में ग्रामीणों द्वारा दिया जा रहा चंदा व राशन को दर्ज कर रही है, तो दूसरी बही में दिल्ली बॉर्डर व जिले में चल रहे धरनों पर भेजी जाने वाली राशि व राशन से लेकर पंचायत स्तर पर आंदोलन के लिए लगाए वाहनों पर खर्च का ब्यौरा दर्ज कर रही है। कमेटियों द्वारा बहीखाता लगाने का मकसद गांव से लिए गए चंदे व राशन का हिसाब किताब रखना है।
रविवार को 36 बिरादरी के सरकारी-गैर सरकारी कर्मचारियों ने भी दिल्ली कूच कर दिखाई भागेदारी
टिकैत के इमोशन्स से पलटे किसान आंदोलन में जिले के किसानों का दिल्ली बॉर्डर का रुख लगातार जारी है। रविवार को 100 ट्रॉलियों में ताजा सब्जियां, दूध, दही, लस्सी व खान पान की जरूरत का अन्य सामान के साथ 1200 सौ ट्रैक्टरों पर किसानों ने दिल्ली कूच किया। रविवार को अवकाश होने के कारण जिले से बड़ी संख्या में 36 बिरादरी के सरकारी व गैर सरकारी ने भी दिल्ली कूच कर अपनी भागेदारी दी है। तो वहीं बवानी खेड़ा व लोहारू क्षेत्र से 2 हजार महिला किसानों ने भी टिकरी बॉर्डर का रूख किया है। जिले भर के अलग अलग गांवों से निकले करीब 100 ट्रैक्टर-ट्रालियों में गए राशन को टिकरी बॉर्डर के पकौड़ा चौक पर बने जिले के किसानों के डेरों पर 12 से 2 बजे तक बांटने के बाद पंजाब के किसानों के डेरों पर भी दूध, दही, लस्सी, आटा, सब्जी व देशी घी दिया गया है।
छह गांवों के पांच-पांच किसान दिल्ली में बॉर्डर पर रहेंगे तैनात
लोहारू| लाड बारवास गांव के बस स्टैंड पर चल रहे भिवानी व दादरी जिले के संयुक्त धरने पर रविवार को एक बैठक की। इसमें फैसला लिया गया की धरने पर बैठने वाले 6 गांवों के पांच-पांच किसान दिल्ली धरने पर 5 दिन तक रोटेशन के हिसाब से रुकेंगे।
रविवार को लाड बारवास गांव के धरने पर किसान नेताओं ने सर्वसम्मति से फैसला लिया कि किसान आंदोलन को मजबूत करने के लिए हर गांव के पांच व्यक्ति दिल्ली में धरने पर जाएंगे और अपना पूर्ण समर्थन संयुक्त किसान मोर्चा के धरने को देंगे। इस दौरान किसानों ने फैसला लिया कि 5 व्यक्ति 5 दिन तक धरने पर रुकेंगे और इसके उपरांत दूसरे पांच लोगों को धरने पर उनके स्थान पर भेजा जाएगा, ताकि वहां पर किसानों की संख्या अधिक से अधिक अधिक रखी जा सके।
धरने को सदानंद सरस्वती, सुनील खरकड़ी, कर्मबीर फरटिया सहित अनेक गणमान्य लोगों ने अपना समर्थन दिया। इधर बरालू ओर नकीपुर में भी धरनों पर सैकड़ों किसान पहुंचे हैं और तीन कृषि कानूनों को वापस लेने को मांग करते हुए नारेबाजी की।
जानिए…खापों और पंचायतों के बड़े फैसले
जाटू खाप 84 के प्रधान सूबेदार राजमल सिंह ने कहा कि खाप के हर दूसरे घर से किसान दिल्ली बॉर्डर व जिले में चल रहे धरनों पर जाएंगे। ये 48-48 घंटे बाद ड्यूटियां बदल भी सकते हैं। इसके अलावा खाप के गांवों से प्रति एकड़ या कुढ़ी-तागड़ी 100 से 500 रुपये चंदा भी लिया जाएगा। वहीं सर्व जातीय श्योराण खाप ने भी हर दूसरे घर से आंदोलन में भाग लेने के अलावा प्रति एकड़ 100 रुपये चंदा जुटाने को कहा है। बड़सी मजरा पंचायत ने प्रति एकड़ चंदा व कर्मचारी, पंचायत प्रतिनिधि व पेंशनर से दान लेने का फैसला पास किया है। बड़सी मजरा से कमेटी सदस्य पूर्व सरपंच दिलबाग सिंह ने कहा है कि वे आंकलन के लिए एक करोड़ रुपये जुटाएंगे। पंघाल खाप व टेही खाप ने भी आंदोलन में हिस्सा लेने के लिए कुढ़ी अनुसार जिम्मेदारियां सौंपी हैं। रामअवतार अनुसार बलियाली गांव में दो लाख रुपये जुटाए हैं।
मिरान चौक पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू
तोशाम| संयुक्त किसान मोर्चा तोशाम ने मिरान चौक पर मिरान, भेरा, सिढाण, जैनावास, देवावास, मंढाण, खावा, भारीवास, झूल्ली, गारणपुरा, दरियापुर, दरियापुर ढाणी, चनाणा, बिड़ोला, कतवार, कतवार ढाणी, मीराण ढाणी के किसानों की महापंचायत मंजीत सिहाग की अध्यक्ष्ता की। संचालन रणधीर सिढाण ने किया। उधर, खरकड़ी माखवान में भी निहाल सिंह की अध्यक्षता में पंचायत हुई। फैसलों के बारे में रमेश पंघाल ने बताया कि हर घर से सहयोग राशि ली जाएगी। गांव से 10 व्यक्ति रोज दिल्ली धरने में पहुंचेंगे। धरने को किसान सभा के प्रधान कर्ण सिंह जैनावास, कविता आर्य पातवान, दिनेश सिहाग ने संबोधित किया। आंदोलन संचालन के लिए गठित कमेटी सहयोग राशि व खाद्य सामग्री जुटाने के साथ हर घर से एक व्यक्ति की आंदोलन में भागीदारी सुनिश्चित करेगी।
एनएच 9 पर 60 और कितलाना टोल पर 38 दिन से लंगर, किसानों के लिए बन रहा हलवा-पूरी व खीर
चांग | दिल्ली के चौतरफा बॉर्डरों पर किसान आंदोलन को 66 दिन से भी अधिक हो गए हैं। ऐसे में पंजाब, सिरसा, फतेहाबाद व हिसार की ओर से आने वाले किसानों के लिए मुंढाल के नेशनल हाईवे 9 पर लगे लंगर चलते दो माह हो गए हैं, जबकि कितलाना टोल पर चल रहे किसानों के धरने पर चल रहे लंगर को भी आज 38 दिन हो गए हैं।
इन लंगरों पर आसपास के गांवों से महिला किसान व युवा सेवा करने के लिए दिन रात डटे रहते हैं। लंगर पर आने वाला खर्च भी कमेटियां व ग्रामीण अपने स्तर पर उठा रहे हैं। बाहर से आने वाले किसानों को खान पान के राशन की चिंता नहीं है। राहगीर भी मददगार बनकर सामने आ रहे हैं। लंगरों पर जहां पहले दाल सब्जी रोटी व चाय पानी की व्यवस्था रहती थी अब वहां का मैन्यू कार्ड भी बदल गया है। अब इसके साथ साथ लंगर में खीर, हलवा व पूरी भी मिल रही हैं। जिले में चल रहे धरनों पर अब खाने-पीने की समस्या आती नहीं दिख रही, क्योंकि किसान राशन की ट्रॉलियां भर कर पहुंचाने लगे हैं। इतना ही नहीं किसानों का साथ देने के लिए जिले भर के मजदूर-किसान संगठनों के अलावा कई सामाजिक संगठन भी पहुंच रहे हैं।
रोज 60 क्विंटल आलू-गोभी व 150 किलो पनीर पक रहा
मुंढाल नेशनल हाईवे 9 पर चल रहे लंगर से अशोक हलवाई, सिल्लू हलवाई, सरोज, पिंकी व उषा बताती हैं कि 27 जनवरी की रात से किसानों के जत्थे दोबारा दिल्ली की ओर जाने लगे हैं। हर रोज सात से दस हजार किसान लंगर छक रहे हैं। जिले भर में चल रहे धरनों पर चल रहे लंगरों में रोजाना 60 क्विंटल गोभी-आलू, 8 क्विंटल मटर और डेढ़ क्विंटल पनीर पक रहा है। चाय के लिए रोजाना 30 क्विंटल दूध और 80 किलो चायपत्ती खप रही है। 60 क्विंटल आटे से रोटियां बड़े-बड़े तवों पर जत्थेदार महिलाएं बना रही हैं।
मुंढाल: हर घंटे बन रहीं 600 रोटियां
मुंढाल चौक पर किसानों की बढ़ती हुई संख्या के चलते अब रोटियां बनाने के लिए महिलाएं लगातार 18 घंटे तक भी सेवाएं दे रही है, जो हर घंटे 600 रोटियां बनाती हैं। इतना ही नहीं सुबह 5 से दोपहर 12 बजे तक आने वाले किसानों के लिए मिक्स आलू-गोभी परांठा बनता है। दोपहर बाद तंदूरी-तवी रोटियां, गोभी और चने की सब्जी किसानों के लिए तैयार होती है।
जिले में यहां चल रहे हैं धरने और लंगर
मुंढाल के नेशनल हाईवे 9 पर लंगर के अलावा किसानों के रहने व सोने की भी व्यवस्था की गई है। तो कितलाना टोल पर 24 घंटे लंगर चलता रहता है। इसके अलावा जिले में गोपालवास, बहल, चैहड़ कलां, ओबरा, सलेमपूर, सुरपूरा, बारवास लाड, खरकड़ी, नकीपुर, बुढेड़ा, बरालू, थिलोड़, खरकड़ी माखवान, पटैादी व मिरान में धरने चल रहे हैं जहां लंगरों में कहीं चाय-पानी तो कहीं खान पान की व्यवस्था भी है।