विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट:1971 युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के 50 साल पूरे होने पर बजी ‘स्वर्णिम विजय’ धुनगणतंत्र दिवस (26 जनवरी) समारोह का समापन बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी के साथ शुक्रवार को हुआ। विजय चौक पर आयोजित सेरेमनी में 1971 युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के लिए तैयार की गई खास धुन बजाई गई। जिसे ‘स्वर्णिम विजय’ थीम नाम दिया गया। ये खास धुन ऐतिहासिक विजय के 50 साल पूरे होने के मौके पर तैयार की गई है। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित शीर्ष सैन्य ऑफिसर्स मौजूद रहे।सेरेमनी में गूंजी 26 तरह की धुन
सेरेमनी में थलसेना, एयर फोर्स और नेवी सहित केंद्रीय पुलिसबलों के मिलिट्री-बैंड ने हिस्सा लिया। इस दौरान कुल 26 तरह की धुन सुनने को मिलीं। इन धुनों में स्वर्णिम विजय थीम के अलावा चांदनी, क्विन ऑफ हिल, साथी भाई, इंडिया गेट, तिरंगा-सेनानी, निडर-योद्धा, वायुशक्ति, स्काई-वार, और एबाइड-विद-मी शामिल हैं। ‘सारे जहां से अच्छा’ की धुन के साथ कार्यक्रम समापन हुआ।
दर्शकों की संख्या घटाई गई
गणतंत्र दिवस परेड की तरह ही इस सेरेमनी में भी कोविड प्रोटोकॉल का खास ध्यान रखा गया। इस बार सिर्फ 5 हजार लोगों को ही कार्यक्रम में आने की इजाजत दी गई थी। इससे पहले लगभग 25 हजार लोग यहां पहुंचते थे।
बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी क्या है?
बीटिंग रिट्रीट लंबे समय से चली आ रही उस परंपरा का हिस्सा है, जब युद्ध के मैदान में सेनाएं दिन ढलने के बाद वापस लौटती है। इसलिए जब सुरक्षा बल हथियार और दूसरे सैन्य साजो-सामान के साथ गणतंत्र दिवस समारोह के बाद वापस लौटती हैं, तो दिन ढलने के समय बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी का आयोजन किया जाता है।
भारत में इसकी शुरुआत मेजर रॉबर्ट्स ने 1950 में की थी
इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं। इसमें सेना के बैंड ‘एबाइडिड विद मी’ धुन बजाते हैं। इसके बाद रिट्रीट का बिगुल बजता है। इस दौरान बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की अनुमति मांगते हैं। ऐसा माना जाता है कि इसके बाद समापन समारोह पूरा हो गया। वापस जाते वक्त बैंड ‘सारे जहां से अच्छा गाने’ की धुन बजाता है और गणतंत्र दिवस के आयोजन का औपचारिक समापन हो जाता है। भारत में बीटिंग रिट्रीट की मेजर रॉबर्ट्स ने 1950 में की थी। इसे सेना का अपने बैरक में लौटने का प्रतीक भी माना जाता है।