किसान आंदोलन का समर्थन:1 साल पहले विधानसभा चुनाव में इनेलो छोड़ भाजपा में आए थे रामपाल माजरा, अब छोड़ दी पार्टीपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के साथ न्याययुद्ध में शामिल रहे थे पूर्व CPS रामपाल माजरा
बोले-भाजपा में शामिल होकर बड़ी राजनैतिक गलती की थी, जल्द ही कई नेता और छोड़ेंगे
हरियाणा की राजनीति में इन दिनों बड़ी हलचल मच गई है। एक दिन पहले जहां इनेलो नेता अभय चौटाला ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया, वहीं गुरुवार को रामपाल माजरा ने भाजपा छोड़ दी। वह 2019 में विधानसभा चुनाव के दौरान ही इनेलो छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। आज तीन कृषि कानूनों के खिलाफ उठे किसान आंदोलन के समर्थन में रामपाल माजरा ने भाजपा को अलविदा कह दिया।
करीब 40 साल से राजनीति में सक्रिय रामपाल माजरा पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल और पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला के भरोसेमंद साथियों में शामिल रहे हैं। चौटाला परिवार में जब राजनैतिक बिखराव की नौबत आई तो तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अशोक अरोड़ा के साथ रामपाल माजरा ने इस बिखराव को रोकने की भरसक कोशिश की, मगर कामयाब नहीं हो सके। इनेलो के टूटने के बाद अशोक अरोड़ा कांग्रेस में और रामपाल माजरा भाजपा में चले गए थे। अशोक अरोड़ा को कांग्रेस ने थानेसर (कुरुक्षेत्र) से टिकट दिया था, जबकि रामपाल माजरा का कलायत से टिकट काट दिया था। इसके बावजूद माजरा भाजपा में बने रहे।
भाजपा पर लगाया किसान हितों की अनदेखी का आरोप
तीन कृषि कानूनों का विरोध करते हुए पूर्व विधायक परमिंदर सिंह ढुल, बूटा सिंह और पूर्व CPS श्याम सिंह पहले ही भाजपा को अलविदा कह चुके हैं। ढुल ने अभी कोई पार्टी ज्वाइन नहीं की, जबकि राणा इनेलो में शामिल हो चुके हैं। रामपाल माजरा पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल के साथ SYL नहर निर्माण के लिए न्याय युद्ध में शामिल हुए। किसानों के समर्थन में भाजपा छोड़ने का ऐलान करने के बाद माजरा जैसे ही अपने समर्थकों के बीच पहुंचे तो फतेहाबाद के पूर्व विधायक बलवान सिंह दौलतपुरिया समेत आधा दर्जन नेताओं ने उनसे फोन पर बात की। संयोगवश पूर्व मंत्री अशोक अरोड़ा और पूर्व विधायक परमिंदर ढुल भी MLA हॉस्टल पहुंच गए, जहां तीनों ने इकट्ठे राजनैतिक चर्चा करते हुए दोपहर का भोजन किया।
मीडिया से बात करते हुए रामपाल माजरा ने कहा कि उन्होंने अभी मन नहीं बनाया कि कांग्रेस में शामिल होंगे या फिर अभय चौटाला के साथ इनेलो को मजबूत करेंगे, लेकिन यह सच है कि अभय चौटाला ने विधानसभा की सदस्यता छोड़ने से पहले उनसे राय की थी और मैंने भाजपा छोड़ने से पहले उनके साथ चर्चा की थी।
अभय चौटाला के फैसले की सराहना की
माजरा ने कहा कि पिछले एक साल से उनका भाजपा में दम घुट रहा था। भाजपा ने उन्हें कभी अपना नहीं समझा और न ही वह भाजपा को अपने में आत्मसात कर पाए। किसानों के हक में चल रहे आंदोलन का समर्थन करते हुए उन्होंने अभय चौटाला के विधानसभा की सदस्यता छोड़ने के फैसले की सराहना की। साथ ही कहा कि किसान हितों की पैरवी करने वाले कांग्रेस, जजपा, भाजपा व निर्दलीय विधायकों को भी ऐसा ही साहस दिखाना चाहिए। पूर्व CPS माजरा ने एक सवाल के जवाब में कहा कि उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भाजपा के पालने में झूला झूल रहे हैं और पूंजीपतियों ने उनके झूले का रस्सा पकड़ा हुआ है। वह देवीलाल के राजनीतिक वंशज नहीं हो सकते। ऐसा साबित करने के लिए उन्हें सत्ता से बाहर आकर साबित करना होगा।
किया यह बड़ा दावा
माजरा ने भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला पर भी गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि इन लोगों को किसानों के हितों की कभी कोई परवाह नहीं रही। यह भाजपा में स्वयंभू नेता हैं। सरकार में ब्यूरोक्रेट हावी हैं। उन्होंने माना कि जब वह भाजपा में शामिल हुए थे, तब उनसे बड़ी राजनैतिक गलती हो गई थी। उन्होंने दावा किया कि जल्द ही कई नेता भाजपा को अलविदा कहेंगे।