किसान-पुलिस नहीं भांप पाए इनपुट:दीप सिद्धू ने 1 दिन पहले मंच से किया था दिल्ली जाने का ऐलानगणतंत्र दिवस पर हिंसा करने और लाल किले पर तिरंगे की जगह निशान साहिब और संगठनों का झंडा फहराया, लेकिन यह सब अचानक होने वाली घटना नहीं है। इसको लेकर किसान नेताओं और पुलिस को पहले से आशंका थी, ऐसा कुछ हो सकता है। किसान खुद कुछ संदिग्धों को पकड़ चुके थे। दिल्ली पुलिस और इंटेलिजेंस को पहले से इनपुट मिले रहे थे कि कुछ असमाजिक तत्व एक्टिव हैं, जो परेड में शामिल होकर माहौल खराब कर सकते हैं। जब पुलिस ने 13 से 18 जनवरी के बीच ट्विटर को ट्रैक किया था तो पाकिस्तान से 308 ट्विटर हैंडल एक्टिव मिले थे।
यह इनपुट मिलने के बावजूद किसान नेता परेड निकालने के लिए अड़े रहे और पुलिस ने इसकी मंजूरी भी दे दी। वहीं रूट तय होने के बाद से ही कुछ किसान संगठन इनका विरोध कर रहे थे और बार-बार कहा जा रहा था कि हम तो आउटर रिंग रोड़ पर ही परेड निकालेंगे। सोमवार को तो कुंडली बॉर्डर पर मोर्चा के मंच पर दीप सिद्धू ने इसको लेकर हंगामा किया था।
मंच से ही माइक लेकर अनाउंस कर दिया था कि वो तय रूट से सहमत नहीं हैं और आउटर रिंग रोड़ पर परेड निकालेंगे। इसके बावजूद न तो किसान संगठनों ने सार्वजनिक तौर पर इसका बहिष्कार किया और न ही पुलिस ने ऐसे लोगों पर उसी समय कोई कार्रवाई की। मंगलवार सुबह भी सबसे पहले कुंडली बॉर्डर पर ही बैरिकेड्स तोड़े गए और कहा गया कि हम लाल किले पर जाकर झंडा फहराएंगे इसके बावजूद मोर्चे के लोग पीछे मंच के पास परेड की तैयारी में लगे रह गए।
एक माह से लगातार बदल रहे थे कार्यक्रम, इसका फायदा उठाया
किसान नेता राकेश टिकैत ने शुरू में कहा- राजपथ की परेड में किसानों के ट्रैक्टर शमिल होंगे और लाल किले पर झंडा फहराएंगे। संयुक्त मोर्चा ने 26 जनवरी को कहा- लाल किले पर नहीं जाएंगे, दिल्ली के आउटर रिंग रोड पर परेड निकालेंगे, लेकिन बाद रूट तय हुए, लेकिन असमाजिक तत्व अफवाह फैलाते रहे कि राजपथ पर परेड करेंगे और लाल किले पर झंडा फहराएंगे।
गुरिल्ला नीति: परेड की आड़ में उठाया फायदा
प्रदर्शनकारियों ने गुरिल्ला नीति अपनाई। सभी को पता था कि दोपहर तक राजपथ पर परेड होने के कारण सुरक्षा बल का ध्यान वहीं रहेगा। परमिशन राजपथ की परेड के बाद की दी थी। प्रदर्शनकारियों को पता था कि तय किए 9 रूटों पर फोर्स रहेगी। इन्होनें चकमा देकर सुबह बैरिकेड्स तोड़ दिए।
जब बैरिकेड तोड़े, तब नेता रहे तैयारी में व्यस्त : जब प्रदर्शनकारी कुंडली बॉर्डर पर परेड की तैयारी कर रहे थे तभी वहां कुछ प्रदर्शनकारियों ने बैरिकेड्स तोड़े थे। किसान नेताओं ने समझाया और वापस परेड में लग गए। वहीं, गाजीपुर बॉर्डर पर टिकैत रोकने की कोशिश की, कोई नहीं माना तो वे भी परेड में व्यस्त हो गए।