7 राज्यों से किसानों की रैली LIVE:दिल्ली बॉर्डर पर किसान ट्रैक्टर-ट्रॉलियांं लेकर पहुंचे, खट्टर ने पानीपत की जगह पंंचकूला में ध्वज फहरायाजो किसान दिल्ली नहीं पहुंच सके, वे लोकल लेवल पर रैली निकालेंगे
मुंबई के आजाद मैदान में विधानसभा अध्यक्ष ने फहराया तिरंगा
दिल्ली के 3 बॉर्डर पर किसानों की ट्रैक्टर परेड के लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान के किसान पहुंचे हैं। इन 3 बॉर्डर के अलावा देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान रैली निकालेंगे। जो किसान दिल्ली नहीं पहुंच सके हैं, वे लोकल लेवल पर किसानों के समर्थन में प्रदर्शन करेंगे। दिल्ली पुलिस की अपील के बावजूद किसान ट्रैक्टर के साथ ट्रॉलियां भी लेकर पहुंचे हैं। किसान आंदोलन का सबसे बड़ा असर यह रहा कि हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्टर ने पानीपत के तय कार्यक्रम को छोड़कर पंचकूला में ध्वजारोहण किया।
किसानों के आंदोलन पर 7 राज्यों की रिपोर्ट
राजस्थान: बीकानेर में भी रैली निकालेंगे किसान
बीकानेर में भी किसान ट्रैक्टर रैली निकालेंगे। संयुक्त किसान मोर्चे ने बताया कि रात को ही सभी ट्रैक्टर आ गए थे। लूणकरनसर, नोखा, श्रीडूंगरगढ़, श्रीकोलायत, खाजूवाला सहित सभी कस्बों व गांवों से लोग यहां आए हैं। कुछ देर में रैली निकलेगी।
इधर, किसानों के समर्थन में राजस्थान प्रदेश कांग्रेस सेवादल भी जयपुर से दिल्ली पहुंच गया है। एक दिन पहले ट्रैक्टरों में सवार होकर निकले कार्यकर्ता देर रात तक बॉर्डर पर पहुंचते रहे। परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास खुद ट्रैक्टर चलाकर निकले। यहां से करीब 30 ट्रैक्टर रवाना हुए थे।
झारखंड : रांची में ट्रैक्टर रैली और मोटरसाइकिल मार्च
दिल्ली में जमे किसानों के समर्थन में रांची के अलग-अलग हिस्सों में जुलूस निकाला जाएगा। वाम मोर्चा राजेंद्र चौक से मोरहाबादी तक लगभग 4 किलोमीटर तक ट्रैक्टर रैली निकलेगा। वहीं, राजद बिरसा चौक से मोरहाबादी तक 6 किलोमीटर तक बाइक जुलूस निकालने की तैयारी कर रही है। मोरहाबादी में मुख्य कार्यक्रम के बाद दोपहर 1 बजे से रैली निकलेगी, जो राजेन्द्र चौक से मेन रोड, अल्बर्ट एक्का चौक, कचहरी रोड होते हुए वापस मोरहाबादी पहुंचेगी।हरियाणा: ट्रैक्टरों पर कोई भी झंडा तिरंगे से ऊंचा नहीं
सिंघु बॉर्डर की ओर बढ़ रहे किसानों के ट्रैक्टरों के साथ कार और बाइक भी हैं। हर गाड़ी पर तिरंगा शान से लहरा रहा है। इसके साथ किसान यूनियन के झंडे भी हैं। किसान नेताओं ने साफतौर पर कहा है कि कोई भी झंडा तिरंगे से ऊंचा नहीं होगा। किसान पिकअप वाहनों में डीजे भी ले जा रहे हैं जिस पर हरियाणवी, पंजाबी के साथ देशभक्ति गीत गूंज रहे हैं। बॉर्डर से 12 किलोमीटर पहले तक किसानों के ट्रैक्टर जमा हैं।
इधर, सोनीपत में मुरथल के पास 20 ट्रैक्टरों पर काले झंडे भी दिखाई दे रहे हैं। पुलिस की इन पर नजर है। इसके सांकेतिक विरोध का तरीका माना जा रहा है, लेकिन किसान इस पर कुछ बोलने को तैयार नहीं हैैं।
दिल्ली : 9 जगहों से किसान परेड निकालेंगे
स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव ने बताया कि 9 जगहों से किसान गणतंत्र परेड निकलेगी। सिंघु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर, गाजीपुर बॉर्डर, धंसा बॉर्डर, चिल्ला बॉर्डर के अलावा हरियाणा बॉर्डर पर चार जगहों से परेड निकलेगी। उन्होंने बताया कि परेड शांतिपूर्ण तरीके से होगी और इससे देश की गणतंत्र की इज्जत बढ़ेगी।
पंजाब : जो दिल्ली नहीं जा सके, वे लोकल लेवल पर रैली निकालेंगे
पंजाब से निकले किसान दिल्ली के सिंघु व टीकरी बॉर्डर पर पहुंच गए हैं। ऐसे में जो किसान दिल्ली नहीं जा सके, वे लोकल लेवल पर ही ट्रैक्टर मार्च निकालने की तैयारी में है। उनका कहना है कि हमारा समर्थन जाहिर करने का यह भी तरीका है।
छत्तीसगढ़ : रायपुर में भी ट्रैक्टर मार्च
राज्य से किसानों के कुछ जत्थे ट्रेन से दिल्ली आंदोलन में पहुंच गए हैं। वे दिल्ली के तीनों बॉर्डर पर हैं। दो प्रमुख नेता गाजीपुर बॉर्डर पर हैं, तो कुछ नेता टीकरी बॉर्डर पर। वे दिल्ली में पैदल मार्च करेंगे। इधर, रायपुर में वामपंथी दलों से जुड़े कुछ किसान संगठन ट्रैक्टर मार्च निकालेंगे।महाराष्ट्र: आजाद मैदान में किसानों का ध्वजारोहण
नासिक से 180 किलोमीटर का सफर तय कर मुंबई पहुंचे किसान पूरी रात आजाद मैदान में काटने के बाद अब लौटने लगे हैं। हालांकि, नासिक के लिए निकलने से पहले करीब 10 हजार से ज्यादा किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर आजाद मैदान में ध्वजारोहण किया। ध्वजारोहण के मौके पर महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष नाना पटोले भी किसानों के साथ मौजूद थे। ध्वजारोहण के बाद किसान बस, ट्रेन और जीप के जरिए अपने-अपने गांव की तरफ रवाना हो रहे हैं।
किसानों ने कहा है कि मुंबई का यह आंदोलन भले ही खत्म हो गया हो। लेकिन, दिल्ली में यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक केंद्र सरकार कृषि कानून वापस नहीं ले लेती। करीब 15 हजार किसान यहां पहुंचे थे, जिसमें से कल आंदोलन समाप्त होने के बाद 5 हजार घर लौट गए थे। बचे हुए 10 हजार किसानों ने ध्वजारोहण किया है।