दो साल से गुम बच्चे को ऑस्ट्रेलियाई कपल ले चुका था गोद, एएसआई ने असली माता-पिता का पता लगा मौके पर रोका6 साल का हरदोई निवासी बच्चा जुलाई 2018 में मुंडका से भटककर बहादुरगढ़ आ गया, लेकिन वापस घर नहीं जा सका। सड़कों पर भटकते हुए किसी ने उसे बहादुरगढ़ के ही एक आश्रम में छोड़ दिया। उसके माता-पिता का पता नहीं चला तो उसे गोद देने की प्रक्रिया शुरू हो गई। एक ऑस्ट्रेलिया की दंपती ने लगभग सारी प्रक्रिया पूरी भी कर ली।
सितंबर 2020 में एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग के एएसआई राजेश यहां पहुंच तो उसे बच्चे की कहानी पता चली। उन्होंने बिना समय गंवाए बच्चे से बताकर घरवालों के बारे में जानना चाहा, लेकिन बच्चा अपने गांव के नाम के अलावा कुछ नहीं बता पाया। राजेश ने उसका डुप्लीकेट आधार कार्ड बनाने के लिए फिंगरप्रिंट दिया तो बच्चे के गांव का नाम भी वही मिला, जो उसने बताया था।
महज एक सप्ताह में 5 अक्टूबर को राजेश ने उसको उसके असली माता-पिता से मिलवा दिया। अगर राजेश आश्रम नहीं जाते तो शायद बच्चा देश को छोड़कर ऑस्ट्रेलिया के दंपती को अपने माता-पिता मानकर रह रहा होता। एएसआई राजेश ने इस बच्चे की इसी तरह अब तक 500 परिवारों तक उनके बिछड़े लाल मिलवाकर उनके चेहरे की मुस्कान लौटाई है। इसके लिए हाल ही में उन्हें ओडिशा के कटक में एक संस्था द्वारा सम्मानित भी किया गया। नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी ने भी उनसे फोन पर बातचीत की है।
जानिए…एक और किस्सा जिसमें परिजनों की मुस्कान लौटाई
दिल्ली में बहन-भाई से बिछुड़ी 6 साल की बच्ची को दस साल बाद परिवार से मिलवाया था। झालावाड़ की रहने वाली यह बच्ची ट्रेन में नहीं चढ़ पाई थी। इसके बाद उसे बहादुरगढ़ की रहने वाली एक महिला अनाथ आश्रम ले आई। उसकी काउंसलिंग की। बच्ची इतना ही बता पाई कि उसके गांव में एक किला है और नदी है। एएसआई ने उसका वीडियो बनाया और राजस्थान में वायरल कराया। यह वीडियो झालावाड़ के भिवानीपुर के तक पहुंचा। वहां बच्ची की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज थी।