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क्टर जाल:कुंडली बॉर्डर पर 7 किमी से बढ़कर 13 किमी तक पहुंचे ट्रैक्टर-ट्रॉली

ट्रैक्टर जाल:कुंडली बॉर्डर पर 7 किमी से बढ़कर 13 किमी तक पहुंचे ट्रैक्टर-ट्रॉलीदिल्ली के सभी बॉर्डरों पर पहुंच रहे किसानों के काफिले
टिकरी बॉर्डर पर 1 हजार ट्रैक्टर-ट्रॉली पहुंचे, रेवाड़ी में राजस्थान से आ रहे
26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड के लिए किसानों का दिल्ली के बॉर्डरों पर दो दिन में किसानों का काफिला कई किलोमीटर तक बढ़ गया है। वहीं, हरियाणा-पंजाब के गांवों से दिल्ली कूच बदस्तूर जारी है। हाईवे पर ट्रैक्टर -ट्रॉली ही नजर आते हैं।

शनिवार शाम तक कुंडली बॉर्डर से लेकर किसान राई तक 13 किलोमीटर में फैल चुके हैं। पहले यह केवल 7 किलोमीटर के दायरे में था। यहां 70 प्रतिशत फ्लैट भी किसानों ने परिवारों के लिए किराए पर लिए हैं। पंजाब व हरियाणा के गांव-गांव से तिरंगा लगे ट्रैक्टर पहुंच रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा की टीम का दावा है कि अकेले कुंडली बॉर्डर पर 50 हजार के करीब ट्रैक्टर पहुंच जाएंगे। कुंडली से लेकर बहालगढ़ तक तंबू लग चुके हैं।

केएमपी पुल के पास भी काफी भीड़ जमा हो गई है। दूसरी ओर, शनिवार रात तक टिकरी से आसौदा तक 12 किलोमीटर पर किसानों के ट्रैक्टर खड़े हैं। पिछले प्रदर्शन में करीब तीन हजार ट्रैक्टर परेड की रिहर्सल की थी।

खेड़ा बॉर्डर : 20 दिन पहले खेड़ा मोर्चे से 30 किमी. आगे साहबी पुल के पास रेवाड़ी पुलिस ने रोका तो किसानों ने डेरा डाल दिया। किसानों के दो जगह बंटने के बाद भी खेड़ा बॉर्डर पर एक किलोमीटर में काफिला फैला हुआ है। शाहजहांपुर क्षेत्र में हाईवे नजर दौड़ाते हैं तो तंबुओं की बस्ती से नजर आती हैं।

भिवानी से 10 और कैथल से 6 हजार ट्रैक्टर जा रहे…

जेसीबी भी साथ ले चले: कैथल से परेड में शामिल होने के लिए शनिवार को चार से पांच गांवों के किसानों के जत्थे एक साथ रवाना हुए। एक जेसीबी भी लेकर गए हैं। किसानों ने कहा कि कहीं पर बैरिकेड्स तोड़ने पड़े तो जेसीबी काम आएगी। कैथल से 6 हजार से अधिक ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेंगे।

भोजन सामग्री ले गए: भिवानी से लगभग 10 हजार ट्रैक्टर 24 व 25 जनवरी को दिल्ली के रवाना होंगे। तीन रास्तों से किसान ट्रैक्टर लेकर दिल्ली कूच करेंगे। किसान अपने साथ पांच से सात दिन का भोजन लेकर जाएंगे। किसान पूरियों से बना चूरमा व देशी घी विशेष रूप से साथ लेकर जाएंगे।

तिरंगा और किसानों का झंडा: सिरसा से शनिवार को 350 ट्रैक्टरों के साथ 2200 से अधिक किसान दिल्ली बॉर्डर के लिए रवाना हुए। ट्रैक्टरों व गाड़ियों के आगे किसान तिरंगा और किसानी झंडा लगाए हुए थे। ट्रॉलियों में राशन-पानी, सिलेंडर-चूल्हा व बिस्तर के साथ-साथ बाइकों को भी लाद रखा था।

महिला-बच्चाें के साथ कूच: चरखी दादरी से सर्वखाप की पंचायत के फैसले के बाद सभी 7 खापों ने तैयारियां की हैं। 5 हजार ट्रैक्टर दिल्ली जाएंगे। एक ट्रैक्टर के साथ दो ट्रॉलियां जोड़ी जाएंगी। दिल्ली ट्रैक्टर परेड में शामिल होने किसानाें के साथ महिलाएं और बच्चे भी जाएंगे। सभी ट्रैक्टर 25 जनवरी की सुबह दादरी हेड क्वार्टर से दिल्ली के लिए कूच करेंगे।

सरपंच ले रहे संकल्प : खेड़ा बॉर्डर भी ट्रैक्टर यात्रा निकालने की तैयारियां हैं। राजस्थान के सरपंचों, संगठनों के प्रधानों और विधायकों तक से मिलकर संकल्प लिया जा रहा है कि वे ट्रैक्टर लेकर परेड में शामिल होंगे। 400-500 ट्रैक्टरों की व्यवस्था के प्रयास किए जा रहे हैं।

किसानों ने मांगा हक

बातचीत बंद कर किसानों का इम्तिहान ले रही सरकार, जिससे बढ़ रहा हौसला

कुंडली बॉर्डर

तरनजीत सिंह निमाणा ने कहा कि सरकार ने बातचीत का रास्ता बंद कर तानाशाही का परिचय दिया है। किसानों का मनोबल और बढ़ गया है।

जयभगवान दहिया ने कहा- किसान आंदोलन को शांतिप्रिय माहौल में कर रही है। सरकार ने ने बात बंद की है। शांति रही तो किसान जीतेगा और हिंसा हुई तो सरकार।

कुलदीप ने कहा कि हम घर छोड़ चुके हैं। सरकार बातचीत करें या नहीं, यह सरकार का मसला है। जीतकर ही घर लौटेंगे।

टिकरी बॉर्डर

जौरावर सिंह ने कहा- अब हम खाली हाथ नहीं जाएंगे। आदेश होने पर दिल्ली में प्रवेश करेंगे व जान की परवाह नहीं है।

उमेद सिंह डंग ने बताया कि आरपार की लड़ाई है। घर में कह दिया कि फोटो टीवी पर आएगी या फिर अखबार में, पर आएगी जरूर। बस आदेश का इंतजार है।

शंकर ढांडा ने कहा- जब पंजाब के किसान मरने को तैयार हैं तो हरियाणा के किसान उससे भी अागे खड़े दिखाई देंगे। किसानों व पुलिस में बात हो रही है।

खेड़ा बॉर्डर

भोला सिंह कहते हैं- सरकार ने कृषि कानूनों को रद्द नहीं किया तो चाहे 6 महीने बैठना पड़े, बैठेंगे। घर वाले वापस बुला रहे हैं।

धनसुख राम कहते हैं- केंद्र बहुमत में है, 2024 के लोकसभा का चुनाव तक धरना देना पड़ा तो देंगे, फिर हिसाब बराबर करेंगे। राजस्थान में करते रहे हैं।

नौरंग लाल बोले- बीएसएफ में थे तो देश के लिए लड़ रहे थे। अब जमीन की लड़ाई है। सरकार बातचीत के नाम से गुमराह करती आ रही है, अब कोई नया प्लान है।

60 साल पुराने ट्रैक्टर चले दिल्ली

किसान आंदोलन रोज नए रंग बिखेर रहा है। गणतंत्र दिवस की परेड में शामिल होने के लिए कई दशक पुरानी चीजें पहुंच रही है।

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