अयाज मेमन की कलम से:रवि शास्त्री के योगदान को कम नहीं कर सकतेभारत की ऑस्ट्रेलिया पर 2-1 की जीत हमेशा याद की जाएगी। भारतीय टीम ने कई बाधाओं को पार कर यह जीत हासिल की है, जो विश्वास से परे है। खिलाड़ियों ने शारीरिक और मनोवैज्ञानिक दोनों तरह की परेशानियां झेली। हर चुनौतीपूर्ण स्थिति में नए हीरो उभर कर सामने आए। क्षमता की वजह से भारत ने सीरीज नहीं जीती। स्किल के मामले में भी ऑस्ट्रेलिया काफी आगे थी। आंकड़े इसकी गवाही भी देते हैं।
सीरीज में सबसे ज्यादा रन बनाने वाले और विकेट लेने वाले भी ऑस्ट्रेलिया के खिलाड़ी थे। भारत जहां आगे रहा वो थे धैर्य, साहस, आत्मविश्वास, महत्वाकांक्षा, बेहतर योजना, सक्रिय रणनीतिक और खिलाड़ियों के बीच बेहतर तालमेल। लेकिन इन सब के बीच मुख्य कोच रवि शास्त्री के योगदान को कम नहीं आंका जा सकता है। उनका मजबूत प्रभाव अश्विन और फील्डिंग कोच आर. श्रीधर के बीच हुई बातचीत में साफ नजर आता है, जिसे ऑफ स्पिनर ने सीरीज के बाद सोशल मीडिया पर शेयर किया था। उसके बाद गेंदबाजी कोच भरत अरुण ने शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये बात रखी। इन सब से कई बातें निकलकर सामने आईं। स्मिथ, लबुशेन समेत ऑस्ट्रेलिया के प्रमुख बल्लेबाजों के खिलाफ रणनीति बननी जुलाई में ही शुरू हो गई थी।
एडिलेड में जब टीम 36 रन पर आउट हो गई तो उन्होंने ज्यादा कुछ नहीं बोला। श्रीधर के अनुसार- शास्त्री ने कहा कि खिलाड़ियों को इसे बैज के रूप में पहनना चाहिए। हार से सबक लेना चाहिए। शार्दुल, सुंदर और नटराजन जैसे खिलाड़ियों को वनडे-टी20 सीरीज के बाद वापस भारत नहीं भेजा। कुछ खिलाड़ियों के चोटिल होने की आशंका थी। लेकिन आधा दर्जन खिलाड़ी चोटिल हो गए। शास्त्री के उथल-पुथल भरे फैसले और बयान की वजह से मीडिया में काफी आलोचना होती है। सोशल मीडिया पर मीम्स बनते हैं। लेकिन वे खिलाड़ियों को चुनने के अपने फैसले पर टिके रहते हैं। जैसे सभी के खिलाफ जाकर जसप्रीत बुमराह को टेस्ट डेब्यू कराना। इन्हीं वजहों से वे सम्मान के हकदार हैं।