स्वेदशी को बढ़ावा:दिल्ली के मेले में बिकेंगे बच्चों के बनाए टॉयज, अब स्कूलों में बच्चे और टीचर बनाएंगे खिलौनेखेलों द्वारा सीखना बच्चे के विकास का महत्वपूर्ण अंग है। खेल और खिलौने बच्चों की इंद्रियों, समस्या समाधान कौशलों, संघर्ष समाधान और सर्वांगीण विकास में सहायता करते हैं। स्वदेशी खिलौना को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ऑनलाइन भारत खिलौना मेला का आयोजन दिल्ली में किया जाएगा। इसके लिए शिक्षा निदेशालय ने जिला शिक्षा अधिकारी व जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी को पत्र भेजकर सरकारी व प्राइवेट स्कूलों के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक, माध्यमिक व उच्चतर माध्यमिक बच्चों व शिक्षकों को खिलौने बनाने के निर्देश जारी किए हैं।
वहीं जिला स्तर पर अपने-अपने खिलौने व उसके बनाने की वीडियो डीईओ कार्यालय में शुक्रवार को जमा करवानी होगी। जिला शिक्षा अधिकारी की सहायता के लिए समग्र शिक्षा अभियान द्वारा गुरुवार को हरियाणा भर के एपीसी की एससीईआरटी गुड़गांव द्वारा ऑनलाइन मीटिंग कपोनेंट इंचार्ज दिबाकर दास ने ली। इस दौरान डीईओ व डीईईओ को पत्र भी जारी कर दिया है।
समग्र शिक्षा की ओर से एपीसी नरेंद्र शम्मी ने सभी एबीआरसी व बीआरपी की बैठक ली और ज्यादा से ज्यादा स्कूलों से खिलौने बनवाने के निर्देश दिए। जिलाभर के स्कूलों से खिलौने बनकर डीईओ कार्यालय में जमा होंगे। इसके बाद सिरसा, फतेहाबाद, जींद व हिसार के खिलौने हिसार डिविजन में जमा करवाए जाएंगे। जहां से दिल्ली में 27 फरवरी से 2 मार्च तक भारत खिलौना मेला लगाया जाएगा। इस मेला में राष्ट्रीय स्तर पर 75 स्टॉल लगाए जाएंगे।
ये बनाए गए एबीआरसी-बीआपी व नोडल अधिकारी
खंड नोडल
डबवाली – प्रीति-सानिया ओढां – मनू, आरती, सन्नी बड़ागुढ़ा – मोनिका, मुकेश सिरसा – अनिता, परमिंद्र चौपटा – हनुमान, शंकर रानियां – सोन, अमरजीत ऐलनाबाद – मंजू, पृथ्वी
6 बनाए वर्क इंस्ट्रक्टर
स्कूलों में बच्चों में खिलौना बनाने की प्रतिभा को ढूंढने के लिए समग्र शिक्षा की ओर से 6 वर्क इंस्ट्रक्टर बनाए गए हैं। जो बच्चों की खिलौना बनाने व उन्हें सही मार्ग दर्शन देने में उनकी सहायता करेंगे। सिरसा से रेणू, रानियां से इकविंद्र, चौपटा से अशोक, राधा व सोनिया, बड़ागुढ़ा से मीनाक्षी व डबवाली से सुशील का चयन किया गया है।
बच्चों को बनानी होगी 3 मिनट की वीडियो
स्कूलों में बच्चों व टीचरों को खिलौना बनाने के बाद 3 मिनट की वीडियो भी बनानी होगी। जिसमें खिलौने बनाने का उद्देश्य, कितना समय लगा, पैसा कितना खर्च हुआ, खेलने की क्या विधि है और इसका क्या लाभ होगा पूरा वीडियो में बताना होगा। वहीं खिलौना बनने के पश्चात उसकी 3 से 4 अलग-अलग एंगल से फोटो भी खींचनी होगी। इसके बाद सभी खिलौने डीईओ ऑफिस में जमा करवाने होंगे। दिल्ली में लगने वाली स्टॉल पर हरियाणा के खिलौनों को सजाया जाएगा।
स्वदेशी खिलौनों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से स्कूलों के बच्चों व शिक्षकों को खिलौने बनाने के निर्देश दिए हैं। वहीं एबीआरसी व बीआरपी नोडल अधिकारी बनाए हैं। बच्चों में खिलौना बनाने की प्रतिभा को ढूंढने के लिए 6 वर्क इंस्ट्रक्टर बनाए हैं। बच्चे व टीचर खिलौने बनाकर डीईओ कार्यालय में जमा करवाएंगे।