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हैरिस ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली पहली ब्लैक महिला के सम्मान में पहनी बैंगनी ड्रेस

कमला हैरिस का अंदाज:हैरिस ने राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली पहली ब्लैक महिला के सम्मान में पहनी बैंगनी ड्रेस, खुद भी प्रेसिडेंसी की चाहतकमला हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला, पहली अश्वेत और पहली भारतीय-अमेरिकी वाइस प्रेसिडेंट बनकर इतिहास रच दिया है। कैपिटल हिल में बुधवार को शपथ के दौरान उनके अंदाज और गर्मजोशी पर सबकी नजरेें थीं। उन्होंने बैंगनी रंग की ड्रेस पहनी थी और इसके भी मायने हैं। ये ड्रेस पहनने के पीछे हैरिस का मकसद, शर्ली चिशोम को सम्मान देना था, जो अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला थीं।

1972 के राष्ट्रपति चुनाव में शर्ली चिशोम डेमोक्रेटिक पार्टी की तरफ से प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट नॉमिनेट की गई थीं। उन्होंने भी अपने ऐतिहासिक कैंपेन के दौरान कई बार बैंगनी ड्रेस पहनी थी। 2019 में प्रेसिडेंशियल कैंपेन के दौरान हैरिस ने भी कई बार बैंगनी ड्रेस पहनी, क्योंकि वो शर्ली का सम्मान चाहती थीं, जो कि उनकी प्रेरणा रही हैं। हैरिस भी आगे राष्ट्रपति बनने के लिए फिर दावेदारी पेश कर सकती हैं।

जीत के बाद और शपथ से पहले भी मां को याद किया

नवंबर में चुनाव जीतने के बाद कमला हैरिस ने अपने ऐतिहासिक भाषण में अपनी स्वर्गीय मां श्यामला गोपालन को याद किया था। उन्होंने कहा था कि मां की बदौलत ही वह अपने राजनीतिक करियर में सबसे ऊंचे ओहदे पर पहुंच सकी हैं। शपथ से कुछ घंटे पहले भी कमला हैरिस ने उन्हें याद किया और एक सोशल मीडिया पोस्ट की। इसमें मां के साथ-साथ उन्होंने अश्वेत महिलाओं का भी जिक्र किया है। शपथ के बाद स्पीच में उन्होंने कहा, ‘मैं भले ही अमेरिका में वाइस प्रेसिडेंट बनने वाली पहली महिला हूं, पर आखिरी नहीं।’

हैरिस की मां श्यामला गोपालन चेन्नई से 1958 में अमेरिका गई थीं। वेे एक कैंसर रिसर्चर और सिविल राइट्स एक्टिविस्ट थीं। हैरिस ने कहा कि भले ही उनकी मां भारतीय थीं, लेकिन उनका अमेरिका में पूरा भरोसा था।मेनी फर्स्ट के लिए जानी जाती हैं हैरिस
56 वर्षीय हैरिस को मेनी फर्स्ट के लिए भी जाना जाता है। वह सैन फ्रांसिस्को की पहली महिला काउंटी डिस्ट्रिक्ट अटॉर्नी बनी थीं। वे ऐसा करने वाली पहली अफ्रीकी-अमेरिकी और पहली भारतीय मूल की महिला बनी थीं। वाइस प्रेसिडेंट के तौर पर भी उन्होंने मेनी फर्स्ट के साथ जिम्मेदारी संभाली है- पहली महिला, पहली अफ्रीकी-अमेरिकी महिला, पहली भारतीय-अमेरिकी और पहली एशियाई-अमेरिकी।

डेमोक्रेटिक प्रेसिडेंशियल कैंडिडेट जो बाइडेन ने पिछले साल अगस्त में हैरिस को अपना रनिंग मेट चुना, तब वह किसी बड़ी पार्टी के टिकट पर वाइस प्रेसिडेंट के लिए उम्मीदवार बनने वाली तीसरी महिला थीं। इससे पहले 2008 में उस समय की अलास्का गवर्नर सारा पालिन और 1984 में न्यूयॉर्क रिप्रेजेंटेटिव गैराल्डीन फैरारो भी रनिंग मेट रही हैं।राष्ट्रपति बनना चाहती थीं हैरिस
बाइडेन की रनिंग मेट बनने से पहले हैरिस खुद भी राष्ट्रपति बनने के सपने देख रही थीं। अपना कैम्पेन जारी रखने के लिए फंड की कमी की वजह से वह आगे नहीं बढ़ सकी थीं। वह सीनेट में तीन एशियाई-अमेरिकियों में एक हैं। वह पहली भारतीय-अमेरिकी है, जिसने चैम्बर में सेवाएं दी हैं।

फीमेल ओबामा के तौर पर पहचान
बराक ओबामा के कार्यकाल में उन्हें फीमेल ओबामा कहा जाता था। एक दशक पहले जर्नलिस्ट ग्वेन आइफिल ने हैरिस को लेट शो विद डेविड लेटरमैन में द फीमेल बराक ओबामा कहकर पुकारा था। उन्हें पहले अश्वेत अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के करीब समझा जाता था। ओबामा ने 2016 में US सीनेट समेत कई चुनावों में उनकी पैरवी की थी।खुद को अमेरिकी कहने पर गर्व
हैरिस का जन्म अप्रवासी परिवार में हुआ। अश्वेत पिता और भारतीय मां। उनके पिता डोनाल्ड हैरिस जमैका से थे और मां श्यामला गोपालन 1958 में चेन्नई से अमेरिका पहुंची थीं। इसके बाद भी वह खुद के सिर्फ अमेरिकी कहलाने पर गर्व करती हैं।

अपने माता-पिता के डायवोर्स के बाद हैरिस को श्यामला ने ही पाला-पोसा। उनका कहना है कि उनकी मां ने अश्वेत संस्कृति को अपनाया। हैरिस बताती हैं कि उन्हें और उनकी छोटी बहन माया को भी अश्वेत संस्कृति को अपनाना सिखाया। हैरिस ने बड़े होकर भारतीय संस्कृति को भी अपनाया पर उन्हें अफ्रीकी-अमेरिकी जीवन ही पसंद है। वेे अपनी मां के साथ कई बार भारत भी आ चुकी हैं।

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