बिखरने लगा गुपकार:सज्जाद लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने अलायंस छोड़ा, भाजपा बोली- यह गठबंधन के अंत की शुरुआतजम्मू-कश्मीर में अपना पहला चुनाव लड़ने के बाद ही छह दलों के गुपकार गठबंधन में दरार पड़ गई है। सज्जाद लोन की पार्टी जम्मू-कश्मीर पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) यानी गुपकार से हटने का ऐलान कर दिया है। पार्टी चीफ सज्जाद लोन ने गुपकार के मुखिया फारूक अब्दुल्ला को चिट्ठी लिखकर जिला विकास परिषद (DDC) चुनाव में सहयोगी दलों के रवैये पर नाराजगी जताई है।
इधर, गुपकार गठबंधन में फूट पर भाजपा ने तंज कसा है। पार्टी नेता राम माधव ने सोशल मीडिया पर कहा, ‘ये इस बेमेल गठबंधन के उजड़ने की शुरुआत है।’लोन ने अपनी चिट्ठी में कहा, ‘हाल ही में हुए DDC चुनाव के बारे में मेरी पार्टी के नेताओं से मिले फीडबैक के मद्देनजर मैं ये चिट्ठी लिख रहा हूं। मुझे बताया गया है कि अलायंस के कुछ दलों ने PAGD के घोषित कैंडिडेट के सामने प्रॉक्सी कैंडिडेट खड़े किए। हमने सोमवार को अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक में इस पर विस्तार से चर्चा की।’
अलायंस का मकसद ग्राउंड तक नहीं पहुंचा
लोन ने कहा, ‘PAGD का असल मकसद ग्राउंड तक पहुंच ही नहीं सका। एक गंभीर अलायंस उसके हिस्सों से ज्यादा मायने रखता है। लेकिन, इसके हिस्सों के सामने गठबंधन को अहमियत नहीं मिली। DDC चुनाव में कई जगह अलायंस के कैंडिडेट अकेले पड़ गए और उन्हें उनकी पार्टी की तरफ से मैनेज किए गए वोट ही मिल सके।’
क्या है गुपकार डिक्लेरेशन
श्रीनगर के गुपकार रोड पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुखिया फारूक अब्दुल्ला का घर है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने के एक दिन पहले 4 अगस्त, 2019 को आठ स्थानीय दलों ने यहां बैठक की थी। इसमें एक प्रस्ताव पारित किया गया था। उसे ही गुपकार डिक्लेरेशन कहा गया। गुपकार डिक्लेरेशन में आर्टिकल-370 और 35ए की बहाली के साथ ही जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा मांगा गया है।
सहयोगी दलों के सबसे सीनियर नेता होने के नाते डॉ. फारूक अब्दुल्ला को इसका अध्यक्ष बनाया गया है। इसकी एक वजह उनकी पार्टी का मजबूत कैडर होना भी है।
गठबंधन में छह पार्टियां शामिल
गुपकार डिक्लेरेशन को अमलीजामा पहनाने के लिए छह दलों ने हाथ मिलाया था। इनमें डॉ. फारूक अब्दुल्ला की अध्यक्षता वाली नेशनल कॉन्फ्रेंस, महबूबा मुफ्ती की अगुआई वाली पीडीपी के अलावा सज्जाद गनी लोन की पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, अवामी नेशनल कॉन्फ्रेंस, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और माकपा की स्थानीय इकाई शामिल थी।
जम्मू-कश्मीर के इतिहास में यह पहली बार है, जब छह प्रमुख पार्टियों ने साथ मिलकर चुनाव लड़ा। वहीं, भाजपा और कांग्रेस ने अपने उम्मीदवार उतारे थे।