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महिलाओं ने धरना संभाला:ट्रैक्टर चलाकर महिलाएं बोलीं- यह न समझें हम रोटियां पकाना ही जानती हैं

महिलाओं ने मंच से लेकर धरना संभाला:ट्रैक्टर चलाकर महिलाएं बोलीं- यह न समझें हम रोटियां पकाना ही जानती हैंटोल प्लाजा पर किसानों का महिला दिवसः बुजुर्ग महिलाएं अपने पोतों को लेकर पहुंचीं किसानों के बीच, बोलीं-हमारी मौत के बाद इस आंदोलन के ये गवाह होंगे
अम्बाला रोड पर टोल प्लाजा पर चल रहे किसान आंदोलन की बागडोर सोमवार को महिलाओें ने संभाली। किसानों ने महिला दिवस मनाने फैसला लिया था कि महिलाएं माइक से लेकर धरना संभालेंगी। सोमवार को धरने में किसान नेताओं की पत्नियां भी पहुंचीं। वहीं सबसे खास बात रही कि 80 साल की बुजुर्ग महिलाएं अपने छोटे-छोटे पोतों को लेकर धरने पर पहुंची थीं। उनका कहना था कि वे जिंदगी के अंतिम पड़ाव में हैं। इस तरह का किसान आंदोलन उन्होंने जिंदगी में नहीं देखा।

80 साल की राममूर्ती पहुंची, बोले, यह सब की लड़ाई| आंदोलन में 80 साल की बुजुर्ग महिला राममूर्ति भी पहुंची थीं। उनका कहना है कि उनके परिवार का मुख्य काम खेती है। परिवार से कोई पुरुष नहीं आ पाया। इसलिए वह पहुंची हैं। उनका कहना है कि किसानों की मांग जायज है। यह लड़ाई केवल किसानों की नहीं, सब की है। उनका कहना है कि बुजुर्ग महिलाएं अपने पोतों को लेकर आई हैं, ताकि जब पोते बड़े हों तो वे औरों को बता सकें कि कृषि कानूनों के विरोध में कितना बड़ा और कितना लंबा आंदोलन चला था।

दो साल के पोते के साथ पहुंचीं गांव खेड़ा निवासी अमरजीत अपने दो साल के पोते के साथ धरने पर पहुंचीं। उनका कहना है कि किसान का बेटा है तो वह भी किसान के हक की लड़ाई लड़ने के लिए यहां पहुंचा है। उनका कहना है कि जब घर में पता चला कि महिलाएं आंदोलन में जा रही हैं तो बच्चे भी जिद करने लगे।

बोलीं- किसान के घर की महिलाएं हैं, ट्रैक्टर भी चला सकती हैं और आंदोलन भी

इस दौरान वहां पर महिलाओं ने कहा कि उनके पति, भाई, पिता आंदोलन में दो माह से हैं। कोई दिल्ली बॉर्डर पर है तो कोई यमुनानगर में टोल प्लाजा पर। इसलिए अभी तक वे घर और खेत संभाल रही थी, लेकिन अब उन्होंने आंदोलन संभालने का भी फैसला लिया इसलिए किसानों के साथ महिलाएं कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। अगर जरूरत पड़ी तो गणतंत्र दिवस पर किसानों की परेड में किसानों के साथ दिल्ली जाना पड़ा तो वहां पर भी जाएंगी। इस दौरान एक महिला ने वहां ट्रैक्टर चलाकर भी दिखाया। कहा कि ये न समझें कि महिलाएं सिर्फ घर में रोटी बनाना ही जानती हैं वे किसान के घर की महिलाएं हैं, ट्रैक्टर भी चला सकती हैं और आंदोलन भी। आंदोलन का नेतृत्व सोमवार को रुपिंद्र कौर और तेजिंद्र कौर ने किया।

डॉक्टरी कर रही बेटी भी पहुंची किसानों के बीच

आंदोलन में मुलाना मेडिकल कॉलेज से बीडीएस कर रही यशिका भी पहुंची। उन्होंने का कहा कि उनके पिता कई दिन से यहां पर धरने पर आ रहे हैं। पता चला था कि सोमवार को यहां पर महिला दिवस पर कार्यक्रम हैं और महिलाएं आंदोलन संभालेंगी। इस पर वे भी अपनी मां के साथ यहां पर आई हैं। उनका कहना है कि किसानों के आंदोलन का वे समर्थन करती हैं।

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