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चढ़ूनी के खिलाफ बयान से मुकरे कक्का:कक्का ने कहा था- चढ़ूनी किसान नेता नहीं,

चढ़ूनी के खिलाफ बयान से मुकरे कक्का:कक्का ने कहा था- चढ़ूनी किसान नेता नहीं, कुरुक्षेत्र का बड़ा आढ़तिया हैगुरनाम सिंह चढ़ूनी पर आंदोलन के राजनीतिकरण के आरोप लगाने के अगले ही दिन एमपी के किसान नेता शिवकुमार कक्का पलट गए। उन्होंने एक वीडियो में कहा कि चढ़ूनी मेरे मित्र हैं। मुझे उनकी चिंता है। हालांकि, एक दिन पहले भास्कर के साथ बातचीत में कक्का ने चढ़ूनी पर खुलकर कई आरोप लगाए थे। पहली अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने चढ़ूनी पर कांग्रेस और विपक्ष से 5 से 11 करोड़ रुपए लेने के आरोप की बात कही। औपचारिक तौर पर 10 के आसपास की बात कही।

पढ़िए उनकी बातचीत

कक्का: हां भाई साहब बोलिए।

रिपोर्टर: सर मीटिंग में क्या मेन मुद्दा रहा आज।

कक्का: पहले 7 मेंबरी कमेटी की मीटिंग 2 बजे तक चली। ढाई बजे से पूरे संगठनों की बड़ी बैठक हुई। मेन मुद्दा था 26 जनवरी।

रिपोर्टर: ये चढ़ूनी वाला क्या मामला है?

कक्का: आपको क्या जानकारी है?

रिपोर्टर: मेरे पास कुछ जानकारी ऐसी है कि इनके विरुद्ध पैसे लेने का मामला उठा है। इन्होंने आज दिल्ली में भी राजनीतिक दलों के साथ किया था कुछ। मेरे पास शरद पवार वगैरह को भेजा एक लेटर भी आया है।

कक्का: इनका ऐसा है भाई साहब संक्षेप में… ये बहुत ब….स टाइप का आदमी है। किसान नेता कभी नहीं रहा है। बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना रहा है ये। आढ़तिया है बड़ा, कुरुक्षेत्र का। आढ़तियों से रिंग बनाकर हरियाणा के पैसे लेता है। राजनीतिक महत्वाकांक्षा उसके सिर सर्वाधिक है। पत्नी को चुनाव लड़वाया आप से। केजरीवाल से संबंध नजदीक के हैं। खुद लड़ा तो 1 हजार वोट मिला। इससे इसकी लोकप्रियता समझ लीजिए।

रिपोर्टर: जी।

कक्का: उसके बाद जब ये आंदोलन में आ गया… कूद गया… कुछ ट्रैक्टर ले आया 10, 20 या 100 तो लड़-झगड़ के कमेटी मेंबर बन गया। सबने समझा कि कोई फूट न पड़े, इसलिए ले लो इसको। पर ये कांग्रेस के जो लोग हैं, सुरजेवाला हैं… सैलजा बाई हैं… और कौन-कौन हैं। ये इसको ऊपर तक ले गए होंगे, मिलवाने के लिए। टिकट का प्रॉमिस कर दिया कि भई गवर्नमेंट गिरेगी तो टिकट देंगे आपको। धनराशि का सुना है कि दिया है 10 के आसपास। इससे कहा कि पॉलिटिकल पार्टी हैं, उनको सबको मिलाकर अपन एक आंदोलन खड़ा करते हैं बड़ा। जन आंदोलन टाइप का।

रिपोर्टर: जी।

कक्का: तो इसकी शिकायतें आ रही थीं कि पार्टियों के लोगों से मिलता है…जाता है, तो हम इसको बोलते गए, ओवरलुक भी करते गए। पर होता क्या है संयुक्त किसान मोर्चा कोई निर्णय लेता है, उसी पर हम लोग काम कर सकते हैं। उसके बाहर नहीं जा सकते। हमारे साथ कुछ पॉलिटिकल लोग हैं। परंतु, वो सहमति के आधार पर हैं।

रिपोर्टर: जी-जी।

कक्का: तीन दिन से उनकी बैठकों में जा रहा था… तो कल (शनिवार) उसको समझाया कि भई ये जो तुम कर रहे हो, हमारी नीति-नियम के खिलाफ है। पॉलिटिकल मीटिंग में जाना है तो ये मोर्चा की मीटिंग में तय होगा। अकेले आप नहीं जा सकते। अनुशासनहीनता कर रहे हैं आप।

रिपोर्टर: जी।

कक्का: बोला (चढ़ूनी) मैं तो जाऊंगा। मैं नेता हूं। मेरी अध्यक्षता में जन संसद बनेगी और मैं आज की तारीख में सबसे बड़ा लीडर हूं। कांग्रेस वाले इसको बड़ा नेता मान सिर पर बैठाने लगे।

कक्का: आज (रविवार) नेताओं ने बताया कि कल समझाने के बाद ये नहीं माना। बड़ी बैठक में हमने सभी कार्यकर्ताओं से पूछा। सबने कहा किइसका निष्कासन किया जाए। रोग लगी उंगली को तत्काल काट दो नहीं तो सारा हाथ सड़ जाएगा। थोड़ा अखबारों में छपेगा कि बिक गया है… ये हो गया है… वो हो गया है…।

कक्का: बैठक की अध्यक्षता मैं ही कर रहा था। सबने जोर दिया कि आप अभी आदेश जारी करें। मैंने कहा कि नहीं आज नहीं करेंगे। पांच-सात दिनों से समझा रहे हैं। क्योंकि 1 पर्सेंट लोग हैं, जो कहते हैं कि आंदोलन चरम पर है। अभी निर्णय नहीं लेना चाहिए। संदेश ठीक नहीं जाएगा। खैर दबाव ज्यादा था तो हम एक कमेटी बना देंगे। कमेटी निर्णय कर देगी, दो दिन में। कमेटी कहती है इसका निष्कासन करो तो निष्कासन कर देंगे। मैं करता तो वो पूरी बात मेरे पर आती।

रिपोर्टर: ठीक बात है सर।

कक्का: ये हुआ है।

रिपोर्टर: कमेटी फाइनल हो गई?

कक्का: कल फाइनल करूंगा मैं। 5 प्रांत से 5 लोग तो ले लेंगे।

रिपोर्टर: ओके जी। थैंक यू।

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