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ऑनलाइन, ऑफलाइन शिक्षा और नवाचार से ब्लैंडेड लर्निंग अब फ्यूचर में एजुकेशन का यही होगा सूत्र

एजुकेशन सिस्टम में बदलाव:ऑनलाइन, ऑफलाइन शिक्षा और नवाचार से ब्लैंडेड लर्निंग अब फ्यूचर में एजुकेशन का यही होगा सूत्र8 इनोवेशन कर आईआईटी बन गया ट्रेंडसैटर, ये बैंचमार्क स्कूल्स-कॉलेजों को भी दिखाएंगे राह
कोरोना ने एजुकेशन सिस्टम को भी पूरी तरह बदलकर रख दिया है। एक साल पहले तक फ्यूचर मानी जाने वाली ‘ऑनलाइन एजुकेशन’ अब न्यू नॉर्मल हो चुकी है। एजुकेशन सिस्टम में बदलाव यहीं नहीं रुके हैं। कोरोनाकाल और इसके बाद भी एजुकेशन सिस्टम पूर्ण रूप से ऑफलाइन नहीं हो पाएगा।

यानी स्टूडेंट्स को लंबे समय तक ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन एजुकेशन सिस्टम से भी जुड़ा रहना पड़ेगा। इस बात को आईआईटी जोधपुर ने महीनों पहले ही समझ लिया था। आईआईटी के प्रोफेसर्स ने भविष्य के इस बदलाव के अनुरुप सिस्टम बनाने को 6 महीने रिसर्च किया।

उन्होंने ऑफलाइन के साथ ऑनलाइन शिक्षा और इनमें 8 नए इनोवेशन जोड़कर ब्लैंडेड लर्निंग का नया सूत्र तैयार किया। फ्यूचर एजुकेशन के इस नए फॉमूर्ले को आईआईटी में सफलतापूर्वक लागू भी किया। आईआईटी ने एक एक्सपर्ट टीम बनाई। टीम में एकेडमिक डीन पीजी प्रो. सोमनाथ घोष, एकेडमिक डीन यूजी डॉ. सुरिल शाह व एसोसिएट डीन स्टूडेंट्स डॉ. समन्विता पाल शामिल हैं।

इन्होंने डायरेक्टर प्रो. शांतनु चौधरी के मार्गदर्शन में ब्लैंडेड लर्निंग का पैटर्न तैयार किया। जून से ब्लैंडेड लर्निंग को अपनाते हुए स्टूडेंट्स को कैंपस में बुलाने का क्रम शुरू किया। आज आईआईटी जोधपुर में 900 से ज्यादा स्टूडेंट्स पहुंच चुके हैं। वे क्लासेज तो ऑनलाइन अटेंड कर रहे हैं, लेकिन प्रैक्टिकल्स की फिजिकल क्लासेज हो रही हैं। आईआईटी के ये बैंचमार्क अन्य स्कूल व कॉलेज को भी फ्यूचर एजुकेशन की राह दिखाएंगे।:
फ्लेक्सिबल मॉडल
स्टूडेंट्स के क्लासरूम को 3 पार्ट में बांटा जाएगा। पहले तीन दिन हर ग्रुप की ऑनलाइन क्लास होंगी तथा अगले 3 दिन अलग-अलग ग्रुप की फिजिकल क्लासेंज होगी। इसमें स्टूडेंट्स की ऑनलाइन क्लास के डाउट्स को क्लियर किया जाएगा।
स्लीप क्लासरूम
इसमें स्टूडेंट्स को स्टडी मेटिरियल का वीडियो बनाकर एक सप्ताह पहले दे दिया जाता है। इस वीडियो को देखने के बाद स्टूडेंट्स पहले ऑनलाइन बैठ कर डिस्कशन कर लेते हैं तथा इसके बाद टीचर इंट्रेक्ट करते है तथा डाउट्स क्लियर करते हैं।
कॉलोब्रेटिव लर्निंग
गूगल मीट में व्हाइट बोर्ड ऑप्शन को खोल दिया जाता है। इसमें टीचर व स्टूडेंट्स टेब का यूज करते हैं। टीचर्स व्हाइट बाेर्ड पर पढ़ाते हैं। वहीं स्टूडेंट्स भी इस दौरान अपनी प्रॉब्लम बोर्ड पर लिख सकते हैं तथा टीचर उसका समाधान कर सकते हैं।
री-डिफाइनिंग सिस्टम
स्टूडेंट्स को पढ़ाने के बाद प्रोजेक्ट ऑडियो-वीडियो असाइनमेंट के रूप में दिया जाता है। जब वीडियो व ऑडियो टीचर को मिलता है तो उससे पता चल जाता है कि प्रैक्टिकल नॉलेज मिली या नहीं।
रोटेशन क्लासेज
वर्चुअल व फिजिकल क्लासेज में रोटेशन सिस्टम हाेता है। एक ग्रुप की फिजिकल क्लासेज साेम, बुध व शुक्रवार को तथा दूसरे ग्रुप की मंगल, गुरु व शनिवार को। क्लास में कैमरा होता है, जिनकी फिजकल क्लास न हो वे ऑनलाइन अटेंड कर सकते हैं।
प्रोजेक्ट बेस्ड लर्निंग
स्टूडेंट्स को सब्जेक्ट का प्रोजेक्ट दिया जाता है। स्टूडेंट्स ऑनलाइन नॉलेज लेकर प्रोजेक्ट को पूरा करते हैं। बाद में जब टीचर से इंट्रेक्शन होता है तो वह प्रोजेक्ट की कमियों को बताते हैं तथा स्टूडेंट्स के डाउट्स क्लियर करते हैं।
गेमीफिकेशन
इस पद्धति में स्टूडेंट्स को गेमीफिकेशन की तरह टॉस्क दिए जाते हैं। उन्हें टॉस्क पूरा करने के लिए निर्धारित समय दिया जाता है। समय-एक्यूरेसी देखते हुए स्टूडेंट्स को पाइंट्स देते हैं। स्टूडेंट्स का एंगेजमेंट बढ़ाने काे उन्हें पुरस्कार भी देते हैं।
ऑनलाइन प्रैक्टिकल सिस्टम
कुछ प्रैक्टिकल्स करवाने के लिए भी सॉफ्टवेयर तैयार किए हैं। इससे ऑनलाइन प्रैक्टिकल्स भी पूरा कर सकते हैं। इससे जो प्रैक्टिकल करना जरूरी होता है, उनके लिए स्टूडेंट्स को अलग-अलग ग्रुप में बुलाया जा सके।
ब्लैंडेड लर्निंंग के फायदे

प्रतिस्पर्धा: गेमीफिकेशन व ऑडियो-वीडियो असाइनमेंट के चलते स्टूडेंट्स में प्रतिस्पर्धा बढ़ती है।
लर्निंग टू एक्सप्लोरेशन : स्टूडेंट्स को पढ़ाई के बाद अपने आप को साबित करने का मौका मिलता है।
लर्निंग बाय डूईंग: ब्लैंडेड लर्निंग के इन तरीको में स्टूडेंट्स को खुद के प्रयासों से सीखने को मिलता है।
सेल्फ बेस्ड लर्निंग: ऑनलाइन मेटिरियल को देखने का मौका मिलता है तो कॉन्सेप्ट क्लियर हो जाता है।
इंट्रेक्शन: ऑनलाइन क्लास के बाद डाउट्स क्लीयर किए जाते हैं तो स्टूडेंट्स टीचर का इंट्रेक्शन बढ़ता है।

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