एक स्कूल ऐसा जो दान के पैसों से खड़ा हुआ:यहां न कोई एडमिशन चार्ज, न मंथली फीस, न एक्टिविटी चार्ज, किताबें और ड्रेस भी खुद दे रहेयमुनानगर के गांव दड़वा में 25 साल से 10वीं तक फ्री में शिक्षा दे रहा सत्य सांई जागृति विद्या मंदिर
मानवता की कहानी – यहां जो विद्यार्थी एडमिशन लेता है, वह फेल नहीं हाेता
स्कूल की डायरेक्टर जेएन बक्शी बोलीं- 1996 से दे रहे शिक्षा और संस्कारयहां एक ऐसा स्कूल है जो 25 साल से दान के पैसों से चल रहा है। यह स्कूल सालों से बेहतर शिक्षा और संस्कार फ्री में दे रहा है। यह स्कूल है श्री सत्य सांई जागृति विद्या मंदिर।
यह स्कूल को हरियाणा बोर्ड से 10वीं तक मान्यता प्राप्त है। यहां न कोई एडमिशन चार्ज, न मंथली फीस और न ही एक्टिविटी चार्ज लिया जाता है। स्कूल की पहचान है कि यहां जो बच्चा एडमिशन लेता है, वह फेल नहीं होता। स्कूल प्रबंधन भी यही कहता है कि उनके स्कूल में बच्चा कब फेल हुआ होगा, ठीक से याद नहीं, क्योंकि मैरिट में इतने बच्चे आते हैं कि फेल-पास की बात ही नहीं होती। इस स्कूल को 25 सालों से श्री सत्य सांई ग्रामीण जागृति संस्था चला रही है। यहां मौजूदा सत्र में 450 बच्चे पढ़ रहे हैं।
यहां पिछले 25 साल में करीब 7 हजार बच्चों को फ्री शिक्षा दी जा चुकी है, जो अब विदेशों तक में परचम लहरा रहे हैं। संस्था से जुड़े डॉक्टर, एडवोकेट या अन्य लोग अपनी कमाई से डोनेशन देते हैं, जिससे संस्था समाज सुधार और समाज को शिक्षित करने का काम कर रही है। यह संस्था शिक्षा, संस्कार, स्वास्थ्य व रोजगार दे रही है।
प्री नर्सरी से 10 तक फ्री एडमिशन, आगे की पढ़ाई के लिए विद्यार्थी की रुचि अनुसार दूसरे शहरों में भेजते हैं
स्कूल डायरेक्टर जेएन बक्शी बताती हैं कि इस स्कूल को बनाने में काफी लोगों का सहयोग रहा है। इनमें मुख्य नाम आता है चंडीगढ़ के एडवोकेट अमर विवेक का। साल 1996 में गांव दड़वा में स्कूल शुरू हुआ। तब से शिक्षा और संस्कार देने का काम जारी है। यहां पर गांव परवालो, फतेहपुर, नया गांव, दड़वा और दड़वा माजरी के बच्चे आते हैं। 20 टीचर और पांच अन्य स्टाफ स्कूल में हैं। सभी को अच्छा वेतन दिया जाता है। उनका कहना है कि हर साल 20 से 25 ऐसे स्टूडेंट्स एडॉप्ट किए जाते हैं, जो अपनी किताबें और ड्रेस लेने में भी असमर्थ होते हैं। उन्हें संस्था ही किताबें और ड्रेस देती है।
किसी भी बच्चे से कोई पैसा नहीं लिया जाता, न एडमिशन के नाम पर, न मंथली फीस के नाम। यहां एजुकेशन फ्री है। यहां प्री नर्सरी से लेकर 10वीं कक्षा तक बच्चा पढ़ सकता है। आगे की पढ़ाई के लिए संस्था की ओर से दूसरे शहरों में खोले गए एजुकेशन सेंटर पर भेजा जाता है। डायरेक्टर बताती हैं कि तीन लड़कियां यहां पर 10वीं तक पढ़ीं। आगे वे नर्सिंग करना चाहती थीं। उन्हें संस्था ने बैंग्लुरू स्थित अपने संस्थान में एडमिशन दिया। इसमें से एक आज न्यूजीलैंड में हैं। वहीं बहुत से बच्चे यहां से पढ़कर इंटरनेशनल व नेशनल स्तर की कंपनी में अच्छे पैकेज पर लगे हैं।
यहां पढ़े स्टूडेंट्स विदेशों तक में बना रहे पहचान
अंजू रानी: मैंने इसी स्कूल से 10वीं की। इसके बाद संस्था की ओर से बेंगलुरु में नर्सिंग के लिए भेजा गया। नर्सिंग की पढ़ाई करने के बाद मैं न्यूजीलैंड में गई। अब वहां स्टाफ नर्स हूं। इस स्कूल में दूसरे स्कूलों से कहीं बेहतर शिक्षा और संस्कार दिए जा रहे हैं।
कोमल: मैंने यहां से 10वीं की है। नर्सिंग में एडमिशन लिया। गुरुग्राम के मेदांता अस्पताल में स्टाफ नर्स हूं।
तनुज: यहां से 10वीं तक पढ़े हैं। इसके बाद इंजीनियरिंग की। अब एमएनसी में नौकरी कर रहा हूं। यहां पूरी तरफ फ्री शिक्षा ले सकते हैं।