आंध्र प्रदेश में मंदिरों पर हमले:19 महीने में मंदिरों में तोड़फोड़ की 128 घटनाएं, विपक्ष का आरोप- CM जगन रेड्डी ईसाई एजेंडे पर चल रहेआंध्र प्रदेश के विजयनगरम जिले के प्रसिद्ध रामतीर्थम में बीते साल 28 दिसंबर को भगवान श्रीराम की चार सौ साल पुरानी मूर्ति को तोड़ दिया गया। टूटी हुई मूर्ति के सामने रोते हुए पुजारी की तस्वीर ने लोगों को आक्रोश से भर दिया। यह मामला चर्चित रहा और इसने सियासी रंग भी लिया। लेकिन, इस तरह का यह राज्य में पहला या एकमात्र मामला नहीं है। आंध्र में पिछले कुछ महीनों से लगातार मंदिरों में तोड़फोड़ के मामले सामने आ रहे हैं। इन हमलों के चलते प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी भी आरोपों के घेरे में हैं। उन पर ईसाई एजेंडे को बढ़ाने के आरोप लग रहे हैं।
जगन सरकार के आने के बाद से मंदिरों में तोड़फोड़ की घटनाएं बढ़ीं
राज्य में YSR कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद से ही उस पर हिंदू धर्मस्थलों की उपेक्षा के आरोप लग रहे हैं। बीते साल सितंबर में अंतरवेदी मंदिर के प्रसिद्ध रथ को जला दिया गया था। इस मामले ने भी काफी तूल पकड़ा था। जिसके बाद मामले की जांच CBI को सौंप दी गई। आए दिन आंध्र में कहीं न कहीं मंदिरों में तोड़फोड़ की खबरें आ ही जाती हैं। इन मामलों को लेकर स्थानीय स्तर पर प्रदर्शन भी होते रहते हैं।
28 दिसंबर को राम की प्राचीन मूर्ति तोड़े जाने के बाद पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू भी रामतीर्थम पहुंचे और जगन सरकार पर जमकर बरसे। BJP के आंध्र प्रदेश अध्यक्ष सोमू वीरराजू भी तबसे चार बार रामतीर्थम जाने की कोशिश कर चुके हैं। लेकिन, हर बार पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। भास्कर से बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीर राजू ने कहा, ‘पार्टी इस मुद्दे को आगे और तेजी से उठाने की रणनीति पर काम कर रही है।’ पूर्व केंद्रीय मंत्री पी अशोक गजपति राजू भी कहते हैं, ‘जगनमोहन रेड्डी के बीते 19 महीनों के शासनकाल में प्रदेश में 128 मंदिरों पर हमला हुआ है। राजू को हाल ही में विजयनगरम और पूर्व गोदावरी जिलों में तीन मंदिरों के ट्रस्टों से हटाया गया है।
विपक्ष का कहना है- जगन ईसाई एजेंडे पर चल रहे हैं
मंदिरों पर हो रहे हमलों की बहस में मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी के धर्म पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि जगन रेड्डी का परिवार ईसाई धर्म का अनुयायी है। जगन रेड्डी ने अगस्त 2019 में अपने परिवार के साथ येरूशलम की धार्मिक यात्रा की थी और इस दौरान उनकी यात्रा पर सरकारी खर्च करने को लेकर भी सवाल उठे थे।
TDP का आरोप है कि जगन मोहन रेड्डी ईसाइयों के एजेंडे पर चल रहे हैं। पार्टी प्रवक्ता अनुराधा पंचमूर्ति कहती हैं, ‘मंदिरों पर ये हमले बीते डेढ़ साल से हो रहे हैं, क्या भारत में पहले कोई ऐसी सरकार रही है, जिसने मंदिर में लोगों को क्वारैंटाइन में रखा है। लेकिन इस सरकार ने मंदिर को कोविड सेंटर बना दिया।’ वे आगे कहती हैं, ‘जगन एक ईसाई हैं। वे भगवान वेंकटेश्वर के सामने कुर्सी पर बैठ गए और उनकी पत्नी भी वहां मौजूद नहीं थीं। उनकी पत्नी हिंदू मंदिरों के अनुष्ठान में शामिल क्यों नहीं होती? इससे साफ है कि हिंदू न उनके मन में हैं और न सोच में।’
इधर, BJP का कहना है कि आंध्र प्रदेश में मंदिरों के मुद्दे पर चंद्रबाबू नायडू और जगनमोहन रेड्डी नूरा कुश्ती कर रहे हैं। सोमू वीरराजू कहते हैं कि जब नायडू रामतीर्थम गए तो उनके लिए रेड कार्पेट बिछाया गया, लेकिन जब हमने वहां जाने की कोशिश की तो पुलिस ने रोक दिया।
राज्य के पुलिस महानिदेशक डीजी सावांग का कहना है,’ मंदिरों पर हमले के लिए जिम्मेदार जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, उनमें TDP और BJP से जुड़े बीस कार्यकर्ता भी शामिल हैं।’ इस पर भाजपा महासचिव एस विष्णुवर्धन का कहना है, ‘DGP लोगों को बरगला रहे हैं और अपनी नाकामी छुपाने की कोशिश कर रहे हैं। पहले उन्होंने कहा था कि अंधविश्वासी और खजाना चोर लोग तोड़फोड़ कर रहे हैं। अब वे इसका ठीकरा भाजपा कार्यकर्ताओं पर फोड़ रहे हैं।’धीरे-धीरे सियासी संकट में घिर रहे हैं जगन
आंध्र प्रदेश में ईसाई और मुसलमान अपने धार्मिक स्थलों का प्रबंधन खुद करते हैं जबकि बड़े हिंदू मंदिरों का प्रबंधन सरकार के हाथों में हैं। चंद्रबाबू नायडू ने एक सख्त बयान देते हुए कहा कि आंध्र प्रदेश में सीएम, डीजीपी और गृहमंत्री सभी ईसाई हैं और वे हिंदू धर्मस्थलों की अनदेखी कर रहे हैं। सियासी हमलों के बाद जगन रेड्डी राजनीतिक दबाव महसूस कर रहे हैं। उन्होंने हाल के दिनों में TDP शासनकाल में सड़क चौड़ी करने के लिए तोड़े गए नौ हिंदू मंदिरों का फिर से निर्माण करवाया है। सत्ताधारी पार्टी YSR कांग्रेस के सांसद कृष्णादेवा कहते हैं, ‘हमारी पार्टी पर हिंदू विरोध का आरोप बिल्कुल गलत है। अभी कुछ दिन पहले मुख्यमंत्री जगन ने मेरे संसदीय क्षेत्र में गो-पूजा की है। वो बिलकुल भी हिंदू विरोधी नहीं हैं। वो सभी धर्मों से बराबर नजदीकी रखते हैं।’ इसके अलावा YSR कांग्रेस सरकार ने 20 हजार मंदिरों में CCTV भी लगवाए हैं।
राजनीतिक विश्लेषक और उस्मानिया यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर नागेश्वर कहते हैं, ‘निश्चित तौर पर सरकार इन हमलों को रोकने में नाकाम रही है। पुलिस की निष्क्रियता ने विपक्ष को सवाल उठाने का मौका दे दिया है।’ वे कहते हैं, ‘इन हमलों के पीछे एक पैटर्न नजर आता है। इनके पीछे कोई सोची-समझी साजिश है। इसमें भी दो राय नहीं है कि BJP और TDP इस पर राजनीति कर रही हैं और मुख्यमंत्री जगनमोहन रेड्डी को घेर रही हैं।’
‘बीजेपी अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है’
हैदराबाद की पत्रकार श्रुति का मानना है कि आंध्र प्रदेश में मंदिरों पर पहले भी हमले हुए हैं लेकिन ये कभी राजनीतिक मुद्दा नहीं बना। अब TDP और BJP इसे बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश कर रही हैं। प्रोफेसर नागेश्वर कहते हैं, ‘ये राज्य हमेशा ही सांप्रदायिक तनाव से दूर रहा है क्योंकि यहां धर्म से बड़ा मुद्दा भाषा है।’ वे कहते हैं, ‘BJP का आंध्र प्रदेश में कोई बड़ा जनाधार नहीं है। पार्टी मंदिरों पर हमले के मुद्दे के जरिए अपना जनाधार बढ़ाने की कोशिश कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का वादा किया था लेकिन नहीं दिया। आंध्र के लोग BJP से नाराज हैं और यही वजह है कि 2019 के चुनावों में आंध्र प्रदेश में नोटा को BJP से ज्यादा वोट मिले थे। पार्टी यहां अपनी जड़ें मजबूत करने के लिए बेचैन है।’