न्यूज एंकर को फेक जॉब ऑफर:हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से मिला नौकरी का ऑफर फर्जी निकला, एक्सपर्ट बोले- खुद ही प्रूफ चेक करना बेहतरन्यूज चैनल NDTV की पूर्व एंकर और जर्नलिस्ट निधि राजदान के खुलासे ने शुक्रवार को तहलका मचा दिया। सोशल मीडिया पर दो पेज में आपबीती बयां करते हुए उन्होंने लिखा, ‘मैं बेहद गंभीर ई-मेल फ्रॉड (फिशिंग अटैक) का शिकार बन गई। मैंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के जिस जॉब ऑफर के आधार पर 21 साल पुरानी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था, जो वास्तव में यूनिवर्सिटी से आया ही नहीं था।’ पूर्व सहकर्मियों और दोस्तों ने बताया कि जॉब छोड़ने से पहले निधि को आगाह किया था कि एसोसिएट प्रोफेसर के ऑफर को क्राॅसचेक कर लें, क्योंकि हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में बिना पीएचडी, अनुभव के आधार पर मिला ऑफर अचरज पैदा करने वाला है। उधर, एक्सपर्ट का कहना है कि ऐसे मामलों में खुद ही प्रूफ चेक करना बेहतर है।
कुछ समय पहले हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के चीफ इन्फॉर्मेशन सिक्योरिटी ऑफिसर क्रिश्चियन हैमर ने कहा था कि डेटा, नेटवर्क व सिस्टम पर एक्सेस के लिहाज से यूनिवर्सिटी सेंसेटिव टारगेट है। 5-6 वर्षों में साइबर सिक्योरिटी बढ़ाई गई है। बावजूद इसके फिशिंग की सूचनाएं मिलती हैं। हार्वर्ड के नाम से मिलने वाले संदेहास्पद मेल में दी लिंक न खोलें। उसे phishing@harvard.edu पर फॉरवर्ड करें, ताकि कार्रवाई की जा सके।
‘भरोसा दिया गया कि 2020 में ज्वॉइन’
निधि राजदान ने सोशल मीडिया पर लिखा, 21 साल तक एनडीटीवी में नौकरी के बाद जून 2020 में मैंने आगे बढ़ने का फैसला लिया। तब मैंने बताया था कि मैं हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में जर्नलिज्म की एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर ज्वॉइन कर रही हूं। मुझे भरोसा दिया गया था कि सितंबर 2020 में मैं यूनिवर्सिटी ज्वॉइन कर लूंगी। मैं नए असाइनमेंट की तैयारियों में जुटी थी।
इस बीच बताया गया कि महामारी के चलते क्लासेज जनवरी 2021 में शुरू हो सकेंगी। देरी के साथ इस प्रक्रिया में तमाम प्रशासनिक अनियमितताओं पर मेरा ध्यान गया, जो मुझे बताई गई थी। शुरू में मैंने इन्हें नजरअंदाज किया और मान लिया कि महामारी के चलते यह नया नॉर्मल हो सकता है, लेकिन हाल ही में जो बातें सामने आईं, वे बेचैन करने वाली थीं। नतीजतन, मैंने उन पर स्पष्टता के लिए हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क किया। उनके निवेदन पर मैंने वह पत्राचार उनके साथ साझा किए, जिन्हें मैं यह मानकर चल रही थी कि वे यूनिवर्सिटी से आए हैं।
यूनिवर्सिटी का जवाब मिलने के बाद मुझे समझ आया कि मैं बेहद सोची-समझी चालबाजी का शिकार बन गई हूं। असल में, मुझे हार्वर्ड यूनिवर्सिटी से जर्नलिज्म फैकल्टी में एसोसिएट प्रोफेसर के तौर पर ज्वॉइन करने का कोई ऑफर ही नहीं मिला था। इस साइबर हमले के जालसाजों ने बेहद चालाकी से फर्जीवाड़ा करके मेरे निजी डेटा और कम्युनिकेशन पर एक्सेस बना ली।
शायद उन्होंने मेरे डिवाइस (फोन व कंप्यूटर) और ई-मेल व सोशल मीडिया अकाउंट पर भी एक्सेस हासिल कर ली हो। इस स्तर के हमले की जानकारी के बाद मैंने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है। मैंने उन्हें सभी संबंधित दस्तावेज मुहैया कराए हैं। मैंने ऐसा घातक हमला करने वाले अपराधियों को पहचानने के लिए तुरंत कदम उठाने, पकड़ने और सजा दिलाने का निवेदन किया है।’
क्या बोले भास्कर एक्सपर्ट पवन दुग्गल (साइबर सिक्योरिटी)?
फर्जी ई-मेल की जांच हेडर्स और फुटर्स से संभव, डोमेन सर्चिंग से पता चलेगी हकीकत
फिशिंग अटैक की इस घटना को वेकअप कॉल की तरह लेना चाहिए। जब एक न्यूज एंकर साइबर ठगी की शिकार हो सकती है तो आम आदमी की क्या बिसात? लंबे समय से ऐसे सॉफ्टवेयर मौजूद हैं, जिनसे किसी भी ऑफिशियल आईडी से किसी को भी ई-मेल भेजा जा सकता है। हालांकि ऐसे मेल अब पकड़े भी जा सकते हैं क्योंकि उसके टूल्स आ गए हैं।
साइबर दुनिया में जरूरी सावधानी नहीं बरती गई तो आपको भारी नुकसान हो सकता है। कोई ई-मेल वाजिब है या फर्जी, इसकी जांच ई-मेल के हेडर्स और फुटर्स से हो सकती है। आप हेडर्स (एड्रेस बार में लिखी जानकारी) और फुटर्स (मेल में सबसे नीचे संस्थान की जानकारी) का डोमेन कॉपी कर सर्च इंजन पर डालेंगे तो डिटेल मिल जाएगी कि वह कहां से आ रहा है।
इसके लिए टूल्स भी हैं जिनसे मेल के बारे में जाना जा सकता है कि उसका वास्तविक स्रोत कहां है। आपको खुद ही प्रूफ चेक करने की आदत डालनी होगी। साइबर क्रिमिनल की नुकसान पहुंचाने की क्षमताओं को कमतर नहीं आंका जा सकता। ऐसे क्रिमिनल नए-नए तरीके निकाल रहे हैं। हम जागरूक रहेंगे तो ज्यादा नुकसान से बच सकते हैं।