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गुमनाम मौत के बाद वीराने में संस्कार:रिटायर्ड कैप्टन को न चार लोग कंधा देने वाले मिले

गुमनाम मौत के बाद वीराने में संस्कार:रिटायर्ड कैप्टन को न चार लोग कंधा देने वाले मिले और न ही मौत पर पड़ोसी या समाज के लोग शोक जताने पहुंचेगुमनाम मौत से दुनिया से रुख्सत हुए रिटायर्ड कैप्टन राम सिंह का अंतिम संस्कार भी वीराने में हुआ। न चार लोग कंधा देने वाले मिले और न ही मौत पर पड़ोसी या समाज के लोग शोक जताने पहुंचे। रिश्तेदारों और परिवार से नाता तोड़कर जिस बेटे के साथ जिंदगी के आखिरी पड़ाव में जिए, वह बेटा भी पिता की अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो पाया।

क्योंकि, उसके सुबह ही घर से निकलने की सूचना थी इसलिए उसके घर आने का इंतजार किए बिना संस्कार करना पड़ा। राम सिंह के छोटे भाई लछमन और दो रिश्तेदारी ही पहुंचे थे। एक एयरफोर्स से रिटायर्ड व्यक्ति न्यूज पेपर पढ़कर पहुंचा था। इसके अलावा न कोई दोस्त, न पड़ोसी था। जब चिता तैयार की गई तो एंबुलेंस से शव उतारने के लिए चार लोग भी नहीं थे।

एंबुलेंस ड्राइवर और दो रिश्तेदारों ने शव को एंबुलेंस से उतारकर चिता पर रखा। छोटे भाई लछमन ने मुखाग्नि दी। लछमन अपने भाई के सेक्टर-17 स्थित मकान में पहुंचे। यहां पर वे पहली बार आए थे। उन्हें यहां पर भाई का बेटा प्रवीण कुमार मिला। उसकी हालत देखकर उनकी आंखों में आंसू आ गए क्योंकि उन्होंने करीब 30 साल बाद भतीजे को देखा था। भतीजा ठीक से उन्हें पहचान भी नहीं पाया।

भाई सबसे नाता तोड़ चुके थे: लछमन

भाई शुरू से ही अलग ही स्वभाव के थे। आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद सैनिक बोर्ड करनाल में नौकरी की। वहां से भी रिटायर्ड हो चुके थे, लेकिन परिवार से करीब 25-30 साल पहले नाता तोड़ चुके थे। 9 साल पहले एक्वायर हुई जमीन के पैसे लेने गांव में आए थे। वह उनकी भाई से आखिरी मुलाकात थी। इसके बाद न कभी फोन किया और न ही मुलाकात हुई। भतीजे की दिमागी हालत ठीक नहीं है यह भी उन्हें नहीं पता था। भतीजी की मौत कब हुई, इसका भी जिक्र भाई ने कभी नहीं किया। परिवार में किसी तरह का कोई बड़ा झगड़ा नहीं हुआ कि इस तरह से रिश्ते नाते तोड़ दिए जाएं।
-जैसे मृतक कैप्टन के भाई लछमन ने दैनिक भास्कर को बताया।

परिवार बिखरता चला गया : राम सिंह की पत्नी की मौत कई साल पहले कैंसर से हुई थी। इसके बाद वे गांव छोड़कर आ गए। इसके बाद बेटी की भी मौत हो गई। वहीं, बेटे प्रवीण की जिससे शादी हुई थी, वह भी घर छोड़कर चली गई। इस तरह से चंद सालों में ही पूरा परिवार बिखरा गया। इसके बाद राम सिंह और बेटे की दिमागी हालत बिगड़ती चली गई। उन्होंने सभी से रिश्ते नाते तोड़ दिए थे।

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