राहत की उम्मीद:रसोई का बजट बिगाड़ रहे खाने वाले तेलों के दाम में जल्द आएगी कमी,

राहत की उम्मीद:रसोई का बजट बिगाड़ रहे खाने वाले तेलों के दाम में जल्द आएगी कमी, केवल दिसंबर में भाव 20% बढ़ेसोयाबीन और सरसों के तेल में बनने लगी गिरावट की संभावना
पिछले कुछ महीनों से रिकॉर्ड कीमत पर बिक रहे खाने वाले तेलों की कीमतों में जल्द राहत मिल सकती है। पाम और सोयाबीन की कीमतों में गिरावट के आसार हैं। हालांकि, खुदरा में इसका असर आने में एक महीने से अधिक का वक्त लग सकता है।

दाम पिछले कुछ महीनों में रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे

पाम ऑयल से लेकर मूंगफली, सरसों, सोयाबीन सभी खाने वाले तेलों के दाम पिछले कुछ महीनों में रिकार्ड ऊंचाई पर पहुंच गए थे। अकेले दिसंबर महीने में इनकी कीमतों में 20% की उछाल देखी गई। हालांकि, नए साल की शुरुआत के साथ हुए घटनाक्रमों ने इनकी कीमत पर अंकुश लगा दिया और अब इसमें गिरावट की उम्मीद की जा रही है।

पान तेल के महंगे होने से अन्य खाने वाले तेलों की कीमत प्रभावित हुई

खाने वाले तेलों में पाम तेल सबसे सस्ता होता है और इसका इस्तेमाल मुख्य भी अन्य के मुकाबले अधिक है। पाम ऑयल के वैश्विक उत्पादन में इंडोनेशिया और मलेशिया की 85% हिस्सेदारी है। विशेषज्ञों के मुताबिक, पिछले साल मई के बाद पाम तेल की कीमतों में तेजी आनी शुरू हुई थी। पाम तेल के महंगे होने से सूरजमुखी, सरसों, मूंगफली समेत सभी खाने वाले तेलों की कीमतों में तेजी दर्ज की गई।

पाम तेल में नरमी, दिसंबर की तुलना में भाव करीब 3% घटा

हालांकि, पाम तेल में फिर नरमी आ रही है। कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX में इसके वायदा भाव दिसंबर की तुलना में 2.84% घटकर 950 रुपए प्रति 10 किलो पर आ गए हैं। माना जा रहा है कि मलेशिया बायोफ्यूल में 20% और 40% पाम तेल मिलाने की अपनी योजना को एक साल टाल सकता है। इससे अतिरिक्त मांग की उम्मीद ठंडे बस्ते में चली जाएगी और पाम तेल की कीमतों में और कमी आएगी।

सोयाबीन में भी राहत की उम्मीद, बर्ड फ्लू का असर पड़ा

दूसरी बड़ी राहत सोयाबीन में देखने को मिल सकती है। इस साल देश में सोयाबीन का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है। सोयाबीन की बड़ी खपत पोल्ट्री इंडस्ट्री में होती है। इस साल अचानक बर्ड फ्लू आ जाने से पोल्ट्री से डिमांड में कमी आ रही है। इससे सोयाबीन की कीमतें टूट रही हैं। देश की सबसे बड़ी सोयाबीन मंडी इंदौर में बीते 14 दिनों में सोयाबीन की कीमतों में 15 फीसदी तक की कमी आई है। एक जनवरी को जहां एक क्विंटल मॉडल सोयाबीन 4700 रुपए में बिक रहा था, वहीं अब यह 4100 रुपए में बिक रहा है। वहीं, सरसों की नई फसल की आवक शुरू होने से इसके भाव में भी गिरावट आने के आसार हैं।

खाने में इस्तेमाल किए जाने वाले तेलों की कीमतों में 8 से 10% की कमी संभव

केडिया एडवायजरी के मैनेजिंग डायरेक्टर अजय केडिया कहते हैं कि वैश्विक घटनाक्रम में आए बदलावों से खाने वाले तेलों में गिरावट के आसार बन रहे हैं। क्रूड पाम ऑयल के वायदा कीमतें अगले एक माह में 8-10% घट सकती हैं। ऐसे में खाने वाले तेलों की कीमतों में कमी आ सकती है।

इन वजहों से आएगी कीमतों में कमी, लग सकता है एक माह

सरसों तेल- सरसों की नई फसल मंडियों में आने लगी है। इस साल इसकी अच्छी पैदावार का अनुमान है। इससे भाव घट सकते हैं। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने फिर से सरसों तेल में ब्लेंडिंग की अनुमति दे दी है। यानी इसमें दूसरे सस्ते तेल मिलाए जा सकेंगे। इससे सरसों तेल की कीमतों में नरमी के आसार हैं।

पाम ऑयल- मलेशिया बायोफ्यूल में 20 प्रतिशत और 40 प्रतिशत पाम तेल मिलाने की योजना पर अमल एक साल तक के लिए टाल सकता है। इससे अतिरिक्त मांग की उम्मीद ठंडे बस्ते में चली जाएगी। इसके अलावा मलेिशया में लॉकडाउन के चलते घरेलू मांग भी कुछ कमजोर पड़ गई है।

सोयाबीन तेल- देश में इस साल 104.55 लाख टन सोयाबीन उत्पादन होने का अनुमान है, जो पिछले साल से 15 फीसदी अधिक है। सोयाबीन की बड़ी खपत वाली इंडस्ट्री पोल्ट्री हाल में बर्ड फ्लू से प्रभावित हो गई है। इससे सोयाबीन की मांग में कमी आ रही है। इन दोनों कारणों से सोयाबीन की कीमतें टूट रही हैं।

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