खास बातचीत:’हैप्पी न्यू यू’ कैंपेन से जुड़ीं अनन्या पांडे, बोलीं-शिक्षा ही लड़कियों की जिंदगी बदल सकती हैएक्ट्रेस अनन्या पांडे ‘हैप्पी न्यू यू’ कैंपेन से जुड़कर नए साल में बच्चियों को शिक्षा का तोहफा देना चाहती हैं। इसके तहत उन्होंने वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में शामिल होकर दो बच्चियों के साथ लगभग एक घंटे बातचीत की। इसमें भाग लेने का उनका मकसद बच्चियों को शिक्षित कर उनके चेहरे पर मुस्कान लाना है।
अनन्या ने कहा, “मुझे लगता है कि शिक्षा से बेहतर तोहफा और कुछ नहीं होगा। यह लड़कियां जो प्राइमरी स्कूल में पढ़ती हैं, वे बहुत ही प्रतिभाशाली हैं। इनमें आत्मविश्वास भी कूट-कूट कर भरा है। मुझे ऐसा लगता है कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है, जिससे लड़कियों की जिंदगी बदली जा सकती है। इस कैंपेन के बारे में दैनिक भास्कर के कुछ सवालों के जवाब अनन्या ने अपने अंदाज में दिए।क्या आप भी कुछ बच्चों की पढ़ाई का खर्च उठाएंगी?
मुझे खुशी है कि लैक्मे के इस कैंपेन से जुड़ने के बाद दो बच्चियों से बात करने का मौका मिला। उम्मीद करती हूं कि उन्हें जल्द ही मिल पाऊं, न केवल उन दो बच्चियों से, बल्कि सभी 100 या उनसे ज्यादा लडकियों से मिल पाऊं। मुझे बहुत खुशी है कि इस पहल से जुड़ी और इसमें अपना योगदान देने का मौका मिला। सभी से यह अपील करना चाहती हूं कि आप भी किसी न किसी माध्यम से इस पहल से जुड़ें और इस मुहिम को आगे बढ़ाएं।
सेवा की प्रेरणा कहां से मिली?
मैं आज जो कुछ भी हूं, उसमें मेरी शिक्षा और स्कूली जीवन का बहुत बड़ा योगदान है। जीवन में हर शख्स से आप कुछ न कुछ सीख सकते हैं, प्रेरित हो सकते हैं। दरअसल ‘हैप्पी न्यू यू’ यह जो मुहिम है। यह आपको मौका देती है कि आप समाज को कुछ दें, खुशियां बांटें, लोगों के चेहरे की मुस्कान बने, ये बात मेरे मन में थी।
अनन्या ने अपने स्कूली दिनों को किया याद
अनन्या ने अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए बताया कि जब भी मुझसे कोई पूछता है मेरी जिंदगी का सबसे बेहतरीन पल कौन-सा है। तब यही कहती हूं कि वह मेरी स्कूल लाइफ है। मुझे याद है कि जब मैं छोटी थी, तब कभी बीमार पड़ती तो मम्मी स्कूल जाने से मना कर देती थी। उस वक्त मैं रोने लगती थी। मैंने लगातार दो-तीन साल स्कूल में 100 पर्सेंट अटेंडेंस का रिकॉर्ड बनाया था। क्लास में मॉनिटर थी और मुझे मेरे टीचर्स बहुत प्यार करते थे। अगर मुझे मौका मिले तो फिर से स्कूल चली जाऊंगी।