किसान आंदोलन:शाह के निर्देश के बाद प्रदेश में नहीं होंगे राजनीतिक कार्यक्रम और किसान पंचायतेंकृषि कानूनों के विरोध में बुधवार को किसानों ने लोहड़ी के अवसर पर संकल्प दिवस मनाया। इस दौरान उन्होंने तीनों कृषि कानूनों की प्रतियां भी जलाईं। कुंडली बॉर्डर पर कट्टों में भरकर प्रतियां रखी गई थीं। इस दौरान किसानों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर लोहड़ी के गीत गाए।
वहीं, मंगलवार रात को सीएम मनोहर लाल और डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला की मीटिंग में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने करनाल के कैमला में हुई घटना पर फीडबैक लिया।
इसके बाद शाह ने सलाह दी कि प्रदेश में जब तक आंदोलन चल रहा है, तब तक कोई किसान पंचायत या राजनीतिक कार्यक्रम न करें। आंदोलन के बीच अब प्रदेश में कोई कार्यक्रम नहीं किए जाएंगे, ताकि टकराव को टाला जा सके। मीटिंग में शामिल रहे शिक्षा मंत्री कंवरपाल गुर्जर ने भी कहा कि शाह ने सीएम मनोहर लाल के रैली में नहीं जाने के फैसले को सही बताया है। उन्होंने ही सलाह दी है कि टकराव की स्थिति न बने, इसलिए कोई कार्यक्रम न किया जाए। कोर्ट का फैसला आया है। इससे जल्द स्थिति सामान्य होगी।
औरतों को भेजने की सलाह को किसानों ने कहा शर्मनाक
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई के दौरान यह कहा गया कि औरतें इस हड़ताल में क्यों हैं? औरतों और बुजुर्गों को इस हड़ताल में क्यों रखा गया है? उन्हें घर जाने को कहना चाहिए। सयुंक्त किसान मोर्चा इस तरह के कथनों की निंदा करता है। कृषि में महिलाओं का योगदान अतुलनीय है और यह आंदोलन महिलाओं का भी है। इस तरह से महिलाओं पर सवाल उठना बहुत ही शर्मनाक है। किसानों ने कहा कि हम 18 जनवरी को महिला किसान दिवस भी मनाएंगे।
किसानों का दावा – 20 हजार स्थानों पर जलाईं प्रतियां
किसान संगठनाें ने दावा किया है कि पूरे देश में 20 हजार से ज्यादा स्थानाें पर किसानाें ने कृषि कानूनाें की प्रतियां जलाई हैं। कानून की प्रतियां जलाने का सबसे बड़ा कार्यक्रम कुंडली बॉर्डर पर हुआ। किसान माेर्चा के परमजीत सिंह ने कहा कि तीनाें कानूनाें की एक लाख प्रतियां जलाई गईं।
होली भी यहीं मनाने को तैयार : इस दौरान किसान नेताओं ने कहा कि अगर सरकार नहीं मानी तो यहीं होली भी मनाने को तैयार हैं। डॉ. दर्शनपाल ने कहा कि हम तीनों कानूनों को वापस कराने और एमएसपी को कानूनी अधिकार की मांग पर अडिग हैं।