अब डाइट बदलने का समय:मकर संक्रांति से खान-पान और लाइफ स्टाइल में बदलाव होने लगता है, तिल-गुड़ का सेवन कम करना शुरू करेंआज मकर संक्रांति है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने पर ये पर्व मनाया जाता है। अभी दो ऋतुओं के संधिकाल का समय है। हेमंत ऋतु खत्म हो रही है और शिशिर शुरू हो रही है। हेमंत ऋतु में सर्दी काफी अधिक रहती है, जबकि शिशिर ऋतु में ठंड कम होने लगती है। जब एक ऋतु जाती है और दूसरी ऋतु आती है, तब खान-पान से जुड़ी लापरवाही न करें। वरना सर्दी-जुकाम, बुखार, अपच, सिरदर्द जैसी बीमारियां होने की आशंका काफी अधिक रहती है।
मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ के साथ ही खिचड़ी भी खाते हैं। खाने की इन चीजों से सेहत को फायदा होता है। अब ठंड कम होने लगेगी, हमें संक्रांति के बाद तिल-गुड़ का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम कर देना चाहिए। लेकिन, खिचड़ी को खाने में रोज शामिल करना चाहिए। इस दिन खासतौर पर मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात सहित कई राज्यों में पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। ये परंपरा भी सेहत के लिए फायदेमंद है।
वात, पित्त और कफ, तीन तरह की होती हैं बीमारियां
देहरादून के आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. नवीन जोशी बताते हैं कि आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ, ये तीन तरह के रोग बताए गए हैं। वात यानी गैस से संबंधित बीमारियां। शरीर में जब पित्त का संतुलन बिगड़ता है तो खून से जुड़ी बीमारियां होती हैं। ज्यादा कफ से सर्दी-जुकाम, बुखार और सांस से जुड़ी परेशानियां होती हैं।
तिल-गुड़ से कंट्रोल होते हैं वात और कफ
अधिक ठंड की वजह से शरीर में वात यानी गैस बढ़ती है। जिससे काफी लोगों को जोड़ों में दर्द की समस्या होती है। कुछ लोगों की एड़ियों में दर्द होता है, किसी को घुटनों में तो किसी को पीठ में दर्द होने लगता है। इसके अलावा ठंड की वजह से कफ भी बढ़ता है। इसी वजह से ठंड के दिनों में तिल-गुड़ का सेवन नियमित रूप से किया जाए तो शरीर में वात और कफ सही मात्रा में रहता है। जिससे दर्द और सर्दी-जुकाम की समस्याएं कंट्रोल होती हैं।
आयरन और कैल्शियम जैसे तत्व मिलते हैं तिल-गुड़ से
तिल-गुड़ से इम्यूनिटी में सुधार होता है। तिल-गुड़ से बनी चक्की और लड्डू में आयरन, प्रोटीन, कैल्शियम, फाइबर, कार्बोहाइट्रेड आदि तत्व होते हैं। इन्हें रोज खाने से शरीर को ये सभी तत्व मिलते हैं। इम्यूनिटी में सुधार होता है। तिल खाने से मानसिक तनाव भी दूर होता है।
त्वचा की चमक बढ़ाते हैं इन चीजों के लड्डू
तिल-गुड़ हमारी त्वचा के लिए भी फायदेमंद है। इसके नियमित सेवन से हमें विटामिन ई और विटामिन बी मिलता है, जिससे स्किन में चमक आती है। मकर संक्रांति के बाद गर्मी बढ़ने लगती है। इसीलिए मकर संक्रांति पर तिल-गुड़ पर्याप्त मात्रा में खाने के बाद इन दोनों का सेवन धीरे-धीरे कम कर देना चाहिए।
खिचड़ी बहुत आसानी से पच जाती है, इसीलिए संक्रांति पर खाने की परंपरा
मकर संक्रांति पर काफी लोग चावल और मूंग दाल की खिचड़ी भी जरूर खाते हैं। चावल और मूंग दाल की खिचड़ी बहुत जल्दी पचने वाली होती है। इसे पचाने में पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती है। इसमें घी या मक्खन डाला जाता है, जो कि शरीर को ताकत देता है। मकर संक्रांति से इसे खाने में रोज शामिल करना चाहिए।
पतंग उड़ाते समय धूप से मिलता है विटामिन डी
मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की भी परंपरा है। इस दिन सूर्य की स्थिति बदलती है और जाती हुई ठंड पूरे प्रभाव में रहती है। घर की छत पर या किसी मैदान में पतंग उड़ाते समय हम धूप में रहते हैं, जिससे शरीर को पर्याप्त मात्रा में विटामिन डी मिलता है। पाचन शक्ति मजबूत होती है। ठंड के दिनों में इम्यून सिस्टम थोड़ा कमजोर हो जाता है। इस कारण काफी लोगों को बहुत जल्दी सर्दी-जुकाम और बुखार की समस्या हो जाती है। संक्रांति पर धूप का सेवन किया जाता है ताकि शरीर को मौसमी बीमारियों से लड़ने की शक्ति मिल सके।