जानकारी के लिए दूतावासों को दिया जा रहा पैसा:जर्मनी में 2.50 लाख लोगों के पास नागरिकता साबित करने दस्तावेज नहीं, इन्हें वापस भी नहीं भेजा जा सकताजर्मनी में 2,50,000 से ज्यादा लोगों के पास अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज नहीं हैं। लेकिन बिना कागजों के इन्हें वापस भी नहीं भेजा जा सकता है। इन लोगों की नागरिकता पता करने के लिए जर्मनी दूसरे देशों के दूतावासों को पैसा देता है। पूरा यूरोप शरणार्थियों की समस्या से जूझ रहा है। जर्मनी इन लोगों को वापस भेजने के लिए लगातार अभियान भी चला रहा है।
वहां इसे “एम्बेसी हियरिंग” का नाम दिया जा रहा है और ये देश भर में हो रही है। अधिकारियों को इन लोगों पर जिस देश के होने का शक होता है, उस देश के दूतावास को जर्मनी पैसे देता है। ताकि वे उन्हें बुला कर पूछताछ कर सकें। इनमें सबसे ज्यादा अफ्रीकी देशों के लोग हैं।
2019 और 2020 में नाइजीरिया के 1,100 और घाना के 370 लोगों को इस तरह से बुलाया गया। साथ ही गाम्बिया के 146 और गिनी के 126 लोगों को भी बुलाया गया। जर्मनी की लेफ्ट पार्टी की सांसद उला येल्पके की मांग पर सरकार ने ये आंकड़े जारी किए हैं। सरकार का दावा है कि यह कानूनी भी है और अनिवार्य भी। कागजात तभी बनाए जा सकते हैं, जब राष्ट्रीयता का पता लगाया जा सके।
जानकारी देने के लिए अफ्रीकी देशों पर सबसे ज्यादा दबाव
जर्मन काउंसिल ऑन फॉरेन रिलेशंस के अनुसार 2020 में देश में करीब ढाई लाख लोग गैरकानूनी रूप से रह रहे थे। 2018 में गृह मंत्रालय का भार संभालते हुए गृह मंत्री होर्स्ट जेहोफर ने कहा था कि वे इस संख्या को कम करेंगे और 2019 में करीब 22 हजार लोगों को डिपोर्ट भी किया गया। अधिकारियों का आरोप है कि अफ्रीकी देश इस काम में काफी ढील दे रहे हैं और कागज तैयार करने में लंबा वक्त लगा रहे हैं।