किसान संगठनों की परेशानी बढ़ी:1500 किसानों को डिप्रेशन तो 1200 से अधिक को हार्ट-बीपी की परेशानी, ठंड ने बढ़ाया खतरामौत और सुसाइड से किसानों में बढ़ रहा डिप्रेशन, एंबुलेंस की आवाज सुनकर भी लगता है डर
किसान नेता कर रहे सुसाइड न करने की अपील, अमेरिकी एनजीओ कर रही काउंसिलिंग
आंदोलन में लगातार किसानों की मौत और सुसाइड की घटनाओं से किसानों के साथ ही संगठन भी चिंतित हैं। समाधान में देरी किसानों का इंतजार बढ़ा रही है। कुंडली बॉर्डर पर 11 किलोमीटर में बैठे-बैठे किसान थक रहे हैं। घर और खेती की याद आना लाजिमी है। साथ ही साथी किसानों, बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों की हालत देखकर डिप्रेशन में जा रहे हैं।
किसानों के दिमाग में यह बात भी घर कर रही है कि शायद जान देने से ही समाधान हो जाए। अभी तक जो सुसाइड हुए हैं और उनके पास जो नोट मिले हैं, उनमें भी यही बात निकल आई है। किसानों की स्थिति अब ऐसी हो गई है कि एंबुलेंस की आवाज सुनकर भी उनके चेहरे के भाव उड़ जाते हैं। चर्चा होने लगती है कि या तो ठंड से किसी की जान चली गई या फिर किसी किसान ने सुसाइड कर लिया है।
बॉर्डर पर कैंपों में आकर किसान कहते हैं- पूरी-पूरी रात नींद नहीं आती। कई नींद की गोलियां ले रहे हैं। अब किसान नेता मंच से अपील कर रहे हैं कि सुसाइड न करें। किसान नेता जगजीत सिंह दल्लेवाल तो एक लाइव सेशन के दौरान अपील करने के बाद रोने लग गए।
उन्होंने कहा कि हमें यह संघर्ष किसानों को बचाने के लिए शुरू किया है न कि उनकी जिंदगी खोने के लिए। जिंदा रहकर साथ रहेंगे, तभी जीत पाएंगे। आईटी सेल ने एक सप्ताह से विशेषज्ञ डाॅक्टरों और मोटिवेटरों के भी लाइव सेशन शुरू कर दिए हैं। यूनाइटेड सिख एनजीओ अमेरिका का है, जिसने 5 हजार से ज्यादा किसानों की काउंसिलिंग की तो 1500 किसान डिप्रेशन का शिकार मिले हैं।
बीपी व हार्ट अटैक की दिक्कत बढ़ी, 1200 किसान बीमार
हरियाणा के अलग-अलग बॉर्डर पर 36 किसानों की मौत हो चुकी है। इनमें से 26 ऐसे हैं, जिनकी जान ठंड या हार्ट अटैक के कारण गई है। कुंडली बॉर्डर पर लगे अलग-अलग कैंपों के डेटा के अनुसार 1200 किसान बीपी या हार्ट की बीमारी से जूझ रहे हैं। दवाई लेकर काम चला रहे हैं।
डाॅक्टरों के अनुसार ठंड बढ़ने से खतरा हो सकता है। इन्हें घर जाने की सलाह दी है, लेकिन जा नहीं रहे। हेल्थ कैंप के डाॅक्टर विशेष कुमार ने बताया कि ठंड का ज्यादा प्रकोप बुजुर्गों पर होता है। ठंड बढ़ने से खून गाढ़ा हो जाता है। नाड़ी में सिकुड़न बढ़ जाती है। नसों में 30 फीसदी तक रुकावट हो जाती है। धुंध से प्रदूषण के कण नीचे आ जाते हैं, जो सांस के जरिए हार्ट तक पहुंचते हैं। तभी इस मौसम में हार्ट की बीमारी बढ़ जाती है। बारिश के बाद खांसी, जुकाम व एलर्जी पीड़ित बढ़े हैं।
बॉर्डर पर अस्थाई अस्पताल खोला
कुंडली में अस्थाई अस्पताल शुरू किया है। इसमें 6 बेड हैं। कोई किसान चक्कर खाकर भी गिर जाता था तो उसे सीधे अस्पताल ले जाना पड़ता था। एंबुलेंस की आवगमन भी किसानों की चिंता लगातार बढ़ा रहा है। इसलिए अस्पताल यहीं पर शुरू किया है, ताकि सामान्य बीमारियों का यहीं पर इलाज कर सके। वहीं किसानों ने एक विशेष पेट्रोलिंग गाड़ी भी तैयार की है। यह गाड़ी एंबुलेंस के आगे चलती है, जिससे एंबुलेंस को अस्पताल तक ले जाने में आसानी हो।