किसान आंदोलन में मौतों का सिलसिला जारी:कृषि कानूनों के विरोध में ग्रंथी ने गोली मार की खुदकुशी; एक ने निगला जहर, अब तक 59 की गई जानबरनाला में आंदोलन से लौटे किसान ने की खुदकुशी, संगरूर में किसान आंदोलन से लौटे पूर्व प्रधान की मौत
केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन में मरने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। कोई बीमार होकर जान गंवा रहा है तो कोई खुद की जान ले रहा है। अब तक 59 किसानों की मौत हो चुकी है। अकेले कुंडली बॉर्डर पर 15 लोगों की जान गई। ताजा मामला मंगलवार को सामने आया, जिसमें एक और किसान ने खुद को गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
मृतक की पहचान पंजाब के जिला फिरोजपुर के गांव महिमा के ग्रंथी नसीब सिंह मान के रूप में हुई है। ग्रंथी ने आत्महत्या करने से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है। इसमें ग्रंथी ने लिखा है कि उस पर किसी तरह का कोई कर्जा नहीं है, लेकिन मोदी सरकार के काले कानूनों के कारण किसानों की दयनीय हालत देखकर परेशान हूं। मेरी मौत के लिए मोदी सरकार जिम्मेदार है। सारा पंथ बसे, पंजाब बसे। दास नू मरन दा कोई शौक नहीं, पंथ बसे जी।
कुंडली बॉर्डर पर किसान ने खाया जहर
हरियाणा के सोनीपत जिले में कुंडली बॉर्डर धरनास्थल पर सोमवार देर शाम एक किसान ने जहर निगल लिया। उसे गंभीर हालत में बहालगढ़ रोड स्थित निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। कुंडली थाना पुलिस और सिविल लाइन थाना पुलिस मामले की जांच में जुटी है। किसान की पहचान पंजाब के लुधियाना के गांव सरथला निवासी लाभ सिंह (49) के रूप में हुई है। वह कई दिन से धरनास्थल पर ही थे।
बरनाला में आंदोलन से लौटे किसान ने की खुदकुशी
दिल्ली धरने से लौटे बरनाला जिले के गांव धौला के 45 वर्षीय किसान निर्मल सिंह ने घर में ही फंदा लगाकर खुदकुशी कर ली। निर्मल सिंह दिल्ली धरने में निरंतर आता जाता रहता था। उसकी किसानों के लिए दिल्ली राशन पहुंचाने की भी ड्यूटी लगी हुई थी, जिसको वह पूरी ईमानदारी से कर रहा था। केंद्र सरकार द्वारा बार-बार बैठकें करके किसानों को परेशान करने से वह आहत था। किसान निर्मल सिंह मेहनत मजदूरी करके 8 वर्षीय लड़की, लड़के व पत्नी का पेट पाल रहा था। उसके सिर पर कर्ज भी था।संगरूर में किसान आंदोलन से लौटे पूर्व प्रधान की मौत
दिल्ली धरने में शामिल होकर वापस लौटे खनौरी की नगर पंचायत के पूर्व प्रधान मोती लाल छाछिया की मौत हो गई है। गत दिनों ठंड के कारण उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें पटियाला वर्धमान अस्पताल में भर्ती कराया गया था। वह करीब आठ दिन वेंटीलेटर पर रहे, आखिरकार दम तोड़ दिया।