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सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी:15 कंपनियाें का पहरा और 7 नाके तोड़कर खेतों से पहुंचे किसान,

सुरक्षा के इंतजाम नाकाफी:15 कंपनियाें का पहरा और 7 नाके तोड़कर खेतों से पहुंचे किसान, हैलीपेड व मंच पर कब्जा कर किया तहस-नहसगांव कैमला में सीएम की किसान महापंचायत विरोध के कारण रद्द, कोई काम नहीं आई फोर्स, इधर-उधर छोड़ते रहे आंसू गैस
कैमला रोड पर किसानों ने पहले 2 बैरिकेड पार किए, तीसरे नाके पर बजरी और रेत के ट्रक खड़े किए थे
करनाल के गांव कैमला में रविवार को किसानों की रणनीति के आगे पुलिस प्रशासन के प्रबंध छोटे पड़ गए। पुलिस किसानों को रोकने के लिए जो रणनीति अपना रही है, आंदोलनकारी हर चक्रव्यूह को भेदकर आगे निकल जाते हैं। पुलिस बेबस खड़ी देखती रहती है। रविवार को कैमला गांव में जाने से रोकने के लिए पुलिस की 15 कंपनियां और सात नाके कोई काम नहीं आए।

सुबह 10 बजे बसताड़ा स्थित टोल प्लाजा से ट्रैक्टर ट्रालियों और बाइकों पर सैकड़ों किसानों का काफिला कैमला की तरफ रवाना हुआ। कैमला मोड़ पर नाके पर खड़ी पुलिस की गाड़ी और बैरिकेड को हटाकर एक तरफ कर दिया और जत्था आगे बढ़ गया। दो नाके पार कर किसान 11 बजे कैमला रोड पर क्राउन सिटी के पास लगे नाके पहुंचे। पुलिस ने बजरी और रेता से भरे ट्रक खड़े किए हुए थे। वहां पर किसान नेता जगदीप सिंह ओलक और एसपी गंगाराम पुनिया में बातचीत भी हुई। किसानों ने पुलिस को शांतिपूर्ण विरोध करने का आश्वासन दिया। कुछ देर तक किसान वहीं रुक गए। साढ़े 11 बजे युवा किसानों ने रणनीति बदली और पैदल ही नाका पार करना शुरू कर दिया। पुलिस ने करीब 11.35 बजे किसानों पर वाटर कैनन से पानी की बौछार और आंसू गैस के गोले छोड़े। किसानों ने खेतों से जाना शुरू कर दिया।

कैमला गांव की एंट्री पॉइंट पर भी पुलिस के नाके लगे हुए थे, लेकिन आंदोलनकारी किसानों को वहां के ग्रामीणों ने गांव के अंदर की संकरी गलियों से निकाला। गलियों में महिलाएं आंदोलनकारियों को पानी भी पिला रही थीं। गांव के ज्यादातर लोग अपने-अपने मकानों की छतों पर खड़े थे। करीब पौने एक बजे आंदोलनकारी कार्यक्रमस्थल के पास पहुंच गए।

ग्रामीणों और किसानों के बीच हुआ टकराव

प्रोग्राम का विरोध कर रहे किसानों के गांव में पहुंचने की सूचना मिलते पुलिस और कार्यक्रमस्थल पर अफरा-तफरी मच गई। हैलीपेड की सुरक्षा में तैनात पुलिस कर्मी लगातार किसानों को आगे बढ़ने से रोकने की जद्दोजहद करते रहे। पुलिस प्रबंधों को विफल होते देख बीजेपी समर्थक ग्रामीण भड़क गए और दर्जनों की संख्या में बीजेपी समर्थक भी किसान जत्थे की तरफ दौड़ पड़े। दोनों पक्षों के आमने-सामने आने से मौके पर बेहद तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई। इस दौरान दोनों तरफ के लोगों के बीच टकराव भी हुआ।

पुलिस द्वारा प्रयोग किए गए हल्के बल प्रयोग और लोगों के बीच हुई झड़प में कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं। दोपहर करीब डेढ़ बजे किसानों ने हैलीपेड पर कब्जा जमा लिया और टाइलों को उखाड़ना शुरू कर दिया। प्रदर्शनकारी किसान भारी पुलिस बल की मौजूदगी में ईंटें उखाड़ते रहे। हैलीपेड ध्वस्त करने के बाद किसानों ने मंच का रुख किया और लाठी डंडों से तोड़फोड़ शुरू कर दी। करीब दो बजे तक हंगामा चला। कार्यक्रम स्थगित करना पड़ा।

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