संघर्ष की रोचक कहानी:10 रुपए के गलत पोस्टल ऑर्डर के खिलाफ ढाई साल किया संघर्ष, डाक विभाग ने 11 रु. भेजकर माफी मांगीहक और सच के लिए 56 साल के टाइपिस्ट के संघर्ष की रोचक कहानी
पोस्टल पर दो नंबर लिखे थे, सर्कल ने कहा- खरीदार भी जिम्मेदार
10 रुपए के गलत पोस्टल ऑर्डर के खिलाफ तहसील कैंप के 56 साल के टाइपिस्ट नरेश वर्मा केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली तक पहुंच गए। ढाई साल के लंबे संघर्ष के बाद डाक विभाग ने मनी ऑर्डर से 11 रुपए भेजकर माफी मांगी है।
पोस्टल ऑर्डर पर दो नंबर लिखे थे। इस पर टाइपिस्ट ने डाक विभाग से पूछा कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है, जवाब में हरियाणा डाक सर्कल अम्बाला के मुख्य पोस्टमास्टर जनरल ने कहा- “इस भारतीय पोस्टल ऑर्डर की छपाई सिक्योरिटी प्रिंटिंग प्रेस लुधियाना पंजाब में हुई। इसमें डाकघर के किसी व्यक्ति की जिम्मेदारी निश्चित करना संभव नहीं है। किसी कारणवश डाक सहायक ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो खरीदार की भी जिम्मेदारी बनती है कि वह सुनिश्चित कर ले कि जो वस्तु खरीदी है, वह सही स्थिति में है।’
मुख्य पोस्टमास्टर जरनल ने सीनियर सुपरिंटेंडेंट करनाल से कहा कि यदि पोस्टल ऑर्डर सही स्थिति में है और अपीलकर्ता चाहे तो उन्हें नया पोस्टल ऑर्डर दे दें या उसकी कीमत लौटा दें। नरेश वर्मा केंद्रीय सूचना आयोग पहुंच गए। आयोग के आदेश पर नरेश वर्मा डीसी ऑफिस से वीडियो कांफ्रेंसिंग से 4 दिसंबर 2020 को सुनवाई से जुड़े। करनाल मंडल के सीनियर सुपरिंटेंडेंट भी जुड़े थे। आयोग ने सुपरिटेंडेंट की कार्यशैली को गलत बताया। आयोग ने समाधान का आदेश दिया। इसके बाद डाक विभाग का कर्मचारी 11 रुपए का मनी ऑर्डर लेकर नरेश वर्मा के घर पहुंचा और माफी मांगकर मामला निपटाया।
11 रुपए में खरीदा था 10 रु. का पोस्टल ऑर्डर
नरेश वर्मा ने 17 जुलाई 2018 को पानीपत मुख्य डाक घर से 10 रुपए का पोस्टल ऑर्डर 11 रुपए में खरीदा। पोस्टल ऑर्डर के दो हिस्से होते हैं। दोनों पर एक सीरियल नंबर होना चाहिए, पर इसके बाएं में 44एफ 438967 और दाएं में 44एफ 438968 लिखा था। इससे यह उपयोग लायक नहीं रह गया। इस पर नरेश पानीपत मुख्य डाकघर गए।
वहां से उचित जवाब नहीं मिला तो 14 सितंबर 2018 को करनाल मंडल सीनियर सुपरिंटेंडेंट के यहां शिकायत लगाई। उन्होंने यह कहा कि जांच चल रही। जवाब नहीं दे सकते, आप हरियाणा सर्कल जा सकते हैं। इसके बाद उन्होंने हरियाणा सर्कल में आरटीआई के माध्यम से शिकायत की। हरियाणा सर्कल ने खरीदार को ही जिम्मेवार ठहरा दिया ताे केंद्रीय सूचना आयोग दिल्ली पहुंच गए।