रिपब्लिकन महिला सांसदों ने कहा- संसद में हिंसा करने वालों को शर्म आनी चाहिए,
January 8, 2021
US :संसद के बाहर कड़ी सुरक्षा, कैपिटल हिल में हुई टूट-फूट को दुरुस्त करने में जुटे कर्मी
January 8, 2021

ट्रम्प की जिद में फंसा अमेरिका:64 दिन में भी जनता के फैसले को नहीं माने थे ट्रम्प,

ट्रम्प की जिद में फंसा अमेरिका:64 दिन में भी जनता के फैसले को नहीं माने थे ट्रम्प, इस पूरे विवाद को 5 बातों से समझिएअमेरिका में बुधवार को जो कुछ हुआ, उसे उपराष्ट्रपति माइक पेंस ने ‘देश के लोकतांत्रिक इतिहास का काला दिन’ करार दिया। यह तो तय था कि राष्ट्रपति डेमोक्रेट पार्टी के जो बाइडेन ही बनेंगे। मोटे तौर पर देखें तो बाइडेन की जीत 3 नवंबर को चुनाव वाले दिन ही तय हो गई थी। 14 नवंबर को इलेक्टोरल कॉलेज की वोटिंग के बाद इस पर एक और मुहर लगी। 6 जनवरी को बाइडेन की जीत की संवैधानिक पुष्टि होनी थी। जब अमेरिकी संसद ने बाइडेन की जीत पर अंतिम मुहर लगा दी तो ट्रम्प के पास सिवाए नतीजे स्वीकार करने के और कोई रास्ता बचा ही नहीं। लिहाजा, उन्होंने हार मान ली।

सवाल यह कि जब सब तय था तो बवाल क्यों हुआ? आखिर दुनिया का सबसे पुराना लोकतंत्र कलंकित क्यों हुआ? इसका एक ही जवाब है- डोनाल्ड ट्रम्प की जिद। आइए 5 पॉइंट में यह पूरा विवाद समझते हैं…

  1. चुनाव से पहले क्या हुआ?
    राष्ट्रपति ट्रम्प रिपब्लिकन और बाइडेन डेमोक्रेट पार्टी के कैंडिडेट थे। कोरोनावायरस को संभालने में ट्रम्प की नाकामी मुख्य मुद्दा बनी। ट्रम्प महामारी को मामूली फ्लू तो कभी चीनी वायरस बताते रहे। 3 लाख से ज्यादा अमेरिकी मारे गए। लाखों बेरोजगार हो गए। अर्थव्यवस्था चौपट होने लगी। ट्रम्प श्वेतों को बरगलाकर चुनाव जीतना चाहते थे, क्योंकि भेदभाव का आरोप लगाकर अश्वेत उनसे पहले ही दूर हो चुके थे।2. काश, इशारा समझ लेते
    3 नवंबर को चुनाव हुआ। अमेरिका में जनता इलेक्टर्स चुनती है। यही इलेक्टर्स राष्ट्रपति चुनते हैं। इनके कुल 538 वोट होते हैं। राष्ट्रपति बनने के लिए 270 वोटों की दरकार होती है। 3 नवंबर को वोटों की गिनती के बाद साफ हो गया कि बाइडेन को 306, जबकि ट्रम्प को 232 वोट मिले। यानी ट्रम्प हार चुके थे।

चुनाव के पहले ही ट्रम्प ने साफ कर दिया था कि वे हारे तो नतीजों को मंजूर नहीं करेंगे। अमेरिकी सुरक्षा एजेंसियां शायद उनका इशारा समझ नहीं पाईं। अगर समझी होतीं तो बुधवार की घटना टाली जा सकती थी। संसद के बाहर लोग जुट ही नहीं सकते थे।3. बुधवार को होना क्या था?
अगर तकनीकी बातों में न उलझें तो सीधा सा जवाब है- बाइडेन की जीत पर संवैधानिक मुहर लगनी थी। संसद के दोनों सदनों के सामने इलेक्टर्स के वोट्स की गिनती होनी थी। यहां एक छोटी सी बात और समझ लीजिए।

अमेरिका में चुनाव के बाद नतीजों को अदालतों में चुनौती दी जा सकती है, लेकिन वहां इनका निपटारा 6 जनवरी के पहले यानी संसद के संयुक्त सत्र के पहले होना चाहिए। यही हुआ भी। फिर, संसद बैठी। उसने चार मेंबर्स चुने। ये हर इलेक्टर का नाम लेकर यह बता रहे थे कि उसने वोट ट्रम्प को दिया या बाइडेन को। यहां भी बाइडेन ही जीते। इसके बाद ट्रम्प ने भी हार मान ली।

  1. तो दिक्कत क्यों हुई?
    इसका भी आसान जवाब है। बवाल इसलिए हुआ क्योंकि ट्रम्प अपने समर्थकों को भड़का रहे थे। वे नहीं चाहते थे कि इलेक्टोरल कॉलेज, यानी इलेक्टर्स के वोटों की गिनती हो। दूसरे शब्दों में कहें तो ट्रम्प नहीं चाहते थे कि संसद बाइडेन के 20 जनवरी को होने वाले शपथ ग्रहण समारोह को हरी झंडी दे।

ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर भड़काऊ बयान दिए। समर्थक भड़क गए। संसद में हंगामा हुआ। कुल चार लोगों की मौत हो गई। संसद में इलेक्टर्स के वोट्स की जगह रिवॉल्वर नजर आई।5. अब आगे क्या होगा?
इलेक्टोरल कॉलेज के वोटों की गिनती पूरी हुई। बाइडेन जीत गए। वे 20 जनवरी को शपथ लेंगे। ट्रम्प को व्हाइट हाउस खाली करना होगा। हंगामे के बाद इलेक्टोरल कॉलेज के वोट गिनने में वक्त इसलिए ज्यादा लगा क्योंकि कुछ वोटों को लेकर रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों ने आपत्ति दर्ज कराई। इनको क्लियर करने की तय प्रक्रिया है और इसी वजह से संसद को समय लगा।

अब 20 जनवरी को बाइडेन अमेरिकी राष्ट्रपति पद की शपथ लेंगे। संसद उनके कैबिनेट मेंबर्स के नाम को जांच के बाद अप्रूवल देगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES