15 हजार क्विंटल गेहूं घोटाला मामला:अब डिपो होल्डर्स गिरफ्तारी से बचने के लिए लगा रहे अग्रिम जमानत याचिका, कोर्ट ने तीन की याचिका की खारिजनेजाडेला और वेदवाला के डिपो होल्डरों ने की याचिका दायर
चार साल पहले किए गए 15 हजार क्विंटल गेहूं घोटाले में गिरफ्तारी से बचने के लिए जहां एक एक करके अधिकारी अग्रिम जमानत याचिका लगाकर कोर्ट का रूख भांप रहे हैं। वहीं अब आरोपी बनाए गए डिपू होल्डरों ने अग्रिम जमानत याचिका लगानी शुरू कर दी है।
कोर्ट इस मामले में पूरी तरह सख्त है और आरोपियों की जमानत याचिका खारिज करती आ रही है। गुरुवार को भी तीन डिपू होल्डरों ने खुद को बेकसूर बताकर सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। जिस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने तीनों डिपू होल्डरों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। अब पुलिस उन्हें गिरफ्तार करेगी। यहां बता दें कि इस मामले में अब तक एक डीएफएससी सहित दो एएफएसओ, दो सब इंस्पेक्टर और तीन डिपू होल्डर गिरफ्तार हो चुके हैं।
बाकी आरोपियों को पकड़ने के लिए पुलिस दबिश दे रही है। गेहूं गबन में शामिल नेजाडेला का रविंद्र , विवेक और वैदवाला निवासी भजनलाल नामक डिपू होल्डर ने अपने वकील के माध्यम से सेशन कोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका लगाई थी। डिपू होल्डरों की तरफ से लगाई गई याचिका में जमानत के लिए विभागीय अधिकारियों की ओर से की गई जांच को आधार बनाया गया था।
कोर्ट को आरोपी पक्ष के वकील ने बताया कि उन्हें विभाग ने जांच में निर्दोष दे रखा है। इसलिए उनका इस घोटाले से कोई लेना देना नहीं है। इसलिए इनको जमानत दी जाए। इधर पुलिस ने मजूबती से इस याचिका का विरोध करते हुए कोर्ट में अपना पक्ष रखा। पुलिस ने बताया उनके विभाग की जांच सिविल मेटर है। जबकि हम अपराधिक मामले की जांच कर रहे हैं। जबकि यह घोटाला अधिकारियों और डिपू होल्डरों की मिलीभगत से ही हुआ है। ऐसे में उनकी जांच का कोई आधार नही बनता। इसलिए इस मामले में इनकी जमानत नहीं होनी चाहिए। कोर्ट ने पुलिस की अपील को स्वीकार किया और डिपू होल्डर रविंद्र, विवेक और भजन की जमानत याचिका खारिज कर दी।
सरकारी ड्राइवर जसवंत की गिरफ्तारी खोलेगी राज
सीआईए पुलिस की अब तक हुई जांच में डीएफएससी के सरकारी ड्राइवर जसवंत की भूमिका सबसे अधिक संदिग्ध मानी जा रही है। जो इस पूरे घोटाले का भेद जानता है। इसलिए पुलिस उसकी गिरफ्तारी को महत्वपूर्ण मानकर चल रही है। उसकी गिरफ्तारी के लिए टीमें दबिश दे रही है। यहां बता दें कि ड्राइवर जसवंत और घोटाले में शामिल डीएफएससी राजेश आर्य के बीच विवाद भी हुआ था। जिसका कारण अवैध रूप से कमाई बताया गया था। जिसमें हिस्से को लेकर झगड़ा था। इसी के चलते राजेश आर्य ने उसका तबादला करवा दिया था।
इन अधिकारियों पर होगा एक्शन
पुलिस द्वारा दर्ज एफआईआर में खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के तत्कालीन डीएफएससी सुभाष सिहाग, डीएफएससी दीवानचंद शर्मा, डीएफएससी हंसराज भादू, सब इंस्पेक्टर सुरेंद्र फौजी के अलावा 4 अन्य अधिकारी कर्मचारी को अभी गिरफ्तार किया जाना बाकी है।