किसानों के समर्थन में दीदी:ममता बोलीं- नेताजी के सम्मान में प्लानिंग कमीशन जैसी बॉडी बनाएंगे, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव भी लाएंगेपश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को केंद्र की भाजपा सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अवधारणा वाले प्लानिंग कमीशन को खत्म कर दिया। हमारी सरकार उनके विजन और आइडियाज को आगे ले जाने के लिए प्लानिंग कमिशन जैसी बॉडी बनाएगी। उन्होंने नोबेल पुरस्कार विजेता इकोनॉमिस्ट अमृत्य सेन, अभिजीत बनर्जी और नेताजी के परपोते इतिहासकार सुगाता बोस से सुझाव मांगे हैं।
उन्होंने कहा कि जल्द ही विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाएगा। सत्र के दौरान नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास किया जाएगा। विधानसभा चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बनर्जी ने राज्य में प्रधानमंत्री किसान योजना लागू करने के भी संकेत दिए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार हमें बताए कि कितने लोगों ने योजना का लाभ लेने के लिए सरकार के पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराया है।
केंद्र ने योजना आयोग को भंग किया
उन्होंने कहा कि नेताजी के योजना आयोग को केंद्र सरकार ने भंग कर दिया। केंद्र ने इसका नया नाम नीति आयोग या नीति नियोग रखा है? मुझे इसकी जानकारी नहीं है। इससे पहले मैं अक्सर योजना आयोग की बैठकों में हिस्सा लेती थी। इसमें हर राज्य से सुझाव लिए जाते थे। लेकिन, अब हम अपने विचार साझा नहीं कर सकते हैं।
5 राज्य पहले ही प्रस्ताव ला चुके
अगर बंगाल में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर लिया जाता है, तो वह ऐसा करने वाला छठवां राज्य होगा। इससे पहले केरल, दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़ और राजस्थान की सरकारें इन कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पास कर चुके हैं।
भाजपा जनता को गुमराह कर रही
उन्होंने कहा कि मैंने कई बार केंद्र सरकार से कहा है कि वह बंगाल में पीएम किसान सम्मान निधि के तहत फंड राज्य सरकार को दे, लेकिन उन्होंने ऐसा कभी नहीं किया। भाजपा नेता दावा करते नहीं थकते कि बंगाल के 21.7 लाख किसानों ने सरकार के पोर्टल पर योजना के लिए पंजीकृत कराया है। भाजपा सिर्फ मामले में राजनीति कर लोगों को गुमराह करने की कोशिश कर रही है।
राज्य सरकार के माध्यम से फंड ट्रांसफर की शर्त
इससे पहले ममता ने केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि और आयुष्मान भारत जैसी योजनाओं को राज्य में लागू करने से इनकार कर दिया था। उन्होंने कहा था कि ऐसा तभी हो सकता है, जब लाभार्थी के खाते में पैसा राज्य सरकार के माध्यम से जाए।