किसान आंदोलन:ओला और बारिश से मुश्किल हालात, शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों की आगे की रणनीति का इंतजारबारिश के बाद अलाव के सहारे किसानों ने बिताई रात
पिछले तीन दिनों से शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर बुरे हाल हैं। बारिश के कारण किसानों के तंबू, रजाई, गद्दे और कपड़े गीले हो गए। ऐसे में यहां सैकड़ों किसानों ने अलाव के सहारे रात गुजारी। कुच किसानों ने एक-दूसरे के तंबू में जाकर कुछ घंटे आराम किया। पूरी रात इस उम्मीद में निकाली कि मंगलवार को दिन में धूप में कपड़े सुखाने के बाद आराम करेंगे। लेकिन, मंगलवार सुबह भी मौसम मेहरबान नहीं रहा। सुबह से ही बादल छाए हुए हैं।
बेनीवाल की रणनीति आ सकती है सामने
चार जनवरी को दिल्ली में सरकार और किसानों के बीच की वार्ता के बाद नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल कह चुके हैं कि पार्टी के पदाधिकारी व किसानों से बैठकर वार्ता करेंगे। इसके बाद आगे की रणनीति बताएंगे। उन्होंने कहा कि फिलहाल तो केन्द्र सरकार से यही कहूंगा कि कृषि कानूनों को सरकार वापस ले ले। ये किसान ठंड और बारिश से हो रही परेशानी से हार मानने वाले नहीं हैं।
रामपाल जाट ने अस्पताल से कहा- नहीं हारेंगे किसान
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट अभी अस्पताल में भर्ती हैं। उन्होंने भी यह कहा है कि सरकार किसानों की परीक्षा ले रही है। लेकिन, इतना बता दूं कि किसान हार नहीं मानेंगे। चाहे कितनी ही बारिश हो और ओले पड़े। किसान आंदोलन पर डटे रहेंगे। सरकार को कानून वापस लेकर MSP की गारंटी का कानून लाना पड़ेगा।हाइवे की दोनों लेन बंद
दिल्ली-जयपुर नेशनल हाइवे पर शाहजहांपुर-हरियाणा बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन जारी है। हाइवे की दोनों लेन बंद हैं। यहां करीब दो किलोमीटर तक किसानों का पड़ाव है। सोमवार शाम को बारिश के बाद और बुरे हाल हो गए। तंबुओं में पानी भर गया। सामान भीग गया। इस कारण किसानों के सामने रहने और आराम करने की समस्या हो गई है। मौसम साफ नहीं रहा तो किसानों को मंगलवार को भी परेशानी झेलनी पड़ सकती है।दिन के समय शीतलहर
असल में दिन के समय शीतलहर रहती है। अब तीन दिन से बादल छाए हैं। बीच-बीच में बारिश से परेशानी बढ़ी है। वैसे बादलों के कारण न्यूनतम तापमान जरूर पहले की तुलना में बढ़ गया है। लेकिन, माैसम नहीं खुलने तक किसानों के लिए अलाव की बड़ा सहारा है। उसके लिए भी लकड़ी जुटाने में मशक्कत होने लगी है।